इस पोस्ट में आप ऑप्शन चेन एनालिसिस के बारे में पूरा डिटेल में जानने वाले हैं और साथ ही इस पोस्ट के अंत में हम आपको इसका हिंदी पीडीएफ भी उपलब्ध करा देंगे ताकि भविष्य में कभी भी आप इस Option Chain Analysis in Hindi PDF 2024 को आसानी से पढ़ सकें.
अगर आप ऑप्शन ट्रेडिंग में beginner है और ऑप्शन चैन डाटा एनालिसिस के बारे में सब कुछ बिल्कुल आसान भाषा में सीखना चाहते हैं तो यह आर्टिकल आपके लिए बहुत काम का है इसीलिए इसे पूरा अंत तक जरूर पढ़ना.
Option Chain Analysis in Hindi PDF Details
PDF Name | Option chain Analysis in Hindi |
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Language | Hindi |
Format | |
Pages | 07 |
Ratings | 4.9/5 |
Author | Deepak Sen |
Total Chapter | 6 |
PDF Size | 280KB |
Download Link | Given Below |
Option Chain Analysis All Chapters in Hindi
इस पीडीएफ में टोटल 6 चैप्टर्स हैं जिनकी डिटेल में जानकारी नीचे दी गई है–
Chapter 1. ऑप्शंस का परिचय
- ऑप्शंस क्या हैं?
- ऑप्शन चेन क्या है?
- ऑप्शन चेन के घटक (कॉल, पुट, स्ट्राइक प्राइस, समाप्ति तिथि, OI, वॉल्यूम, आदि)
- ऑप्शन चेन का महत्व
Chapter 2. ऑप्शन चेन एनालिसिस के बारे में
- ऑप्शन चैन एनालिसिस क्या है और कैसे करें?
Chapter 3. ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रेटजीस की जानकारी
विभिन्न प्रकार की ऑप्शन रणनीतियाँ (कवर्ड कॉल, स्ट्रैंगल, स्ट्रैडल, आदि) उदाहरण के साथ
Chapter 4. ट्रेडिंग में ऑप्शन चैन डाटा का उपयोग
- सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल्स पता करना
- ट्रेडिंग वॉल्यूम को एनालाइज करना
- ओपन इंटरेस्ट की गणना करना
Chapter 5. ऑप्शन ग्रीक्स को समझना
- डेल्टा, थीटा, गामा, वेगा, रो आदि की पूरी जानकारी उदाहरण के साथ
Chapter 5. ऑप्शंस में रिस्क मैनेजमेंट की भूमिका
- ऑप्शंस से जुड़े जोखिम
- ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए आवश्यक सावधानियां
चलिए अब एक-एक करके इन सभी चैप्टर्स के बारे में डिटेल में जान लेते हैं–
Chapter 1. ऑप्शंस का परिचय
इस चैप्टर में आप सीखेंगे की ऑप्शंस क्या होते हैं कितने प्रकार के होते हैं और ऑप्शन चैन क्या है, टेक्निकल एनालिसिस और ट्रेडिंग में ऑप्शन चैन क्यों महत्वपूर्ण है तो आईयेे सबसे पहले जानते हैं कि–
ऑप्शन क्या है?
ऑप्शन का हिंदी में अर्थ है ‘विकल्प’ यह एक डेरिवेटिव कांट्रैक्ट है जो आपको किसी शेयर के बढ़ने या गिरने से पहले ही उस पर दांव लगाने का अधिकार देता है।
- ऑप्शंस दो प्रकार के होते हैं– कॉल ऑप्शन (CE) और पुट ऑप्शन (PE)
- अगर आपको लगता है कि आज मार्केट ऊपर जाएगा तो आपको कॉल ऑप्शन खरीदने से फायदा होगा लेकिन अगर आपको लगता है कि मार्केट आज नीचे जाएगा तो आपको पुट ऑप्शन खरीदने से फायदा होगा.
- आप किसी भी शेयर, निफ्टी या बैंकनिफ्टी इंडेक्स के call और put ऑप्शंस खरीद सकते हैं।
जानिए– कॉल और पुट क्या है, इनमें क्या अंतर है, कब खरीदना और बेचना चाहिए विस्तार से जानकारी
ऑप्शन चेन क्या है?
