क्या आप भी ऑप्शन ट्रेडिंग को शुरू से अंत तक बिल्कुल आसान भाषा में सीखना चाहते हैं अगर हां तो आज मैं आपको एक ‘बेस्ट ऑप्शन ट्रेडिंग बुक‘ के बारे में बताने वाला हूं जिसके द्वारा आप ऑप्शन ट्रेडिंग को beginner से advance लेवल तक सीख सकते हैं।
अगर आप अभी शेयर मार्केट ट्रेडिंग में बिल्कुल नए हैं और आपको trading बारे में ज्यादा कुछ नहीं पता तब भी आप इस किताब को पढ़कर लाइव मार्केट में ऑप्शन ट्रेडिंग करने तक सब कुछ उदाहरण के साथ प्रैक्टिकल तरीके से सीख सकते हैं.
तो अगर आप जानना चाहते हैं कि–
- ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है और इसे कैसे सीखें,
- ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे काम करती है,
- ऑप्शन ट्रेडिंग से हर दिन रेगुलर पैसे कैसे कमाएं,
- कॉल (CE) और पुट (PE) ऑप्शन्स क्या होते हैं, इनमें क्या अंतर है और इन्हें कैसे ट्रेड करते हैं,
- कॉल और पुट को कब खरीदना और बेचना चाहिए,
- ऑप्शन ग्रीक्स यानी डेल्टा, थीटा, गामा, वेगा आदि क्या होते हैं,
- ऑप्शन ट्रेडिंग में आईटीएम, एटीएम और ओटीएम ऑप्शन क्या होते हैं,
- Nifty, Banknifty या stocks में ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करते हैं,
- ऑप्शन चेन क्या होती है, ऑप्शन चैन कैसे देखें और समझें और इसकी मदद से ऑप्शन ट्रेडिंग करके पैसे कैसे कमाते हैं,
- ऑप्शन ट्रेडिंग में चार्ट एनालिसिस कैसे करते हैं,
- ऑप्शन ट्रेडिंग से पैसा कमाने के नियम और बेस्ट स्ट्रेटजीस क्या है,
अगर आपको यह सब सीखना है तो ये ‘Best Option Trading Book’ आपके लिए complete guide है. इस किताब को पढ़कर आप ऑप्शन ट्रेडिंग में शुरुआत करने से लेकर सफल ऑप्शन ट्रेडर बनने तक सब कुछ प्रैक्टिकल तरीके से डिटेल में जानेगें.
Option Trading Book 2024 की जानकारी
नीचे इस ऑप्शन ट्रेडिंग किताब की कुछ डिटेल्स दी गई है–
Book Name | Best option trading Book |
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Language | Hindi |
Format | |
Pages | 283 |
Ratings | 4.9/5 |
Author | Deepak Sen |
Total Chapter | 23 |
Book Size | 6.5MB |
Download Link | Given Below |
इस ऑप्शन ट्रेडिंग बुक में आप क्या सीखेंगे?
चलिए अब जानते हैं कि इस option trading book में आप क्या- क्या सीखेंगे–
- ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है, ऑप्शन ट्रेडिंग का इतिहास, ऑप्शन ट्रेडिंग की शुरुआत कब कहां और कैसे हुई थी,
- शेयर मार्केट में ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे काम करती है और इससे पैसा कैसे बनता है,
- ऑप्शन क्या है और कितने प्रकार के होते हैं (उदाहरण सहित),
- कॉल ऑप्शन (CE) क्या है, यह कैसे काम करता है और इसे खरीदकर और बेचकर पैसे कैसे कमाते हैं,
- पुट ऑप्शन (PE) क्या है, यह कैसे काम करता है और इसे खरीदकर और बेचकर पैसे कैसे कमाते हैं,
- ऑप्शन के प्रीमियम क्या होते हैं और इनका प्राइस कैसे घटता है या बढ़ता है,
- ऑप्शन ट्रेडिंग में स्ट्राइक प्राइस क्या होते हैं और किसी भी ऑप्शन को किस स्ट्राइक प्राइस पर और कब buy और sell करना चाहिए,
- ऑप्शन बायर और ऑप्शन सेलर (राइटर) कौन होते हैं, ऑप्शन बाइंग और सेलिंग में क्या ज्यादा प्रॉफिटेबल है,
- ऑप्शन बायर और ऑप्शन सेलर पैसे कैसे कमाते हैं,
- ऑप्शंस में एक्सपायरी डेट क्या होती है और आपको किस एक्सपायरी डेट का ऑप्शन कितने समय के लिए खरीदना और बेचना चाहिए,
- फ्यूचर एंड ऑप्शंस (f&o) कॉन्ट्रैक्ट क्या होते हैं और अंडरलाइंग ऐसेट क्या है,
- कॉल और पुट ऑप्शन की इंटरिंसिक वैल्यू क्या होती है,
- Time decay क्या होता है और इसके कारण प्रीमियम की वैल्यू हर समय कम क्यों होती रहती है,
- ऑप्शन ट्रेडिंग में इन द मनी (ITM), एट द मनी (ATM), और आउट द मनी (OTM) ऑप्शंस क्या होते हैं,
- ऑप्शन ग्रीक (डेल्टा थीटा, गामा, वेगा, रो) क्या होते हैं उदाहरण के साथ,
- वोलैटिलिटी क्या है और इससे ऑप्शन ग्रीक्स पर क्या प्रभाव पड़ता है,
- ऑप्शन ट्रेडिंग में वोलैटिलिटी कम या ज्यादा होने पर आपको अपने रिस्क को कैसे मैनेज करना चाहिए,
ऊपर दी गई सभी चीजें आप इस ऑप्शन ट्रेडिंग बुक में सीखने वाले हैं और वो भी screenshot, images और प्रैक्टिकल उदाहरण के साथ.
