जानिए शेयर मार्केट में इंडिकेटर क्या हैं, और कितने प्रकार के होते हैं, ट्रेडिंग में technical indicators का उपयोग कैसे करते हैं, कौन सा इंडिकेटर सबसे अच्छा है (पूरी जानकारी)
अगर आप शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करते हैं तो आपको टेक्निकल इंडिकेटर के बारे में जरूर पता होना चाहिए। टेक्निकल एनालिसिस के लिए तकनीकी इंडिकेेटर्स बेहतरीन टूल हैं जिसकी मदद से आप सही समय पर स्टॉक को buy और sell करके पैसा कमा सकते हैं।
ट्रेडिंग में टेक्निकल इंडिकेटर का यूज़ करके आप अपनी trading accuracy को तो बढ़ा ही सकते हैं साथ ही इनके द्वारा ट्रेड करके daily profit भी कमा सकते हैं।
इसीलिए आज मैं आपको टेक्निकल इंडिकेटर के बारे में सब कुछ बताने विस्तार से वाला हूं जैसे–
- शेयर मार्केट में टेक्निकल इंडिकेटर्स क्या होते हैं?
- तकनीकी इंडिकेटर कैसे काम करते हैं?
- ट्रेडिंग में टेक्निकल इंडिकेटर का उपयोग कैसे करते हैं?
- शेयर मार्केट में इंडिकेटर कितने प्रकार के होते हैं?
- और ट्रेडिंग के लिए सबसे अच्छा इंडिकेटर कौन सा है?
तो अगर आप stock market indicators के बारे में बिल्कुल आसान भाषा में और एकदम detail में जानना चाहते हैं तो इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़िएगा। मैं वादा करता हूं इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपके मन में टेक्निकल इंडिकेटर्स से रिलेटेड कोई भी डाउट बाकी नहीं रहेगा।
शेयर बाजार में इंडिकेटर क्या हैं?
शेयर मार्केट में इंडिकेटर एक टेक्निकल टूल है जिसका उपयोग ट्रेडिंग करने के लिए किया जाता है। technical indicators की मदद से आप अपनी ट्रेडिंग परफॉर्मेंस को बढ़ा सकते हैं। टेक्निकल इंडिकेटर को हिंदी में ‘तकनीकी संकेतक’ कहते हैं। ट्रेडिंग करते समय इन्हें चार्ट पर अप्लाई किया जाता है।
ट्रेडिंग में टेक्निकल इंडिकेटर क्या है?
ट्रेडिंग करते समय स्टॉक के चार्ट पर उपयोग किए जाने वाले तकनीकी टूल को ही ‘टेक्निकल इंडिकेटर’ कहते हैं। इनका उपयोग शेयर प्राइस का प्रिडिक्शन करने के लिए किया जाता है। ट्रेडिंग में ये इंडिकेटर्स चार्ट पर विभिन्न रेखाओं के द्वारा दर्शाए जाते हैं।
- चाहे आप बैंक निफ्टी में ट्रेडिंग करें या निफ्टी में या फिर किसी शेयर में, इंडिकेटर हर जगह काम आते हैं।
- टेक्निकल इंडिकेटर आपको बताते हैं कि यहां से शेयर प्राइस कितना ऊपर या नीचे जा सकता है।
जब आप किसी स्टॉक में ट्रेड करते हैं तो उसके चार्ट पर आप किसी भी इंडिकेटर को अप्लाई कर सकते हैं। चार्ट पर इंडिकेटर अप्लाई होने के बाद वह आपको बताता है कि शेयर की कीमत बढ़ सकती है या घट सकती है।
- अगर कोई टेक्निकल इंडिकेटर्स प्राइस ऊपर जाने का संकेत दे रहा है तो ऐसी स्थिति में आपको शेयर खरीद लेना चाहिए और प्राइस बढ़ने पर उसे बेचकर मुनाफा कमा लेना चाहिए।
- इसके विपरीत गिरावट के संकेत देने पर शेयर को शार्ट सेल करके भी आप पैसा कमा सकते हैं।
जिन लोगों ने इस प्रकार के इंडिकेटर बनाए हैं उन्होंने सालों मेहनत करके इन्हें डेवलप किया है और इसीलिए अधिकतर इंडिकेटर्स accurate होते हैं और बहुत सारे ट्रेडर्स इनके द्वारा हर दिन प्रॉफिट कमाते हैं।
टेक्निकल इंडिकेटर का उदाहरण (Example of technical indicators in hindi)
RSI इंडिकेटर, MACD, मूविंग एवरेज, VWAP और बोलिंगर बैंड टेक्निकल इंडिकेटर के उदाहरण हैं। ये सब तकनीकी संकेतक स्टॉक के past trend को एनालाइज करके फ्यूचर की prediction करते हैं। इनका उपयोग करके आप एक प्रॉफिटेबल ट्रेडिंग स्ट्रेटजी बना सकते हैं।
ट्रेडिंग में इंडिकेटर क्यों उपयोगी होते हैं?
