जानिए कोई शेयर क्यों गिरता है? (15+ कारण)– उदाहरण सहित

मुझसे बहुत सारे लोग पूछते हैं कि आज किसी कंपनी का शेयर क्यों गिर गया📉 या क्यों बढ़ गया📈, इसके पीछे क्या कारण हैं? क्योंकि शेयर बाजार में 7000 से भी ज्यादा कंपनियां लिस्टेड हैं और हर कंपनी के शेयर daily ऊपर नीचे होते रहते हैं तो अगर आप भी जानना चाहते हैं कि कोई शेयर आखिर exactly कब-कब गिरता या बढ़ता है तो यह आर्टिकल आपके बहुत काम आएगा.

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क्योंकि आज मैं आपको विस्तार से वह सभी कारण बताऊंगा जिनकी वजह से कोई शेयर गिरता है और इसके अगली पोस्ट में हम शेयर के बढ़ने के कारण भी बताएंगे, तो चलिए सभी कारणों को एक-एक करके detail में जान लेते हैं–

इस पोस्ट में आप जानेंगे-

1. जब प्रमोटर्स शेयर बेचते हैं 🏦

शेयर बाजार में प्रमोटर्स का कंपनी में विश्वास एक महत्वपूर्ण संकेत होता है। प्रमोटर्स वे लोग होते हैं जिन्होंने कंपनी की स्थापना की या जो कंपनी के सबसे बड़े हिस्सेदार होते हैं। जब प्रमोटर्स अपनी हिस्सेदारी बेचते हैं, तो निवेशकों में यह डर उत्पन्न होता है कि कहीं कंपनी में कोई समस्या तो नहीं है। यही डर शेयर के दाम गिरने का कारण बनता है।

क्यों बेचते हैं प्रमोटर्स अपने शेयर?

  1. कर्ज चुकाने के लिए
    कई बार प्रमोटर्स को व्यक्तिगत या व्यावसायिक कर्ज चुकाने के लिए अपने शेयर बेचने पड़ते हैं। उदाहरण के लिए, अनिल अंबानी की कंपनियों में प्रमोटर्स ने कर्ज चुकाने के लिए अपनी हिस्सेदारी बेच दी थी।
  2. नए प्रोजेक्ट्स में निवेश
    प्रमोटर्स किसी अन्य प्रोजेक्ट में निवेश के लिए अपनी हिस्सेदारी बेच सकते हैं। हालांकि यह सकारात्मक हो सकता है, लेकिन निवेशक इसे गलत नजरिए से भी देख सकते हैं।
  3. कंपनी के प्रति विश्वास की कमी
    अगर प्रमोटर्स को लगता है कि भविष्य में कंपनी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहेगा, तो वे पहले ही शेयर बेच सकते हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण कैफे कॉफी डे (CCD) का है, जहां प्रमोटर्स ने हिस्सेदारी बेच दी, और इसके बाद कंपनी दिवालिया हो गई।

इसका प्रभाव

  • जब प्रमोटर्स बड़े पैमाने पर शेयर बेचते हैं:
  • निवेशकों का विश्वास डगमगा जाता है।
  • शेयर की मांग और आपूर्ति में असंतुलन होता है।
  • शेयर का दाम तेजी से गिरने लगता है।

उदाहरण

  • 2020 में, Yes Bank के प्रमोटर्स ने अपनी हिस्सेदारी बेचना शुरू कर दी। इससे बाजार में यह संदेश गया कि बैंक में कुछ गड़बड़ी है। नतीजतन, शेयर का मूल्य ₹400 से ₹10 तक गिर गया।

निवेशकों के लिए सबक

  • प्रमोटर्स की हिस्सेदारी पर नजर रखें।
  • अगर प्रमोटर्स अपनी हिस्सेदारी लगातार बेच रहे हैं, तो सतर्क रहें।
  • कारण समझने के लिए कंपनी के वित्तीय दस्तावेज और खबरों को पढ़ें।

2. जब तिमाही या वार्षिक परिणाम खराब आते हैं 📉

किसी कंपनी के तिमाही (quarterly) या वार्षिक (yearly) परिणाम यह दिखाते हैं कि कंपनी ने तीन महीने या सालभर में कितना अच्छा प्रदर्शन किया। अगर ये परिणाम उम्मीद से खराब आते हैं, तो निवेशक कंपनी के भविष्य को लेकर चिंतित हो जाते हैं।

क्यों आते हैं खराब नतीजे?