केवल इतना ही नहीं इसके अलावा इस किताब में आपको ऑप्शन ट्रेडिंग की बहुत सारी case studies और examples के बारे में बताया है. साथ ही अलग-अलग चार्ट के माध्यम से ऑप्शन ट्रेडिंग में कब और किस स्ट्राइक प्राइस पर कौन सा ऑप्शन कब खरीदना है और कब बेचना है, इसके बारे में बहुत ही सटीक तरीके से बताया गया है।
तो अगर आप एक शुरुआती beginner हैं और ऑप्शन ट्रेडिंग को सीखकर लाइव मार्केट में ट्रेडिंग करके पैसा कमाना चाहते हैं तो यह ‘best option trading hindi book‘ आपको जरूर पढ़ना चाहिए.
Option Trading PDF in Hindi
यह किताब डाउनलोड करने से पहले आपको ऑप्शन ट्रेडिंग से रिलेटेड नीचे दी गई कुछ बेसिक terms के बारे में जानना बहुत जरूरी है क्योंकि जब आप इस book को पढ़ेंगे तो आपके लिए सभी चीजों को समझना और भी आसान हो जाएगा.
- ऑप्शन
- कॉल और पुट
- स्ट्राइक प्राइस
- आईटीएम, एटीएम और ओटीएम
- ऑप्शन चैन
- ऑप्शन बाइंग
- ऑप्शन सेलिंग
- प्रीमियम
- लॉट साइज
- ऑप्शन ग्रीक्स
- प्रीमियम decay
- ऑप्शन स्ट्रेटजी
- वोलैटिलिटी
- वॉल्यूम
- टाइम फ्रेम
- ऑप्शन एक्सपायरी
- ओपन इंटरेस्ट (OI)
तो चलिए एक-एक करके ऑप्शन ट्रेडिंग की इन सभी बेसिक टर्म्स को समझ लेते हैं–
1. ऑप्शन
ऑप्शन का मतलब है किसी ‘अंडरलाइंग एसेट का डेरिवेटिव कांट्रैक्ट’
उदाहरण के लिए– अगर आप आप रिलायंस कंपनी के शेयर का कोई कॉल ऑप्शन खरीदते हैं तो ऐसे में रिलायंस का स्टॉक ‘अंडरलाइंग एसेट’ होगा और जो उसका कॉल ऑप्शन है वह ‘डेरिवेटिव कांट्रैक्ट’ होगा.
डेरिवेटिव का अर्थ है एक ऐसी चीज जिसकी अपनी खुद की कोई वैल्यू नहीं होती है बल्कि उसकी वैल्यू अपने underlying asset की वैल्यू पर डिपेंड होती है.
जैसा कि ऊपर दिए गए उदाहरण में हमने देखा कि कॉल ऑप्शन की वैल्यू रिलायंस के शेयर प्राइस पर डिपेंड करती है मतलब जब-जब रिलायंस का शेयर प्राइस ऊपर जाएगा तो उसके कॉल ऑप्शन की वैल्यू भी बढ़ेगी.
और जब-जब रिलायंस का शेयर प्राइस नीचे जाएगा तो उसके कॉल ऑप्शन की वैल्यू भी कम होती जाएगी.
इसका मतलब यह हुआ कि किसी भी ऑप्शन की अपनी खुद की वैल्यू नहीं होती है बल्कि उसका प्राइस कितना बढ़ेगा या गिरेगा, यह उसके अंडरलाइंग एसेट के परफॉर्मेंस पर निर्भर करता है.
यानी कि कोई भी स्टॉक हो उसके कॉल या पुट ऑप्शन का प्राइस तभी ऊपर नीचे होगा जब उस स्टॉक का प्राइस ऊपर नीचे होगा.
यह बात सिर्फ शेयर के ऑप्शन पर ही नहीं बल्कि इंडेक्स (जैसे; निफ्टी और बैंकनिफ़्टी) के ऑप्शन पर भी निर्भर करती है.
मतलब अगर आपने Nifty का कोई कॉल ऑप्शन खरीदा है तो उसका प्राइस केवल तभी बढ़ेगा जब निफ्टी ऊपर जाएगा.