Why indicators are important in trading– ट्रेडिंग में टेक्निकल इंडिकेटर इसलिए उपयोगी है क्योंकि यह मार्केट का पोटेंशियल ट्रेंड बताते हैं मतलब आज शेयर बाजार किस दिशा में जा सकता है। अगर आज बाजार में गिरावट होने की संभावना है तो ये टेक्निकल इंडिकेटर आपको पहले ही price रिवर्सल का संकेत दे देते हैं
मतलब indicators पहले ही बता देते हैं कि किस लेवल को टच करके शेयर प्राइस में गिरावट हो सकती है।
इंडिकेटर्स का उपयोग करके आप सही समय पर स्टॉक में entry और exit कर सकते हैं मतलब ये आपको सही ट्रेडिंग निर्णय लेने में मदद करते हैं। साथ ही ये आपको बताते हैं कि अभी मार्केट overvalued है या undervalued.
- और जब मार्केट ओवरवैल्यूड हो जाता है तो लोग अपने खरीदे गए शेयर बेचने लगते हैं जिससे बाजार में गिरावट होने लगती है और उस समय पुट ऑप्शन खरीदने वालों को फायदा होता है इसके अलावा ओवरवैल्यूड मार्केट में आप शॉर्ट सेल करके भी पैसा कमा सकते हैं।
- इसी प्रकार जब मार्केट अंडरवैल्यूड हो जाता है तो बाजार में खरीदारी होने के चांसेस बढ़ जाते हैं जिससे कंपनियों के शेयर प्राइस भी बढ़ने लगते हैं और इस प्रकार शेयर मार्केट भी ऊपर जाने लगता है। और ऐसे में कॉल ऑप्शन खरीदने वालों को प्रॉफिट होता है।
तो देखा आपने किस प्रकार टेक्निकल इंडिकेटर शेयर प्राइस के बढ़ने या घटने का अनुमान पहले ही बता देते हैं।
ये भी जानिए–
- ट्रेडिंग कैसे करते हैं?
- टेक्निकल एनालिसिस क्या है, कैसे करते हैं?
- कॉल और पुट ऑप्शन क्या है, दोनों में क्या अंतर है?
आगे हम इनके प्रकार और ट्रेडिंग में इंडिकेटर का उपयोग कैसे करते हैं इसके बारे में भी जानने वाले हैं। लेकिन उससे पहले जानते हैं कि–
तकनीकी इंडिकेटर कैसे काम करते हैं (How technical indicator works in hindi)
ट्रेडिंग में टेक्निकल इंडिकेटर कुछ mathematical calculations यानी गणितीय गणनाओं के आधार पर काम करते हैं। ये इंडिकेटर्स शेयर के प्राइस और वॉल्यूम को analyse करके उसके ट्रेंड या रिवर्सल के बारे में बताते हैं।
ये सभी Technical indicators गणित के कुछ formulas के द्वारा करंट प्राइस और हिस्टोरिक शेयर प्राइस डेटा का उपयोग करके शेयर प्राइस के बढ़ने या घटने का संकेत देते हैं।
ये तकनीकी इंडिकेटर आपको सही समय पर ट्रेडिंग के मौके खोजने में मदद करते हैं। मतलब आपको शेयर कब खरीदना और बेचना चाहिए इसके बारे में बताते हैं।
जैसे-जैसे शेयर का प्राइस आगे बढ़ता है वैसे-वैसे इंडिकेटर्स भी चार्ट पर प्राइस के साथ साथ ही चलते हैं। इनका फायदा यह है कि अगर शेयर प्राइस बढ़ने या गिरने वाला है तो ये पहले ही संकेत दे देते हैं।
लेकिन ऐसा नहीं है कि इनकी प्रिडिक्शन 100% सही होती है क्योंकि अगर ऐसा होता तो हर कोई इनका उपयोग करके करोड़पति बन जाता। ट्रेडिंग में indicators सिर्फ आपका टेक्निकल एनालिसिस का काम आसान बनाते हैं मतलब शेयर को किस लेवल पर buy और sell करना चाहिए, यह बताते हैं।
शेयर मार्केट में कितने इंडिकेटर होते हैं (Type of technical indicators in hindi)
शेयर मार्केट में इंडिकेटर कई प्रकार के होते हैं लेकिन यहां पर मैं आपको 5 प्रमुख टेक्निकल इंडिकेटर के बारे में बताने बाला हूं जिनका उपयोग सबसे ज्यादा किया जाता है–