  1. कमाई में गिरावट
    अगर कंपनी की सेल्स या प्रॉफिट उम्मीद से कम रहता है, तो बाजार इसे नकारात्मक संकेत मानता है।
  2. खर्चों में वृद्धि
    कई बार कंपनी के ऑपरेटिंग खर्च बढ़ जाते हैं, जिससे लाभ (profit) पर असर पड़ता है। उदाहरण के लिए, कच्चे माल की कीमत बढ़ना।
  3. उद्योग या सेक्टर में समस्या
    अगर किसी विशेष सेक्टर में मंदी है, तो इससे पूरे उद्योग के नतीजे प्रभावित हो सकते हैं।

इसका प्रभाव

  • खराब नतीजों की खबर बाजार में आते ही शेयर तेजी से गिरता है।
  • संस्थागत निवेशक (FII/DII) कंपनी से पैसा निकाल सकते हैं।
  • मीडिया में नकारात्मक प्रचार होने से निवेशकों में डर पैदा होता है।

उदाहरण

  • 2024 में, DMart का तिमाही परिणाम उम्मीद से कम रहा। इसका कारण था बढ़ती प्रतिस्पर्धा और ग्राहकों की संख्या में गिरावट। इसके चलते शेयर का मूल्य एक दिन में 9% गिर गया।

निवेशकों के लिए सबक

  • तिमाही और वार्षिक नतीजों पर नजर रखें।
  • हमेशा कंपनी के नतीजों को उसके उद्योग के प्रदर्शन के साथ तुलना करें।
  • केवल नतीजों के आधार पर निवेश न बेचें; कारणों को समझें।

3. जब मैनेजमेंट की गाइडेंस खराब आती है 📊

कंपनी का मैनेजमेंट भविष्य के बारे में जो गाइडेंस (guidance) देता है, वह शेयर के प्रदर्शन पर बहुत बड़ा प्रभाव डालता है। गाइडेंस का मतलब है कि मैनेजमेंट निवेशकों को बताता है कि कंपनी अगले तिमाही या साल में कैसा प्रदर्शन करेगी।

कैसे होती है गाइडेंस खराब?

  1. प्रॉफिट ग्रोथ में कमी
    अगर मैनेजमेंट कहे कि अगली तिमाही में प्रॉफिट बढ़ने की संभावना कम है, तो निवेशक इसे नकारात्मक संकेत मानते हैं।
  2. सेल्स में कमी का पूर्वानुमान
    कंपनी अगर यह कहे कि डिमांड कम होने से सेल्स पर असर पड़ेगा, तो यह निवेशकों में डर पैदा करता है।
  3. मार्जिन में गिरावट की उम्मीद
    अगर कच्चे माल की कीमतें बढ़ रही हैं या प्रोडक्ट्स सस्ते दाम में बेचने पड़ रहे हैं, तो कंपनी का मार्जिन घट सकता है।

इसका प्रभाव

  • गाइडेंस खराब होने पर निवेशक तेजी से शेयर बेचते हैं।
  • बड़े निवेशक (FII/DII) पैसा निकालने लगते हैं।
  • मीडिया में कंपनी की नकारात्मक छवि बनती है।

उदाहरण

  • 2022 में, Infosys ने अगले साल के लिए खराब गाइडेंस दी थी। इसका कारण था वैश्विक मंदी और अमेरिकी क्लाइंट्स की डिमांड में गिरावट। नतीजतन, शेयर का दाम 15% गिर गया।

निवेशकों के लिए सबक

  • कंपनी के गाइडेंस को ध्यान से पढ़ें।
  • अगर गाइडेंस खराब हो, तो यह जानने की कोशिश करें कि यह समस्या अस्थायी है या स्थायी।
  • किसी विशेषज्ञ की राय लें और जल्दबाजी में निर्णय न करें।