2. कॉल और पुट
ऑप्शन दो प्रकार के होते हैं कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन. कॉल ऑप्शन को शॉर्ट में CE कहते हैं और पुट ऑप्शन को शॉर्ट में PE कहते हैं।
कॉल ऑप्शन (CE) का प्राइस तभी बढ़ता है जब मार्केट ऊपर जाता है जबकि पुट ऑप्शन (PE) का प्राइस तब बढ़ता है जब मार्केट नीचे जाता है.
उदाहरण के लिए; मान लो अभी Nifty 19500 पॉइंट पर चल रहा है. और अब आप निफ्टी का 19500 स्ट्राइक प्राइस का कॉल ऑप्शन यानी CE 100 रुपये में खरीद लेते हैं
अब मान लो कुछ समय बाद निफ्टी 19500 पॉइंट से बढ़कर 19600 पॉइंट पर चला जाता है तो ऐसे में आपके द्वारा खरीदे गए कॉल ऑप्शन की कीमत भी बढ़ जाएगी.
अब आप सोच रहे होंगे कि निफ्टी अगर 100 पॉइंट बड़ा तो आपके द्वारा खरीदे गए कॉल ऑप्शन की कीमत कितनी बढ़ेगी क्या यह 100 रुपये बढ़ जाएगी?
तो मैं आपको बता दूं कि ऐसा नहीं है क्योंकि आपके द्वारा खरीदे गए कॉल या पुट ऑप्शन की वैल्यू उसके अंडरलाइंग एसेट के मुकाबले कितनी बढ़ेगी या घटेगी यह ऑप्शन ग्रीक्स पर निर्भर करता है इसके बारे में हम आपको आगे बताने वाले हैं लेकिन उससे पहले जान लेते हैं स्ट्राइक प्राइस के बारे में–
3. स्ट्राइक प्राइस
किसी कॉल या पुट ऑप्शन का स्ट्राइक प्राइस वह प्राइस होता है जिस पर उस ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट को ट्रेड किया जाता है. किसी भी स्टॉक या इंडेक्स के अलग-अलग स्ट्राइक प्राइस होते हैं और उनके कॉल और पुट की वैल्यू भी अलग-अलग होती है।
उदाहरण के लिए;
- अगर अभी निफ्टी 19500 पॉइंट पर मार्केट में ट्रेड कर रहा है तो इसके बहुत सारे स्ट्राइक प्राइस होंगे जैसे; 19500 जिसे ATM यानी At The Money कहते हैं.
- और 19500 से ऊपर के जितने भी स्ट्राइक प्राइस हैं जैसे; 19600, 19700, 19800, 19900… इन सभी को OTM यानी Out The Money कहते हैं
- और 19500 से नीचे 19400, 19300, 19200, 19100…इन सभी को ITM यानी In The Money कहते हैं.
आईए अब ITM, ATM और OTM को थोड़ा और अच्छे से जान लेते हैं–
4. आईटीएम, एटीएम और ओटीएम
अब आप इतना तो समझ चुके होंगे कि;
किसी भी स्ट्राइक प्राइस से ऊपर के जितने भी कॉल या पुट ऑप्शन होते हैं उन्हें ओटीएम यानी आउट द मनी ऑप्शन कहते हैं.
और स्ट्राइक प्राइस से नीचे के जितने भी कॉल या पुट ऑप्शन होते हैं उन्हें आईटीएम यानी इन द मनी ऑप्शन कहते हैं.
और मार्केट में कोई स्टॉक या इंडेक्स जिस प्राइस पर ट्रेड हो रहा है यानी उसका भाव जिस कीमत पर चल रहा है उसे हम एटीएम यानी एट द मनी ऑप्शन कहते हैं.
इन सभी के बारे में विस्तार से जानने के लिए पढ़े–
5. ऑप्शन चेन
जब आप ऑप्शन ट्रेडिंग में कदम रखेंगे तो आपको ऑप्शन चेन के बारे में बार-बार सुनने को मिलेगा. जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि यह अलग-अलग प्रकार के ऑप्शन की चेन होती है जिसे हर एक ऑप्शन ट्रेडिंग करने वाले व्यक्ति को समझना बहुत जरूरी है.
ऑप्शन चैन में आपको बहुत सारे उपयोगी डेटा एक ही जगह पर देखने को मिल जाते हैं.
जैसे; अगर आप NSE की वेबसाइट पर जाकर बैंकनिफ्टी की ऑप्शन चैन खोलते हैं तो वहां पर आपको बहुत सारा डाटा एक ही पेज पर नजर आ जाएगा.
इस पेज पर आप देखेंगे कि जो बीच का कॉलम है उसमें आपको मल्टीपल स्ट्राइक प्राइस नजर आएंगे.
Left साइड आपको अलग-अलग स्ट्राइक प्राइस के कॉल ऑप्शन का डाटा दिखेगा जबकि Right side आपको अलग-अलग स्ट्राइक प्राइस के पुट ऑप्शन का डाटा दिखेगा.