ऑप्शन चैन विभिन्न प्रकार के डेटा से मिलकर बना हुआ एक ग्राफ होता है जिसे आप NSE की वेबसाइट पर जाकर देख सकते हैं। अगर आप गूगल पर जाकर NSE option chain टाइप करेंगे तो आपको पहली वेबसाइट मिल जाएगी जहां से आप ऑप्शन चैन का पूरा डाटा देख सकते हैं.
ऑप्शन चेन के घटक
ऑप्शन चैन के अंदर ये सभी आती है–
- OI
- CHNG IN OI
- Volume
- IV
- LTP
- CHNG
- BID QTY
- BID PRICE
- ASK PRICE
- ASK QTY
अगर आप इन सभी के बारे में एक-एक करके विस्तार से उदाहरण के साथ सीखना चाहते हैं तो आप नीचे दी गई यह पोस्ट पढ़ सकते हैं–
ऑप्शन चेन का महत्व
जब आप शेयर बाजार में ट्रेडिंग करते हैं तो ऑप्शन चैन का डाटा आपके लिए बहुत उपयोगी साबित होता है चाहे वह सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल्स पता करने में हो या फिर मार्केट में बायर्स और सेलर्स कितने हैं यह पता लगाने में, साथ ही मार्केट का ट्रेंड पता करने में भी ऑप्शन चैन का बहुत बड़ा रोल है।
Chapter 2. ऑप्शन चेन एनालिसिस के बारे में
ऑप्शन चैन एनालिसिस क्या है?
ऑप्शन चैन के डेटा को देखकर उसे ट्रेडिंग में उपयोग करने की प्रक्रिया को ही ऑप्शन चैन एनालिसिस कहते हैं।
Example के लिए– मान लो आप banknifty का ऑप्शन चैन एनालिसिस करते हैं और अभी बैंक निफ्टी 48000 पर चल रहा है. आप देखते हैं कि बैंकनिफ्टी के 48500 के स्ट्राइक प्राइस पर कॉल साइड ओपन इंटरेस्ट सबसे ज्यादा है तो इसका मतलब है कि यह एक मजबूत रेजिस्टेंस लेवल है यानी की मार्केट इस लेवल को टच करके नीचे आ सकता है।
तो इस स्थिति में आप banknifty का 48500 का लेवल टूटने का इंतजार करते हैं और जैसे ही यह रेजिस्टेंस लेवल टूट जाता है तो आप कॉल ऑप्शन खरीद सकते हैं जिसमें आपको निश्चित ही बहुत अच्छा फायदा होगा क्योंकि यहां से ऊपर की साइड एक बड़ा move आने की संभावना बहुत ज्यादा है।
ठीक इसके विपरीत अगर banknity के 47000 लेवल पर OI यानी ओपन इंटरेस्ट काफी ज्यादा दिख रहा है तो इसका मतलब है कि मार्केट इस लेवल को टच करके बाउंस बैक कर सकता है और जब यह लेवल टूटेगा तो नीचे की साइड बहुत तेजी से एक बड़ा move आएगा और तब आप put ऑप्शन खरीद कर प्रॉफिट कमा सकते हैं
ऑप्शन चैन एनालिसिस कैसे करते हैं?
- सबसे पहले NSE की वेबसाइट पर जाकर ऑप्शन चैन खोलें. ( उदाहरण के लिए nifty, banknifty या कोई स्टॉक)
- यहां पर आपको बीच के कॉलम में स्ट्राइक प्राइस दिखाई देगा और दाएं और बाएं साइड ओपन इंटरेस्ट का डाटा नजर आ जाएगा।
- इस पूरे डेटा को गौर से देखें, दाईं तरफ आपको कॉल साइड का डाटा दिखेगा और बाएं तरफ आपको पुट साइड का डाटा दिखेगा।
- साथ ही इसमें आपको bid और ask price भी दिख जाएंगे जो यह बताते हैं कि बायर्स किसी इंडेक्स या पर्टिकुलर शेयर पर कितनी बोली लगा रहे हैं मतलब किसी कीमत पर खरीदने को तैयार हैं और सेलर्स किस कीमत पर बेचने को तैयार है।
- इसके अलावा इसमें आपको वॉल्यूम का कॉलम भी देखने को मिलेगा जोकि मार्केट में होने वाली ट्रेड की क्वांटिटी यानी संख्या को दर्शाता है।
अगर आप ऑप्शन चैन डाटा एनालिसिस के बारे में थोड़ा और विस्तार से सीखना चाहते हैं तो आपके लिए यह पोस्ट उपयोगी होगी–
Chapter 3. ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रेटजीस की जानकारी
जब आप ऑप्शन ट्रेडिंग करते हैं तो आपको अपना रिस्क मैनेज करने के लिए कई प्रकार की स्ट्रेटेजीस का उपयोग करना पड़ता है जैसे–कवर्ड कॉल, स्ट्रैंगल, स्ट्रैडल, आदि.