4. जब FII और DII पैसा निकालते हैं या बड़ी ब्लॉक डील होती है 💼

शेयर बाजार में संस्थागत निवेशक (FII: Foreign Institutional Investors और DII: Domestic Institutional Investors) का निवेश काफी मायने रखता है। इन निवेशकों के पास बड़े पैमाने पर पैसा होता है, और उनका निवेश किसी भी कंपनी के शेयर की कीमत को ऊपर या नीचे ले जा सकता है।

FII और DII का प्रभाव

  1. FII का पैसा निकालना
    विदेशी निवेशक किसी देश की आर्थिक स्थिति, मुद्रा (currency) में अस्थिरता, या वैश्विक कारणों से पैसा निकाल सकते हैं। उदाहरण के लिए, 2022 में अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरें बढ़ाईं, जिससे FII ने भारतीय बाजार से पैसा निकालना शुरू कर दिया। इसका असर कई बड़े शेयरों पर पड़ा।
  2. DII का पैसा निकालना
    घरेलू संस्थागत निवेशक, जैसे म्यूचुअल फंड और बीमा कंपनियां, अगर किसी कारण से बड़ी मात्रा में शेयर बेचते हैं, तो यह शेयर की कीमत को दबाव में डाल देता है।
  3. ब्लॉक डील का असर
    ब्लॉक डील में बड़े निवेशक एक साथ भारी मात्रा में शेयर खरीदते या बेचते हैं। जब यह डील बेचने के लिए होती है, तो बाजार में शेयर की आपूर्ति अचानक बढ़ जाती है, जिससे शेयर का दाम गिरता है।

इसका प्रभाव

  • शेयर के दाम में अचानक गिरावट आती है।
  • निवेशकों में भय और अनिश्चितता बढ़ती है।
  • मीडिया और सोशल मीडिया पर नकारात्मक चर्चा बढ़ जाती है।

उदाहरण

  • 2024 में, HDFC Bank के शेयर में गिरावट आई, जब FII ने बड़ी मात्रा में हिस्सेदारी बेची। इसके पीछे कारण था, अमेरिका और यूरोप में उच्च ब्याज दरें, जिसने विदेशी निवेशकों को आकर्षित किया।

निवेशकों के लिए सबक

  • हमेशा यह जानने की कोशिश करें कि FII/DII पैसा क्यों निकाल रहे हैं।
  • अगर यह कदम वैश्विक कारणों से है, तो हो सकता है कि शेयर की कीमत कुछ समय बाद फिर से स्थिर हो जाए।
  • ब्लॉक डील की खबरों पर नजर रखें।

5. जब कंपनी के प्रोडक्ट की डिमांड कम हो जाती है 📉

किसी भी कंपनी की आय और मुनाफा उसके प्रोडक्ट या सेवाओं की मांग पर निर्भर करता है। अगर डिमांड कम हो जाती है, तो इसका सीधा असर कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन और शेयर की कीमत पर पड़ता है।

डिमांड क्यों कम होती है?

  1. बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ना
    अगर बाजार में नए और बेहतर प्रोडक्ट्स लॉन्च होते हैं, तो डिमांड कम हो सकती है। उदाहरण के लिए, नोकिया के मोबाइल फोन्स की डिमांड तब गिर गई जब स्मार्टफोन्स ने बाजार पर कब्जा कर लिया।
  2. ग्राहकों की पसंद में बदलाव
    ग्राहकों की प्राथमिकताएं बदलने पर भी डिमांड कम हो सकती है। जैसे, पेट्रोल कारों की जगह इलेक्ट्रिक वाहनों का चलन बढ़ रहा है।
  3. आर्थिक मंदी
    अगर अर्थव्यवस्था में मंदी है, तो ग्राहक खर्च कम कर देते हैं, जिससे कंपनी के प्रोडक्ट्स की बिक्री पर असर पड़ता है।
  4. गवर्नमेंट पॉलिसी
    सरकार की नीतियां भी डिमांड को प्रभावित कर सकती हैं। उदाहरण के लिए, प्लास्टिक पर प्रतिबंध के कारण प्लास्टिक उत्पाद बनाने वाली कंपनियों की बिक्री प्रभावित हुई।