टेक्निकल इंडिकेटर्स की लिस्ट (List of Technical Indicators in hindi)
- RSI Indicator (रिलेटिव स्ट्रैंथ इंडेक्स)
- MACD Indicator (मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस डायवर्जेंस)
- Bollinger band (बोलिंगर बैंड)
- Moving Average (मूविंग एवरेज)
- VWAP Indicator (वॉल्यूम बेटर एवरेज प्राइस)
- Supertrend (सुपरट्रैंड इंडिकेटर)
आइये इनके बारे में एक-एक करके जान लेते हैं–
1. RSI Indicator in Hindi
RSI यानी रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स एक पॉपुलर टेक्निकल इंडिकेटर है जो शेयर प्राइस के बढ़ने या घटने के मोमेंटम यानी speed को मापता है। आरएसआई ऑसिलेटर, जो 0 से 100 तक का एक पैमाना है, को उपयोग करके ओवरबॉट या ओवरसोल्ड लेवल और संभावित ट्रेंड रिवर्सल का पता लगाया जाता है।
RSI 14 दिन के टाइम फ्रेम पर काम करता है और ये ट्रेडर को हेल्प करता है मार्केट डायरेक्शन को आइडेंटिफाई करने में।
- जब आरएसआई ऑसिलेटर 70 के ऊपर जाता है, तब सिक्योरिटी overbought कंडीशन में होती है, जो एक sell सिग्नल हो सकता है।
- और जब आरएसआई ऑसिलेटर 30 के नीचे होता है, तब सिक्योरिटी oversold कंडीशन में होती है, जो एक buy सिग्नल हो सकता है।
अगर RSI oscillator की वैल्यू किसी सिक्योरिटी के प्राइस मूवमेंट के साथ मैच नहीं करती है, तो ये एक डाइवर्जेंस सिग्नल हो सकता है, जो पोटेंशियल ट्रेंड रिवर्सल का पता लगाने में मदद करता है।
Example of RSI Indicator in Hindi:
अगर एक स्टॉक का आरएसआई 14-दिन की समय सीमा पर 70 के ऊपर है, तो ये सिक्योरिटी ओवरबॉट कंडीशन में है और पोटेंशियल sell सिग्नल हो सकता है।
लेकिन, ट्रेडर्स को और भी फैक्टर्स जैसे कि ट्रेंड और वॉल्यूम का ध्यान देना चाहिए, मतलब सिर्फ और सिर्फ आरएसआई इंडिकेटर के आधार पर ट्रेडिंग डिसीजन नहीं लेना चाहिए।
2. MACD Indicator in Hindi
मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस डाइवर्जेंस (MACD) एक पॉपुलर तकनीकी संकेतक है जो ट्रेडर्स को ट्रेंड, मोमेंटम और पोटेंशियल ट्रेंड रिवर्सल के बारे में बताता है। MACD इंडिकेटर की कैलकुलेशन मूविंग एवरेज से की जाती है और ये एक ऑसिलेटर है जो जीरो लाइन के ऊपर और नीचे ऑसिलेट करता है।
एमएसीडी इंडिकेटर में दो लाइन होती है – MACD लाइन और सिग्नल लाइन
MACD लाइन एक फास्ट मूविंग एवरेज और सिग्नल लाइन एक स्लो मूविंग एवरेज होती है। जब एमएसीडी लाइन सिग्नल लाइन को क्रॉस करता है, तब ये एक पोटेंशियल buy या sell सिग्नल हो सकता है।
- जब MACD लाइन जीरो लाइन के ऊपर जाती है, तब ये बुलिश सिग्नल होता है, जो बताता है कि प्राइस ऊपर जा सकता है।
- और जब MACD लाइन जीरो लाइन के नीचे जाती है, तब ये मंदी का संकेत होता है, जो बताता है कि शेयर प्राइस में गिरावट की संभावना है।
MACD इंडिकेटर को ट्रेडर्स को लगाते मॉनिटर करते रहना चाहिए, क्योंकी ये पोटेंशियल क्रॉसओवर और डायवर्जेंस सिग्नल ट्रेंड रिवर्सल के बारे में बता सकते हैं।
Example of MACD Indicator in Hindi:
अगर एमएसीडी लाइन सिग्नल लाइन को ऊपर से क्रॉस करता है और एमएसीडी लाइन जीरो लाइन के ऊपर जाता है, तब ये एक बुलिश सिग्नल हो सकता है, जो दर्शाता है कि प्राइस में अपसाइड पोटेंशियल है।