अगर आप ऑप्शन चैन के बारे में विस्तार से समझना चाहते हैं तो अभी पढ़े–
- ऑप्शन चेन क्या है और इसे कैसे समझे? (पूरी जानकारी विस्तार से)
6. ऑप्शन बाइंग
ऑप्शन बाइंग का मतलब है ऑप्शन को खरीदना. जैसा कि आपको पता है किसी भी प्रकार की ट्रेडिंग में buyer और seller इन दो लोगों की जरूरत होती है.
अगर देखा जाए तो इंडिया में ऑप्शन ट्रेडिंग में लगभग 80% लोग option buying करते हैं जबकि सिर्फ 20% लोग ही option selling करते हैं.
इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि ऑप्शन में कोई भी नए व्यक्ति बहुत कम पैसों से स्टार्ट कर सकता है जबकि ऑप्शन सेलिंग के लिए मिनिमम 1 से 2 लाख रुपए की जरूरत पड़ती है.
इसीलिए हर एक नया व्यक्ति जो ऑप्शन ट्रेडिंग में कदम रखता है वह सबसे पहले ऑप्शन buying करने की तरफ आकर्षित होता है क्योंकि इसमें आप 5000 या 10000 रुपए से आसानी से शुरुआत कर सकते हैं।
लेकिन याद रखिए option buying में रिस्क भी बहुत ज्यादा होता है क्योंकि इसमें ऑप्शन के प्राइस बहुत तेजी से ऊपर नीचे होते रहते हैं जिसके कारण आपको एक बहुत बड़ा लॉस बहुत ही कम टाइम में हो सकता है.
और यही कारण है कि इंडिया में लगभग 90% ऑप्शन buyers नुकसान करते हैं जबकि केवल 10% ही प्रॉफिट कमा पाते हैं।
7. ऑप्शन सेलिंग
अगर बात करें ऑप्शन सेलिंग की तो ज्यादातर ऐसे लोग ऑप्शन सेलिंग करते हैं जिनके पास अधिक पैसा होता है. यह ऑप्शन बाइंग का बिल्कुल उल्टा है मतलब इसमें आपको कैपिटल तो अधिक इन्वेस्ट करना पड़ता है लेकिन रिस्क भी बहुत कम होता है।
ऑप्शन selling में आपको यह पता लगाना होता है कि मार्केट कहां तक नहीं जाएगा जबकि ऑप्शन पाएंगे मैं आपको यह पता लगाना होता है की मार्केट कहां तक जाएगा.
अगर आप इन दोनों बातों को गहराई से समझते हैं तो आप ऑप्शन ट्रेडिंग से प्रॉफिट कमा सकते हैं।
ऑप्शन सेलिंग के बारे में विस्तार से जानने के लिए आप नीचे दी गई पोस्ट पढ़ सकते हैं–
- ऑप्शन सेलिंग क्या है (पूरी जानकारी हिंदी में)
8. प्रीमियम
ऑप्शन ट्रेडिंग में कॉल (CE) और पुट (PE) के प्राइस को प्रीमियम कहते है मतलब कोई कॉल या पुट ऑप्शन जिसकी कीमत पर बिकता है उसे Premium कहा जाता है।
यही प्रीमियम ऑप्शन सेलर का प्रॉफिट होता है जबकि ऑप्शन buyer को अपनी जेब से देना पड़ता है.
मतलब जब आप कोई कॉल या पुट खरीदते हैं तो उसके लिए आपको एक प्रीमियम (call या put ऑप्शन का प्राइस) देना पड़ता है जिसकी कीमत ऑप्शन सेलर डिसाइड करता है इसीलिए ऑप्शन सेलर को ऑप्शन राइटर भी कहते हैं।
9. लॉट साइज
जिस तरह आप एक शेयर खरीद सकते हैं उस प्रकार 1 कॉल या पुट ऑप्शन नहीं खरीद सकते बल्कि इसे आपको लॉट साइज के हिसाब से खरीदना पड़ता है।
उदाहरण के लिए; अभी निफ्टी का लोट साइज 50 है और बैंकनिफ्टी का लोट साइज 15 है
इसका मतलब है कि– अगर आप निफ्टी का कोई कॉल या पुट खरीदते हैं तो आपको कम से कम 50 क्वांटिटी खरीदना होगा जबकि अगर आप निफ्टी का कोई कॉल या पुट खरीदते हैं तो आपको कम से कम 15 क्वांटिटी खरीदना होगा.
मान लो अभी Nifty के 19000 स्ट्राइक प्राइस के पुट ऑप्शन यानी PE की कीमत 150 रुपये है.
अब आपको लगता है की मार्केट नीचे जाने वाला है इसलिए पुट खरीदने से फायदा होगा यही सोचकर आप यह PE खरीदने का निर्णय लेते हैं.
तो क्योंकि यह बहुत ऑप्शन निफ्टी का है इसलिए इसके लिए आपको मिनिमम 1 lot यानी 50 क्वांटिटी खरीदना होगा
यानी कि आपको कम से कम 150×50 = 7500 रुपये इन्वेस्ट करना होगा. केवल तभी आप यह पुट ऑप्शन खरीद सकते हैं।
ठीक इसी प्रकार अगर आपको बैंकनिफ्टी का कोई 150 रुपये का कॉल या पुट ऑप्शन खरीदना है तो आपको मिनिमम 150×15 = 2250 रुपये लगाकर खरीद सकते हैं.