इसका प्रभाव

  • कंपनी के मुनाफे में कमी होती है।
  • निवेशकों को लगता है कि कंपनी का भविष्य सुरक्षित नहीं है।
  • शेयर की कीमत में गिरावट शुरू हो जाती है।

उदाहरण

  • 2021 में, Maruti Suzuki के शेयर गिरे जब ग्राहकों ने पेट्रोल-डीजल कारों की जगह इलेक्ट्रिक वाहनों को प्राथमिकता देना शुरू किया। इससे कंपनी को अपने प्रोडक्ट्स की डिमांड में कमी का सामना करना पड़ा।

निवेशकों के लिए सबक

  • कंपनी के प्रोडक्ट्स की मांग और बाजार ट्रेंड पर नजर रखें।
  • अगर डिमांड अस्थायी रूप से कम है, तो यह एक अवसर हो सकता है।
  • उद्योग में हो रहे बदलावों को समझें।

6. जब कंपनी के कच्चे माल की कीमतें बढ़ जाती हैं 🛢️

किसी भी कंपनी का मुनाफा (profit margin) इस पर निर्भर करता है कि वह अपने उत्पादों को कितनी लागत में बना रही है। अगर कच्चे माल (raw material) की कीमतें बढ़ जाती हैं, तो कंपनी का खर्च बढ़ जाता है, जिससे मुनाफा कम हो सकता है।

कच्चे माल की कीमतें क्यों बढ़ती हैं?

  1. वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बाधा
    अगर किसी कारण से कच्चे माल की आपूर्ति कम हो जाती है, तो कीमतें बढ़ जाती हैं। उदाहरण के लिए, COVID-19 महामारी के दौरान, चीन से कच्चे माल की आपूर्ति बाधित हुई थी।
  2. कमोडिटी प्राइस का बढ़ना
    अगर स्टील, तेल, या अन्य कमोडिटी की कीमतें बढ़ती हैं, तो इससे कंपनियों के उत्पादन खर्च में बढ़ोतरी होती है।
  3. मुद्रास्फीति (Inflation)
    महंगाई बढ़ने पर हर चीज की कीमत बढ़ जाती है, और कच्चा माल भी इससे अछूता नहीं रहता।
  4. करों और शुल्कों में बढ़ोतरी
    सरकार अगर कच्चे माल पर टैक्स बढ़ा देती है, तो यह कंपनियों के खर्च में इजाफा करता है।

इसका प्रभाव

  • कंपनी का मार्जिन कम हो जाता है।
  • निवेशकों को लगता है कि कंपनी अपने मुनाफे को बनाए रखने में असफल होगी।
  • शेयर की कीमत गिरने लगती है।

उदाहरण

  • 2024 में, Asian Paints के शेयर में गिरावट आई क्योंकि कच्चे तेल की कीमतें बढ़ गई थीं। चूंकि तेल उनकी पेंट निर्माण प्रक्रिया का मुख्य घटक है, उत्पादन लागत बढ़ने से मुनाफा कम हुआ।

निवेशकों के लिए सबक

  • कंपनी के मुनाफे को प्रभावित करने वाले कच्चे माल की कीमतों पर नजर रखें।
  • अगर कंपनी अपनी लागत को ग्राहकों पर स्थानांतरित कर सकती है (price pass-through), तो यह जोखिम कम हो सकता है।
  • लॉन्ग टर्म निवेश करते समय ऐसे उद्योग चुनें जो महंगाई से कम प्रभावित होते हों।

7. जब उस सेक्टर में कंपटीशन आ जाता है 🏭

किसी भी कंपनी के शेयर पर असर तब पड़ता है जब उसके सेक्टर में नए खिलाड़ी आते हैं। ये नए प्रतिस्पर्धी बेहतर प्रोडक्ट्स, कम कीमतों या उन्नत तकनीकों के साथ आते हैं, जिससे पुरानी कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी घटने लगती है।

प्रभाव

  • कंपनी की बिक्री और मुनाफा कम हो सकता है।
  • निवेशकों का भरोसा घटता है।

उदाहरण

  • 2020 में, Zomato और Swiggy के आने से पारंपरिक फूड डिलीवरी कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी कम हो गई।