- यह सभी option strategies आपको रिस्क मैनेज करने या फिर लॉस को कम करने और प्रॉफिट को बढ़ाने में मदद करती हैं।
- इनमें से कुछ स्ट्रैटेजिस होती हैं जिसमें आप सिर्फ कॉल ऑप्शन buy या sell करते हैं जबकि कुछ स्ट्रैटेजिक होती है जिसमें आप सिर्फ पुट ऑप्शन buy या sell करते हैं
लेकिन कुछ स्ट्रैटेजिस ऐसी भी होती है जिसमें आप कॉल और पुट दोनों को buy और sell करके प्रॉफिट कमाते हैं।
इस प्रकार की स्ट्रेटेजी आप तब use करते हैं जब आप ऑप्शन बाइंग की बजाय ऑप्शन सेलिंग करते हैं उदाहरण के लिए– strangle, straddle, iron fly आदि।
ये भी पढ़ें–
- ऑप्शन बाइंग करना चाहिए या सेलिंग, दोनों में क्या ज्यादा बेहतर है?
- ऑप्शन सेलिंग कैसे करते हैं (पूरी जानकारी)
- Top 10 option trading strategies in hindi
Chapter 4. ट्रेडिंग में ऑप्शन चैन डाटा का उपयोग
स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग करते समय option chain data ट्रेडर्स के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह आपको मार्केट के गिरने या बढ़ने के बारे में महत्वपूर्ण संकेत देता है जैसे–
सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल्स पता करना
ऑप्शन चैन को देखकर आप मार्केट के सपोर्ट और रेजिस्टेंस का आसानी से पता लगा सकते हैं.
For Example; आप Nifty के सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल का पता लगाना चाहते हैं तो आपको निफ्टी की ऑप्शन चेन को खोलकर देखना है कि किस स्ट्राइक प्राइस पर ओपन इंटरेस्ट सबसे ज्यादा है।
मान लो अभी निफ्टी 22500 पर ट्रेड कर रहा है और 23000 पर ओपन इंटरेस्ट बहुत ज्यादा है तो इसका मतलब है कि यह एक मजबूत रेजिस्टेंस लेवल है
ठीक इसके विपरीत अगर 22000 पर ओपन इंटरेस्ट बहुत ज्यादा है तो इसका मतलब है कि यह एक मजबूत सपोर्ट लेवल है।
ट्रेडिंग वॉल्यूम को एनालाइज करना
मार्केट में कितने लोग ट्रेड कर रहे हैं अगर आप यह पता लगाना चाहते हैं तो आपको ऑप्शन चैन में ट्रेडिंग वॉल्यूम को देखना होगा. इसे देखकर आपको पता चलता है कि कितने लोग आज buying और selling कर रहे हैं।
Chapter 5. ऑप्शन ग्रीक्स को समझना
अगर आप ऑप्शन ट्रेडिंग से पैसा कमाना चाहते हैं तो आपके लिए ग्रीक्स को समझना बहुत जरूरी है. यह कुछ ऐसी चीजें होती हैं जो आपके द्वारा खरीदे गए कॉल एयरपोर्ट के ऑप्शन के प्रीमियम की कीमतों को ऊपर नीचे करती रहती हैं और आपको पता भी नहीं चलता.
बहुत बार आप देखते होंगे कि अपने शुक्रवार को कोई कॉल ऑप्शन खरीदा और सोमवार को मार्केट इस लेवल पर खड़ा है लेकिन फिर भी आपके द्वारा खरीदे गए कॉल ऑप्शन की कीमत कम हो चुकी है तो आखिर ऐसा क्यों होता है जवाब है ‘ऑप्शन ग्रीक्स‘
ऑप्शन ग्रीक्स क्या है और कितने प्रकार के होते हैं इस विस्तार से समझने के लिए नीचे दी गई पोस्ट अवश्य पढ़ें–
Chapter 6. ऑप्शंस में रिस्क मैनेजमेंट की भूमिका
दोस्तों ऑप्शन ट्रेडिंग में रिस्क बहुत ज्यादा होता है इसलिए इसे मैनेज करना प्रत्येक ट्रेडर के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है वरना आप अपना सारा कैपिटल मार्केट में डुबा देंगे और आपको पता भी नहीं चलेगा.