10. ऑप्शन ग्रीक्स
ऑप्शन ग्रीक्स कुछ ऐसे पैरामीटर होते हैं जो यह बताते हैं कि किसी स्ट्राइक प्राइस के ऊपर या नीचे होने से उसके ऑप्शन की कीमत में क्या बदलाव होता है.
मतलब जब किसी अंडरलाइंग एसेट का प्राइस बढ़ता या गिरता है तो उसके ऑप्शन की कीमतों पर इसका क्या असर पड़ता है.
ऑप्शन ग्रीक्स 5 प्रकार के होते हैं–
- डेल्टा (Delta)
- थीटा (Theta)
- गामा (Gamma)
- वेगा (Vega)
- रो (Rho)
ऑप्शन की कीमतों को डिसाइड करने में इन पांचो में से पहले चार ऑप्शन ग्रीक्स का ही मुख्य रोल होता है आखिरी ऑप्शन ग्रीक यानी Rho का उसे बहुत ही कम किया जाता है.
चलिए इन सभी के बारे में एक-एक करके शॉर्ट में जान लेते हैं–
1. Delta
डेल्टा आपको बताता है कि किसी underlying asset (निफ्टी या बैंक निफ्टी) के मुकाबले उसके प्रीमियम की वैल्यू कितनी गुना बढ़ेगी. डेल्टा की वैल्यू 0 से 1 के बीच होती है जो ATM, ITM और OTM पर अलग अलग होती है।
2. Theta
थीटा का मतलब होता है ‘Time Value’ या ‘Time decay’ जैसा कि आपको पता है कि हर एक ऑप्शन की एक्सपायरी डेट होती है जो की weekly या monthly हो सकती है।
थीटा यह दर्शाता है कि किसी ऑप्शन के प्रीमियम का प्राइस टाइम बचने के साथ-साथ किस रफ्तार से कम होता है।
उदाहरण के लिए; अगर किसी ऑप्शन के थीटा की वैल्यू ज्यादा है तो इसका मतलब है कि एक्सपायरी नजदीक आने के साथ-साथ उस ऑप्शन के प्रीमियम की कीमत बहुत तेजी से गिरेगी यानी कम होगी.
वहीं दूसरी ओर अगर किसी ऑप्शन का थीटा बहुत कम है तो इसका मतलब है कि उस ऑप्शन की कीमत इतनी ज्यादा नहीं गिरेगी।
आपको बता दें कि किसी भी ऑप्शन के थीटा की वैल्यू उसके एक्सपायरी पर सबसे ज्यादा होती है और इसीलिए आपने देखा होगा कि एक्सपायरी वाले दिन थोड़ा सा मार्केट गिरने पर ही किसी भी कॉल या पुट ऑप्शन के प्रीमियम की कीमत बहुत तेजी से कम होती है।
3. Gamaa
आसान भाषा में, डेल्टा में बदलाव की दर को ही गामा कहते हैं मतलब डेल्टा की वैल्यू समय के साथ-साथ कितनी तेजी से बढ़िया घट रही है इस बदलाव को ही बताना गामा का काम होता है।
4. Vega
वेगा किसी ऑप्शन की volatility को दर्शाता है। आपने देखा होगा कि कई बार मार्केट में वोलेटिलिटी बहुत ज्यादा होती है उस समय ऑप्शन प्रीमियम के प्राइस घटने की बजाए बढ़ते रहते हैं.
मतलब वेगा दर्शाता है कि मार्केट में कितनी ज्यादा uncertainity है या फिर बाजार किसी भी समय बहुत ज्यादा ऊपर जा सकता है या फिर बहुत ज्यादा नीचे.
Vega की वैल्यू कितनी ज्यादा होगी इसका मतलब है कि मार्केट में कभी भी बहुत बड़ा move आ सकता है चाहे फिर वह ऊपर की तरफ हो या नीचे की तरफ.
5. Rho
Rho ऑप्शन की इंटरेस्ट रेट में बदलाव आदि के बारे में बताता है जिसका ऑप्शन की कीमतों पर कुछ खास असर नहीं होता है इसलिए इसके बारे में जानना कोई खास जरूरी नहीं है
सभी ऑप्शन ग्रीक्स के बारे में उदाहरण के साथ विस्तार से जानने के लिए आप नीचे दी गई पोस्ट पढ़ सकते हैं–
- ऑप्शन ग्रीक्स क्या होते हैं (पूरी जानकारी)
11. प्रीमियम decay
आपको याद होगा ऊपर आपने थीटा के बारे में पढ़ा कि किसी भी ऑप्शन के प्रीमियम की वैल्यू उसके एक्सपायरी नजदीक आने के साथ-साथ कम होती रहती है भले ही उसका अंडरलाइन एसेट बहुत समय ऊपर नीचे होने के बाद एक्सपायरी डेट पर इस प्राइस के आसपास ट्रेड कर रहा हो जहां से उसने शुरू किया था तो प्रीमियम की कीमतों में होने वाली इस कमी को ही premium decay कहते हैं।
उदाहरण के लिए–
मान लो सोमबार को Nifty 19500 पर ट्रेड कर रहा है. अब आपको लगता है कि आज मार्केट ऊपर जाएगा इसलिए आप सुबह-सुबह निफ़्टी का 100 रुपये का कोई कॉल ऑप्शन खरीद लेते हैं.