निवेशकों के लिए सबक

  • प्रतिस्पर्धा को समझें और यह आकलन करें कि कंपनी कैसे इससे निपट सकती है।

8. जब गवर्नमेंट उस कंपनी के प्रोडक्ट के खिलाफ पॉलिसी लाती है 🏛️

सरकार की नीतियां किसी कंपनी के बिजनेस मॉडल को सीधे प्रभावित कर सकती हैं। अगर सरकार किसी प्रोडक्ट पर प्रतिबंध लगाती है या उसके खिलाफ कोई नीति लागू करती है, तो इसका सीधा असर कंपनी की बिक्री और शेयर कीमत पर पड़ता है।

प्रभाव

  • प्रोडक्ट की डिमांड खत्म हो जाती है।
  • कंपनी का भविष्य अनिश्चित हो जाता है।

उदाहरण

  • प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध से प्लास्टिक मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को भारी नुकसान हुआ।

निवेशकों के लिए सबक

  • गवर्नमेंट पॉलिसी पर नजर रखें और ऐसे सेक्टर्स में निवेश करें जो स्थायी विकास कर सकते हैं।

9. जब उस कंपनी के कच्चे माल पर टैक्स बढ़ता है 💰

अगर सरकार कच्चे माल पर टैक्स बढ़ा देती है, तो कंपनी की लागत बढ़ जाती है। कई बार कंपनियां यह बढ़ी हुई लागत ग्राहकों पर नहीं डाल पातीं, जिससे मुनाफा कम हो जाता है।

प्रभाव

  • ऑपरेटिंग मार्जिन कम हो जाता है।
  • शेयर का मूल्य घटने लगता है।

उदाहरण

  • 2021 में, स्टील और सीमेंट पर बढ़े टैक्स से इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों की लागत बढ़ गई।

निवेशकों के लिए सबक

  • टैक्सेशन पॉलिसी और उसके प्रभाव का आकलन करें।

10. जब उस सेक्टर में कोई बड़ी समस्या या हेडविंड्स आती हैं 🌪️

कभी-कभी पूरे सेक्टर को बाहरी कारणों से दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जैसे, वैश्विक मंदी, प्राकृतिक आपदा, या तकनीकी बदलाव।

प्रभाव

  • पूरी इंडस्ट्री की ग्रोथ स्लो हो जाती है।
  • कंपनियों के प्रॉफिट पर असर पड़ता है।

उदाहरण

  • 2020 में, COVID-19 के कारण हॉस्पिटैलिटी और एविएशन सेक्टर को भारी नुकसान हुआ।

निवेशकों के लिए सबक

  • ऐसे सेक्टर्स में निवेश करें जो बाहरी दबाव को झेलने में सक्षम हों।

11. कंपनी में कोई फ्रॉड होने पर ⚠️

किसी कंपनी में घोटाला या धोखाधड़ी होना निवेशकों का भरोसा पूरी तरह खत्म कर सकता है। जब ऐसी खबरें सामने आती हैं, तो निवेशक तेजी से अपने शेयर बेचने लगते हैं, जिससे कंपनी के शेयर की कीमत गिर जाती है।

कैसे होता है फ्रॉड?

  1. फर्जी अकाउंटिंग: कंपनियां अपने लाभ या राजस्व को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करती हैं।
  2. फंड्स का दुरुपयोग: कंपनी के फंड्स को व्यक्तिगत उपयोग के लिए इस्तेमाल करना।
  3. गैरकानूनी लेन-देन: नियमों का उल्लंघन करते हुए व्यवसायिक गतिविधियां करना।

उदाहरण

  • 2009 में Satyam Computers का घोटाला सामने आया, जिसमें कंपनी ने अपने वित्तीय नतीजों को फर्जी तरीके से बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया। यह घोटाला इतना बड़ा था कि कंपनी का शेयर एक दिन में 80% तक गिर गया।