3. Bollinger band Indicator in Hindi
बोलिंगर बैंड वह टेक्निकल इंडिकेटर है जो ट्रेडर्स को प्राइस वोलैटिलिटी और ट्रेंड रिवर्सल के बारे में बताता है।
ये संकेतक, price volatility के आधार पर एक किसी शेयर प्राइस के ऊपरी (upper) और निचले (lower) बैंड बनाता है जो शेयर प्राइस मैं उतार-चढ़ाव के कारण ऊपर नीचे होता रहता है।
Bollinger band इंडिकेटर आम तौर पर 20-दिन का सिंपल मूविंग एवरेज (SMA) के ऊपर और दो स्टैंडर्ड डेविएशन के बीच की दूरी बनाते हैं।
- जब प्राइस सिक्योरिटी के अपर बैंड से क्रॉस करता है, तब ये एक पोटेंशियल सेल सिग्नल हो सकता है।
- और जब प्राइस सिक्योरिटी के लोअर बैंड से क्रॉस करता है, तब ये एक पोटेंशियल बाय सिग्नल हो सकता है।
- अगर प्राइस सिक्योरिटी के मिडिल बैंड से क्रॉस करता है, तब ये एक पोटेंशियल ट्रेंड रिवर्सल का पता लगाने में हेल्प करता है।
Example of Bollinger Band Indicator in Hindi:
अगर एक स्टॉक का प्राइस सिक्योरिटी के अपर बैंड से क्रॉस करके मूव करता है, तो ये एक sell सिग्नल होगा और जब लोअर बैंड से क्रॉस करता है तो buy सिग्नल होगा।
4. Moving Average Indicator in Hindi
मूविंग एवरेज (MA) भी एक लोकप्रिय तकनीकी संकेतक है जो ट्रेडर्स को प्राइस ट्रेंड और संभावित ट्रेंड रिवर्सल के बारे में बताता है।
ये इंडिकेटर पिछले प्राइस डेटा के एवरेज को कैलकुलेट करके करेंट प्राइस एक्शन के साथ तुलना करता है। मूविंग एवरेज की length अलग-अलग हो सकती है, लेकिन 50-दिन, 100-दिन, और 200-दिन MA सबसे आम है।
- अगर कीमत MA के ऊपर है, तब ये एक बुलिश सिग्नल हो सकता है और संभावित अपट्रेंड संकेत करता है।
- और अगर कीमत MA के नीचे है, तब ये एक मंदी का संकेत हो सकता है और संभावित गिरावट का संकेत देता है।
मूविंग एवरेज के क्रॉसओवर भी महत्वपूर्ण सिग्नल प्रोवाइड करते हैं – जब शॉर्ट-टर्म MA लॉन्ग-टर्म MA को क्रॉस करता है, तब ये ट्रेंड रिवर्सल का पता लगाने में मदद करता है।
Example of Moving Average Indicator in Hindi:
अगर एक स्टॉक का प्राइस 50-डे मूविंग एवरेज के ऊपर है, तो ये एक पोटेंशियल बुलिश सिग्नल हो सकता है और इंडिकेट कर सकता है कि प्राइस में अपसाइड पोटेंशियल है।
5. VWAP Indicator in Hindi
वॉल्यूम वेटेड एवरेज प्राइस (VWAP) भी ट्रेडिंग में उपयोग किया जाने वाला एक पॉपुलर टेक्निकल इंडिकेटर है जो ट्रेडर्स को मार्केट ट्रेंड और प्राइस मूवमेंट के बारे में बताता है।
ये इंडिकेटर वॉल्यूम के साथ प्राइस के importance को भी consider करता है।
VWAP का फॉर्मूला है:
(Total Value Traded / Total Volume Traded)
VWAP आमतौर पर एक ट्रेडिंग डे के लिए कैलकुलेट किया जाता है और प्राइस एक्शन के साथ तुलना किया जाता है।
- अगर मूल्य VWAP से ऊपर है, तब ये संकेत कर सकता है कि मार्केट का ट्रेंड बुलिश है।
- और अगर कीमत VWAP से नीचे है, तब ये इंगित करता है कि मार्केट का ट्रेंड bearish है।
VWAP का उपयोग ज्यादातर इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए किया जाता है और बड़े वॉल्यूम स्टॉक और ETFs के लिए भी यह प्रभावी है।