4-5 घंटे बीत जाने के बाद आप निफ्टी के प्राइस में थोड़ी बहुत मूवमेंट हुई लेकिन price ऊपर नीचे होता हुआ 19500 पर ही वापस आ गया, मतलब मार्केट जहां था वहीं आ गया.
लेकिन आप देखते हैं कि जो कॉल ऑप्शन आपने 100 रुपये का खरीदा था अब उसकी वैल्यू घटकर 80 रुपये हो गई है.
मतलब भले ही मार्केट नीचे ना गया हो लेकिन फिर भी टाइम बीतने के साथ-साथ आपके ऑप्शन की कीमत घटती रहती है मतलब समय के साथ-साथ प्रीमियम decay यानी कम होता रहता है
इसीलिए प्रीमियम के प्राइस में आई इस कमी को ऑप्शन ट्रेडिंग में premium decay कहते हैं और प्रीमियम डीके किस रफ्तार से होता है यह हमें थीटा बताता है इसके बारे में हम ऊपर बात कर चुके हैं।
12. ऑप्शन स्ट्रेटजी
देखिए अगर आपको ऑप्शन ट्रेडिंग से सच में पैसा कमाना है तो आपको किसी न किसी स्ट्रेटजी का उपयोग जरूर करना होगा.
एक सफल ऑप्शन ट्रेडर और असफल ऑप्शन ट्रेडर में यही अंतर होता है कि असफल ट्रेड बिना कुछ सोचे समझे कोई भी कॉल या पुट खरीद लेता है जबकि सफल ऑप्शन ट्रेड किसी न किसी स्ट्रेटजी का उपयोग जरूर करता है।
ऑप्शन स्ट्रेटजी का use करके आप अपने रिस्क को बहुत ही कम कर सकते हैं क्योंकि आपको पता होगा कि मैक्सिमम आपका कितना लॉस हो सकता है.
और आपको किस जगह पर स्टॉपलॉस लगाना है।
क्योंकि देखा जाए तो ऑप्शन ट्रेडिंग में जो लोग पैसा कमाते हैं उनकी सबसे बड़ी गलती यही होती है कि वह बिना किसी स्ट्रेटजी का उपयोग किया और बिना स्टॉप लॉस लगाए सीधा ही ऑप्शन ट्रेडिंग में कूद पड़ते हैं।
इसीलिए अच्छा यही होगा कि किसी न किसी स्ट्रेटजी का उपयोग जरूर करें।
ऑप्शन ट्रेडिंग की सभी स्ट्रैटेजिस के बारे में उदाहरण के साथ विस्तार से पढ़ने और समझने के लिए आप नीचे दी गई पोस्ट पढ़ सकते हैं–
13. वोलैटिलिटी
वोलैटिलिटी का मतलब है अनिश्चितता. मतलब बाजार को यह पता नहीं है की मार्केट किस तरफ जाने वाला है लेकिन यह जरूर पता है की मार्केट में एक बड़ा upside या downside move आने वाला है। सबसे ज्यादा वोलैटिलिटी किसी खास इवेंट पर ही होती है
उदाहरण के लिए– जब इंडिया में बजट का अनाउंसमेंट होने वाला होता है तो उस दिन मार्केट में बहुत ज्यादा वोलैटिलिटी देखी जाती है.
इसका अगर हम दूसरा उदाहरण देखें तो जब रिजर्व बैंक आफ इंडिया कोई ऑफिशल अनाउंसमेंट करती है जिसका हमारे देश की economy और शेयर मार्केट में लिस्टेड कंपनियों पर बहुत ज्यादा दिख सकता है तो ऐसे मौकों पर वोलैटिलिटी काफी ज्यादा बढ़ जाती है।
14. वॉल्यूम
वॉल्यूम का अर्थ होता है ‘number of trades’. मतलब बाजार में कितने ज्यादा बायर्स या सेलर्स हैं और वह कितनी ज्यादा quantity को buy या sell कर रहे हैं इस चीज को वॉल्यूम प्रदर्शित करता है।
उदाहरण के लिए; जिस दिन शेयर मार्केट में बहुत बड़ी तेजी आने वाली होती है तो उस दिन buying side का ट्रेडिंग वॉल्यूम बहुत ज्यादा होता है.
ठीक इसी का उल्टा जिस दिन शेयर मार्केट में गिरावट होने की संभावना होती है उस दिन selling side का ट्रेडिंग वॉल्यूम बहुत ज्यादा होता है.