प्रभाव

  • कंपनी का नाम और ब्रांड वैल्यू बुरी तरह प्रभावित होता है।
  • शेयरधारकों को भारी नुकसान होता है।
  • कई बार कंपनी दिवालिया तक हो जाती है।

निवेशकों के लिए सबक

  • हमेशा कंपनी के वित्तीय आंकड़ों और मैनेजमेंट के इतिहास पर नज़र रखें। अगर कोई अनियमितता दिखे, तो जल्द से जल्द निवेश से बाहर निकलें।

12. जब भविष्य में कंपनी के मार्जिन कम होने की आशंका हो 📉

कंपनी के ऑपरेटिंग मार्जिन का कम होना उसके मुनाफे और शेयर प्राइस के लिए बड़ा खतरा होता है। जब निवेशकों को लगता है कि आने वाले समय में कंपनी का मार्जिन घट सकता है, तो वे शेयर बेचने लगते हैं।

मार्जिन कम क्यों होता है?

  1. बढ़ी हुई लागत: कच्चे माल, मजदूरी, या अन्य खर्चों में बढ़ोतरी।
  2. कम डिमांड: प्रोडक्ट्स की डिमांड घटने से कीमतों में गिरावट।
  3. कड़ी प्रतिस्पर्धा: प्रोडक्ट्स पर डिस्काउंट देने से मुनाफा कम हो जाता है।

उदाहरण

  • 2022 में IT सेक्टर की कंपनियों के मार्जिन में गिरावट आई, क्योंकि यूरोप और अमेरिका में मंदी के कारण नए प्रोजेक्ट्स में कमी हुई। इस कारण IT कंपनियों के शेयर गिरे।

प्रभाव

  • कंपनी की ग्रोथ धीमी हो जाती है।
  • शेयर प्राइस पर लगातार दबाव बना रहता है।

निवेशकों के लिए सबक

  • ऐसी कंपनियों में निवेश करें जिनका बिजनेस मॉडल मजबूत हो और जो लागत बढ़ने के बावजूद मुनाफा बनाए रख सकें।

13. कंपनी के किसी प्लांट में दुर्घटना होने पर 🚨

किसी कंपनी के उत्पादन प्लांट में दुर्घटना होना उसके व्यवसाय और ब्रांड पर गहरा असर डाल सकता है। यह दुर्घटना चाहे प्राकृतिक आपदा हो या किसी तकनीकी गड़बड़ी की वजह से हो, इसका सीधा असर कंपनी की उत्पादन क्षमता और मुनाफे पर पड़ता है।

कैसे असर पड़ता है?

  1. उत्पादन ठप: प्लांट बंद होने से कंपनी की सप्लाई कम हो जाती है।
  2. कानूनी कार्यवाही: दुर्घटना के बाद कंपनी पर जुर्माना लगाया जा सकता है।
  3. ब्रांड छवि: दुर्घटना से कंपनी की साख पर सवाल उठते हैं।

उदाहरण

  • 2020 में LG Polymers के प्लांट में गैस लीक की घटना ने न केवल कंपनी की छवि खराब की, बल्कि भारी वित्तीय नुकसान भी हुआ।

प्रभाव

  • शेयर प्राइस में तत्काल गिरावट आती है।
  • कंपनी को नई निवेश योजनाओं पर रोक लगानी पड़ती है।

निवेशकों के लिए सबक

  • ऐसी कंपनियों में निवेश करें जिनके पास मजबूत सुरक्षा प्रोटोकॉल और रिस्क मैनेजमेंट सिस्टम हो।

14. कंपनी के प्रमोटर्स या मैनेजमेंट बदलने पर 🧑‍💼

कंपनी के प्रमोटर्स या मैनेजमेंट का बदलना एक बड़ा कारण हो सकता है, जिसकी वजह से शेयर की कीमत गिरती है। निवेशकों को प्रमोटर्स और मैनेजमेंट पर भरोसा होता है कि वे कंपनी को सही दिशा में ले जाएंगे। अगर यह टीम अचानक बदलती है, तो निवेशक असुरक्षित महसूस करने लगते हैं।