नीचे हमने आपको ऑप्शन से जुड़े हुए रिस्क बताए हैं और रिस्क मैनेज करने के लिए आवश्यक सावधानियां के बारे में बताया है, इन्हें ध्यान से पढ़ें–
ऑप्शंस से जुड़े जोखिम
- ऑप्शंस में ट्रेड करने का सबसे बड़ा जोखिम है लेवरेज या मार्जिन मतलब आप कम कैपिटल से अधिक शेयर खरीद सकते हैं। यह आपको तब फायदा देता है जब आपका लिया गया ट्रेड सही हो लेकिन अगर मार्केट आपके द्वारा लिए गए ट्रेड के विपरीत जाता है तो आपको बहुत बड़ा लॉस हो सकता है।
- दूसरा बड़ा रिस्क है– ‘Time decay’ जी हां जब आप कॉल या पुट ऑप्शन को खरीदते हैं तो आपके ऊपर एक प्रेशर होता है इसे बेचने का, क्योंकि थीटा के कारण आपके ऑप्शन प्रीमियम की वैल्यू टाइम के साथ-साथ कम होती जाती है जिसके चक्कर में आपकी गलत जगह पर एग्जिट होने की संभावना बढ़ जाती है.
- मार्केट की वोलेटिलिटी चेंज होने के कारण भी ऑप्शंस में बहुत बड़े लॉस होते हैं. उड़ान के लिए मान लो अगर बाजार में अचानक से बहुत सारे buyers आ गए और अपने put ऑप्शन खरीद रखा था तो ऐसे में आपको एक बहुत बड़ा लॉस हो सकता है।
- जब आप ऑप्शंस में ट्रेड करते हैं तो आपके इमोशंस जैसे डर और लालच बहुत ज्यादा ऊपर नीचे होते हैं जिसकी वजह से आप सही ट्रेड से भी जल्दी exit कर लेते हैं और गलत ट्रेड में भी बहुत देर तक बने रहते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आपके द्वारा खरीदे गए प्रीमियम के प्राइस बहुत तेजी से ऊपर नीचे होते हैं इसलिए ऑप्शन ट्रेडिंग आजकल एक बहुत जल्दी पैसा कमाने का जरिया बन चुका है जिसमें नुकसान भी बहुत बड़ा होता है।
ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए आवश्यक सावधानियां
- ऑप्शन ट्रेडिंग हमेशा छोटे अमाउंट से स्टार्ट करें।
जितना ज्यादा हो सके सीखने की कोशिश करें जैसे अलग-अलग प्रकार के ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रैटेजिस, ऑप्शन ग्रीक्स आदि। - इलिक्विड स्टॉक्स के ऑप्शंस में ट्रेड मत करें यानी कि ऐसे शेयर जो कि ज्यादा पॉपुलर नहीं है और उनमें लोग बहुत कम ट्रेडिंग करते हैं क्योंकि इसमें आपका पैसा फंसने की चांसेस बहुत ज्यादा होते हैं इसलिए हमेशा निफ्टी 50 या nifty next 50 वाले stocks में ट्रेड करने की कोशिश करें क्योंकि इनमें आपको अच्छी खासी लिक्विडिटी मिल जाती है।
- हमेशा स्टॉप लॉस का उपयोग करें।
- रिस्क मैनेज करने के लिए Hedging स्ट्रैटेजिस का उपयोग करें मतलब कॉल और पुट दोनों ऑप्शंस में एक साथ ट्रेड करने की कोशिश करें, इस प्रकार की रणनीतियां न्यूट्रल यानी sideways मार्केट में ज्यादा काम आती हैं।
- पहले से अपना एक ट्रेडिंग प्लान बनाएं और उसमें सभी ऑप्शन ट्रेडिंग के नियमों को लिख लें और उसी के अनुसार ट्रेड करें।
Download option chain analysis book in hindi
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Option Chain Analysis in Hindi Free PDF Download
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