Example of VWAP Indicator in Hindi:
अगर एक स्टॉक का प्राइस VWAP से ऊपर है, तो ये इंडिकेट करता है कि प्राइस इंट्राडे में ज्यादा से ज्यादा ट्रेड्स में शामिल हो रहा है और प्राइस बुलिश ट्रेंड में है।
6. Supertrend Indicator in Hindi
ट्रेडिंग में सुपरट्रेंड वह इंडिकेटर है जो ट्रेडर्स को ट्रेंड डायरेक्शन और संभावित ट्रेंड रिवर्सल के बारे में बताता है।
सुपरट्रेंड में दो लाइन होती हैं – upper लाइन जो ट्रेंड के डायरेक्शन को बताती है और lower लाइन जो ट्रेंड के रिवर्सल को बताती है।
सुपरट्रेंड का कैलकुलेशन पिछले दिन के हाई, लो, और क्लोजिंग प्राइस के आधार पर होता है।
- अगर price सुपरट्रेंड के ऊपर है, तब ये एक संभावित bullish सिग्नल हो सकता है और इंडिकेट करता है कि प्राइस अपट्रेंड में है।
- और अगर price सुपरट्रेंड के नीचे है, तब ये एक पोटेंशियल bearish सिग्नल हो सकता है और इंडिकेट करता है कि प्राइस डाउनट्रेंड में है।
- Supertrend के सिग्नल को कन्फर्म करने के लिए ट्रेडर्स दूसरे इंडिकेटर और प्राइस एक्शन को भी मानते हैं।
Example of Supertrend Indicator in Hindi:
अगर सुपरट्रेंड इंडिकेटर बुलिश सिग्नल दे रहा है और प्राइस अपर लाइन से ऊपर है, तब ट्रेडर्स को और भी फैक्टर जैसे कि ट्रेंड, वॉल्यूम, और सपोर्ट/रेजिस्टेंस लेवल का ध्यान देना चाहिए और कन्फर्म करना चाहिए कि एक पोटेंशियल अपट्रेंड है क्योंकि तभी सक्सेसफुल ट्रेड होने के चांसेस ज्यादा होंगे।
चार्ट पर इंडिकेटर का उपयोग कैसे करते हैं (How to use technical indicators in hindi)
अगर आप नहीं जानते कि शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करते समय टेक्निकल इंडिकेटर्स का उपयोग किस तरह किया जाता है तो नीचे इसके बारे में बताया गया है–
- सबसे पहले ब्रोकर ऐप के अंदर किसी भी स्टॉक का चार्ट ओपन करें।
- चार्ट पर ऊपर की ओर ‘ट्रेडिंग टूल्स‘ का आइकन दिखाई देगा, उस पर क्लिक करें।
- अब आपको बहुत सारे इंडिकेटर दिखाई देंगे जिसमें से आपको अपना पसंदीदा टेक्निकल इंडिकेटर सिलेक्ट करना है।
- आपको वही इंडिकेटर चुनना चाहिए जो आपकी ट्रेडिंग स्टाइल को सूट करता हो।
- इंडिकेटर सिलेक्ट करते ही वह प्राइस चार्ट पर अप्लाई हो जाएगा और आपको कुछ पैरामीटर्स दिखने लगेंगे।
- उदाहरण के लिए– अगर आपने RSI indicator चुना है तो आपको 0 से 100 का पैमाना दिखाई देगा जिसके अंदर एक लाइन होगी वह इसी स्केल के बीच घूमती रहेगी।
- जब प्राइस 100 लेबल के पास आता है तो समझ जाइये कि मार्केट overbought हो चुका है यानी इस समय sell करने से प्रॉफिट होगा और जब प्राइस 0 के समीप आएगा तो समझ लेना कि मार्केट oversold हो चुका है मतलब इस समय buy करने पर प्रॉफिट होगा।
उम्मीद करता हूं अब आप समझ गए होंगे कि चार्ट पर टेक्निकल इंडिकेटर कैसे लगाते हैं।
नीचे दी गई वीडियो में इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए 5 सबसे बेस्ट इंडिकेटर के बारे में बताया गया है–
चलिए अब अलग-अलग प्रकार के तकनीकी संकेतक से जुड़े हुए कुछ महत्वपूर्ण सवाल और उनके जवाब देख लेते हैं–
FAQ’s (Indicators meaning in stock market in Hindi)
शेयर मार्केट में सबसे अच्छा इंडिकेटर कौन सा है?