प्रभाव

  1. निवेशकों को लगता है कि नई टीम कंपनी की ग्रोथ को बनाए नहीं रख पाएगी।
  2. कंपनी की दीर्घकालिक योजनाओं पर अनिश्चितता बढ़ जाती है।
  3. प्रमोटर्स के जाने से कंपनी के भविष्य पर सवाल उठते हैं।

उदाहरण

  • 2018 में, Infosys के CEO और अन्य वरिष्ठ अधिकारी अचानक कंपनी छोड़कर चले गए। इस खबर ने निवेशकों को चिंतित कर दिया और शेयर की कीमत कुछ दिनों तक गिरती रही।

निवेशकों के लिए सबक

  • हमेशा प्रमोटर्स और मैनेजमेंट के ट्रैक रिकॉर्ड पर नज़र रखें। अगर मैनेजमेंट बदल रहा हो, तो यह समझने की कोशिश करें कि नया मैनेजमेंट कितना सक्षम है।

15. ब्रोकरेज द्वारा रेटिंग और टारगेट कम करने पर 📊

किसी भी कंपनी के शेयर को लेकर ब्रोकरेज फर्म्स और एनालिस्ट्स समय-समय पर रेटिंग और टारगेट देते हैं। अगर ब्रोकरेज किसी शेयर की रेटिंग डाउनग्रेड कर देती है या टारगेट प्राइस घटा देती है, तो इसका नेगेटिव असर शेयर प्राइस पर पड़ता है।

कारण

  1. ब्रोकरेज फर्म्स के पास बाजार और कंपनी का गहराई से विश्लेषण होता है।
  2. उनकी रिपोर्ट्स को निवेशक गंभीरता से लेते हैं।
  3. जब वे किसी शेयर के टारगेट कम करते हैं, तो निवेशकों का भरोसा टूटने लगता है।

उदाहरण

  • 2024 में, जब एक बड़ी ब्रोकरेज फर्म ने DMart का टारगेट घटाया, तो इसके शेयर में भारी गिरावट आई।

प्रभाव

  • ट्रेडर्स तेजी से शेयर बेचने लगते हैं।
  • शेयर की कीमत में अल्पकालिक गिरावट आती है।

निवेशकों के लिए सबक

  • ब्रोकरेज रिपोर्ट्स को समझें, लेकिन अपने फैसले कंपनी के फंडामेंटल्स पर आधारित रखें।

16. बुरी कंपनी का अधिकरण करने पर महंगे दाम में 🏢

अगर कोई कंपनी किसी कमजोर या घाटे में चल रही कंपनी का अधिग्रहण करती है और इसके लिए ज्यादा कीमत चुकाती है, तो इसका असर उसकी बैलेंस शीट और शेयर प्राइस पर पड़ता है।

क्यों होता है नुकसान?

  1. अधिग्रहण में ज्यादा पैसा खर्च होने से कर्ज बढ़ता है।
  2. बुरी कंपनी के प्रदर्शन का सीधा असर नई कंपनी के मुनाफे पर पड़ता है।
  3. निवेशकों को लगता है कि यह सौदा फायदेमंद नहीं होगा।

उदाहरण

  • 2019 में, Tata Steel ने Bhushan Steel का अधिग्रहण किया, जो घाटे में चल रही कंपनी थी। इससे Tata Steel की देनदारी बढ़ गई और इसका शेयर कुछ समय तक दबाव में रहा।

प्रभाव

  • कंपनी की बैलेंस शीट कमजोर हो जाती है।
  • निवेशक अल्पकालिक दृष्टिकोण से शेयर बेचने लगते हैं।

निवेशकों के लिए सबक

  • हमेशा समझें कि कंपनी किसे अधिग्रहित कर रही है और यह सौदा दीर्घकालिक रूप से कितना फायदेमंद होगा।

निष्कर्ष–

तो यह थे 16 ऐसे कारण जिनकी वजह से किसी कंपनी का शेयर गिरता है 📉 इस पोस्ट में मैंने आपको पूरा विस्तार से समझने की कोशिश की है कि आखिर शेयर करने के पीछे क्या-क्या वजह हो सकती है. उम्मीद करता हूं इस आर्टिकल से आपको कुछ ना कुछ सीखने को जरूर मिला होगा।

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