तो इस प्रकार volume देखकर आप थोड़ा बहुत अनुमान लगा सकते हैं कि मार्केट आज किस दिशा में जा सकता है।
15. चार्ट और टाइम फ्रेम
जब आप ऑप्शन ट्रेडिंग या फिर किसी भी प्रकार की ट्रेडिंग करते हैं तो आपको चार्ट देखना पड़ता है. मतलब मान लो अगर आप बैंकनिफ्टी में ट्रेडिंग करते हैं तो आपको banknifty का चार्ट देखना होगा.
चार्ट देखने से आपको पता चलता है कि मार्केट में किस लेवल पर सपोर्ट और रेजिस्टेंस है मतलब बाजार किस प्राइस रेंज के अंदर ट्रेड कर सकता है और किस लेवल पर ब्रेकआउट होने पर एक बड़ी तेजी या गिरावट आ सकती है।
लेकिन जरूरी यह है कि आप किस टाइमफ्रेम (1 मिनट, 5 मिनट, 15 मिनट या 30 मिनट आदि) का चार्ट देख रहे हैं।
क्योंकि हो सकता है कि 5 मिनट के चार्ट पर आपको bullish यानी हरी कैंडल बनती हुई दिखाई दे रही हो वहीं 15 मिनट के टाइम फ्रेम पर लाल कैंडल बनती हुई नजर आ रही हो.
आपको बता दें कि हरी कैंडल का मतलब होता है मार्केट ऊपर जाने का संकेत दे रहा है और लाल कैंडल बनने का मतलब होता है मार्केट नीचे जाने का संकेत दे रहा है।
इसीलिए जब भी आप ऑप्शन ट्रेडिंग करें या फिर किसी भी प्रकार की ट्रेडिंग करें तो भले ही आप किसी भी टाइमफ्रेम के चार्ट का एनालिसिस करते हो
लेकिन उसे एक बार बड़े टाइम फ्रेम पर भी जरूर देखना चाहिए क्योंकि इससे आपको बाजार की ट्रेंड का एक बड़ा नजरिया मिल जाता है कि मार्केट ओवरऑल किस तरफ जा सकता है।
16. ऑप्शन एक्सपायरी
ऑप्शन ट्रेडिंग में प्रत्येक ऑप्शन की एक एक्सपायरी डेट होती है जिसमें index की वीकली एक्सपायरी होती है जबकि stocks की मंथली एक्सपायरी होती है।
स्टॉक्स की जो मंथली एक्सपायरी है वह हर महीने के आखिरी हफ्ते को गुरुवार के दिन होती है और किस इंडेक्स की एक्सपायरी किस दिन होती है इसके बारे में नीचे बताया गया है–
Days | Index Name |
---|---|
Monday | Mid cap |
Tuesday | Finnifty |
Wednesday | Banknifty |
Thursday | Nifty |
Friday | Sensex |
17. ओपन इंटरेस्ट (OI)
ऑप्शन ट्रेडिंग में अपनी accuracy यानी प्रॉफिट की संभावना बढ़ाने के लिए आपको Open Interest यानी OI के बारे में जानना बहुत जरूरी है. प्रत्येक कॉल या पुट ऑप्शन का ओपन इंटरेस्ट अलग-अलग होता है जो कि आपको ऑप्शन चैन में दिखाई देता है।
ओपन इंटरेस्ट बताता है कि किसी कॉल या पुट ऑप्शन को में कितने लोगों ने अपनी पोजीशन बना रखी है।
अगर किसी स्ट्राइक प्राइस के ऑप्शन पर ओपन इंटरेस्ट बहुत ज्यादा है तो इसका मतलब है कि वह स्ट्राइक प्राइस मार्केट में कोई बड़ा सपोर्ट या रेजिस्टेंस हो सकता है।
अधिकतर ऐसा देखा जाता है कि जो हजार या 500 की रेंज के राउंड levels होते हैं जैसे; अगर निफ्टी का देखे तो 18000, 18500, 19000, 19500, 20000 आदि इस प्रकार के लेवल्स पर हमें कोई ना कोई सपोर्ट या रेजिस्टेंस देखने को मिलता है।
इसका मतलब है मार्केट के इन round levels को टच करने के बाद रिवर्स होने के चांस बहुत ज्यादा होते हैं या फिर मार्केट अगर इन लेवल्स को ब्रेकआउट करता है मतलब क्रॉस करता है
तो जिस तरफ मार्केट क्रॉस करता है उस तरफ हमें एक बड़ा move हमें देखने को मिल सकता है।
तो यह थी option trading की कुछ बेसिक terms जिनसे आपको काफी कुछ सीखने को मिला होगा.👍
How to Download Option Trading Book PDF in Hindi?
‘Best Option Trading Book in Hindi’ कैसे डाउनलोड करें? –
- यह ऑप्शन ट्रेडिंग बुक डाउनलोड करने के लिए ‘इस लिंक‘ पर क्लिक करें.