शेयर मार्केट में RSI यानी रिलेटिव स्ट्रैंथ इंडेक्स सबसे अच्छा इंडिकेटर है जोकि ट्रेडर्स के बीच काफी पॉपुलर है। यह तकनीकी संकेतक बाजार के ओवरबॉट और ओवरसोल्ड जोन के बारे में बताता है जिसके द्वारा इंट्राडे ट्रेडिंग करके आप हर दिन प्रॉफिट कमा सकते हैं।
ट्रेडिंग में इंडिकेटर कितने प्रकार के होते हैं?
ट्रेडिंग में मुख्य रूप से पांच प्रकार के टेक्निकल इंडिकेटर्स होते हैं; 1. रिलेटिव स्ट्रैंथ इंडेक्स (RSI) इंडिकेटर, 2. MACD इंडिकेटर 3. बॉलिंगर बैंड 4. मूविंग एवरेज 5. सुपर ट्रेंड तकनीकी इंडिकेटर
इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए सबसे अच्छा संकेतक कौन है?
इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए VWAP (वॉल्यूम वेटेड एवरेज प्राइस) सबसे बेस्ट इंडिकेटर माना जाता है। यह डे ट्रेडर्स के लिए प्राइस एक्शन और वॉल्यूम की सही जानकारी देने वाला सबसे अच्छा तकनीकी संकेतक है।
बैंक निफ्टी के लिए कौन सा इंडिकेटर सबसे अच्छा है?
बैंक निफ्टी के लिए आप सुपर ट्रेंड इंडिकेटर का उपयोग कर सकते हैं क्योंकि यह शेयर मार्केट के ट्रेंड को एनालाइज करके बैंकनिफ्टी चार्ट के बढ़ने या गिरने का संकेत देता है इसके अलावा यह संभावित ट्रेंड रिवर्सल के बारे में भी बताता है।
ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए सबसे अच्छा इंडिकेटर कौन सा है?
ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए VWAP एक अच्छा इंडिकेटर माना जाता है। यह बाजार के वॉल्यूम को देखकर सपोर्ट और रेजिस्टेंस का पता लगाता है और कॉल या पुट ऑप्शंस का प्राइस ऊपर या नीचे जाने का संकेत देता है। इसके अलावा ऑप्शन ट्रेडिंग में MACD और बोलिंगर बैंड भी अच्छे तकनीकी संकेतक है।
Share Market Indicators in Hindi – ‘Conclusion’
इस पोस्ट में आपने जाना कि शेयर मार्केट में तकनीकी संकेतक यानी इंडिकेटर क्या होते हैं, इंडिकेटर कितने प्रकार के होते हैं और ट्रेडिंग में टेक्निकल इंडिकेटर का उपयोग कैसे करते हैं। इसके अलावा बैंकनिफ्टी, इंट्राडे ट्रेडिंग और ऑप्शन ट्रेडिंग में कौन सा इंडिकेटर सबसे अच्छा है इसके बारे में भी हमने बात की।
उम्मीद करता हूं आपको stock market indicators के बारे में यह जानकारी उपयोग की लगी होगी। अगर आपका किसी भी इंडिकेटर से जुड़ा कोई सवाल है तो नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर पूछिये।