- इस पर क्लिक करते ही अगले पेज पर आपको अपना नाम और ईमेल एड्रेस डालना होगा।
- फिर आपको गूगल ड्राइव के पेज पर रीडायरेक्ट कर दिया जाएगा।
- इसी पेज पर ऊपर दिए गए डाउनलोड के आइकन पर क्लिक करते ही यह ऑप्शन ट्रेडिंग किताब डाउनलोड हो जाएगी.
- फिर आप इसे जब चाहे तब ऑनलाइन पढ़ सकते हैं.
ऊपर दिए गए डाउनलोड बटन पर क्लिक करके भी आप इस बिगनर तो एडवांस ऑप्शन ट्रेडिंग बुक को डाउनलोड कर सकते हैं.
- Option Chain Analysis in Hindi PDF
- Option Trading Strategies Book in Hindi (Free PDF Download)
- Best Candlestick Patterns Book in Hindi
- Chart Patterns PDF Free Download in Hindi
- Chart Patterns Cheat Sheet PDF Download Free
चलिए अब इस किताब से जुड़े हुए कुछ बेसिक सवाल और उनके जवाब जान लेते हैं–
इस किताब से जुड़े सवाल
क्या यह ऑप्शन ट्रेडिंग बुक हिंदी भाषा में है?
जी हां, यह ऑप्शन ट्रेडिंग की किताब हिंदी भाषा में लिखी गई है और हर एक कठिन शब्द को उदाहरण के साथ बहुत सिंपल तरीके से समझाया गया है।
क्या इस बुक को पढ़कर ऑप्शन ट्रेडिंग करना सीख सकते हैं?
जी हां, इस किताब को पढ़कर ऑप्शन ट्रेडिंग सीखी जा सकती है क्योंकि ऑप्शन ट्रेडिंग से आप तब तक प्रॉफिट नहीं कमा सकते जब तक आपको ऑप्शंस के सभी बेसिक फंडामेंटल पता नहीं होंगे जैसे; कॉल ओरपुर कैसे काम करते हैं, स्ट्राइक प्राइस, वोलैटिलिटी, ऑप्शन ग्रीक्स आदि क्या है और इन सभी के बारे में इस किताब में बहुत ही विस्तार से बताया गया है।
क्या यह किताब ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए बेस्ट है?
जी हां, यह किताब उन लोगों के लिए बेस्ट है जो ऑप्शन ट्रेडिंग को शुरुआत से सीखना चाहते हैं यानी कि जिनको ऑप्शन ट्रेडिंग के बारे में ज्यादा कुछ नहीं पता फिर भी बिल्कुल बेसिक से एडवांस तक उदाहरण के साथ प्रेक्टिकल तरीके से ऑप्शन ट्रेडिंग सीखना चाहते हैं तो यह किताब option trading book आपके लिए बेस्ट है।
क्या यह ऑप्शन ट्रेडिंग बुक फ्री है?
जी नहीं, दोस्तों यह ऑप्शन ट्रेडिंग बुक फ्री नहीं है लेकिन ज्यादा महंगी भी नहीं है इसकी कीमत मात्र 123 रुपये है जिसे आप ऊपर दिए डाउनलोड बटन पर क्लिक करके खरीद सकते हैं।
इस ऑप्शन ट्रेडिंग बुक में हमें क्या सीखने को मिलता है?
इस ऑप्शन ट्रेडिंग बुक में आपको ऑप्शन ट्रेडिंग के हर एक महत्वपूर्ण कांसेप्ट को उदाहरण के साथ बिल्कुल आसान भाषा में समझाया गया है. इस किताब की खासियत यह है कि जितने भी टेक्निकल शब्द इस किताब में उपयोग किए गए हैं उन सभी का मतलब और अर्थ भी समझाया गया है ताकि नए लोगों को यह किताब पढ़ने में कोई भी कठिनाई न आए.
Conclusion
दोस्तों वैसे तो इंटरनेट पर आपको बहुत सारी ऑप्शन ट्रेडिंग से रिलेटेड किताबें मिल जाएंगे लेकिन उनमें से किसी भी बुक में आपको इतना डिटेल में नहीं बताया गया है जितना कि इस किताब में आपको हर एक कांसेप्ट को बहुत ही बारीकी से examples देकर समझाया गया है।
मुझे पूरा विश्वास है कि इस ‘best option trading book’ को पढ़कर आप ऑप्शन ट्रेडिंग को शुरू से अंत तक पूरा सीख सकते हैं और वो भी बिल्कुल आसान और प्रैक्टिकल उदाहरण के साथ. और मैं दावा कर सकता हूं कि ऑप्शन ट्रेडिंग सीखने के लिए इससे अच्छी बुक आपको पूरे इंटरनेट पर कहीं नहीं मिलेगी।
तो ऑप्शन ट्रेडिंग से अमीर बनने के लिए आज ही इस किताब को डाउनलोड करके पढ़ना शुरू कर दीजिए और मुझे पूरी उम्मीद है कि भविष्य में आप एक सफल ऑप्शन ट्रेडर जरूर बनेंगे।
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