आखिर इतना क्यों गिर रहा है शेयर मार्केट? (4 सबसे बड़े कारण)

शेयर बाजार आज क्यों गिरा? जानिए 4 सबसे बड़े कारण और बहुत सारे इंर्पोटेंट फैक्ट विस्तार से 📉📊

शेयर मार्केट गिरने के कारण

आज, 19 दिसंबर 2024, भारतीय शेयर बाजार में महत्वपूर्ण गिरावट देखी गई। सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में 1% के करीब गिरावट देखी गई आइए समझते हैं इस गिरावट के प्रमुख कारण🧐–

आज शेयर मार्केट गिरने के कारण?

सबसे पहला कारण है–

1. अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतियों का असर: भारतीय बाजार की गिरावट का पहला बड़ा कारण

📉 क्या हुआ?
कल के दिन अमेरिकी फेडरल रिजर्व (US Fed) ने ब्याज दरों (Interest Rates) में 0.25% यानी 25 बेसिस पॉइंट (bps) की कटौती की। यह कटौती बाजार की उम्मीदों के मुताबिक थी, लेकिन फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पावेल की टिप्पणी (commentry) ने निवेशकों को असमंजस में डाल दिया।

➡️ जेरोम पावेल की टिप्पणी का असर:

  1. जेरोम पावेल ने कहा कि 2025 तक सिर्फ दो और ब्याज दर कटौती की जाएगी।
  2. पहले उम्मीद थी कि 2025 में चार दर कटौती होगी, लेकिन अब फेड चेयरमैन ने इसे घटाकर दो कर दिया।
  3. इसके अलावा, उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि ये अनुमान डाटा पर आधारित होंगे, जैसे कि महंगाई (Inflation), GDP ग्रोथ, और जॉबलेस क्लेम (Jobless Claims)।

निवेशकों में असमंजस क्यों?

💡 महंगाई पर फेड का रुख:
फेड चेयरमैन ने यह भी कहा कि अमेरिका में महंगाई पर पूरी तरह काबू नहीं पाया गया है। हालांकि, हालिया महंगाई दर 2.7% पर आ गई है, जो बाजार के लिए एक सकारात्मक संकेत था। इसके बावजूद, जेरोम पावेल का यह कहना कि “महंगाई से लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है,” ने बाजार में चिंता बढ़ा दी।

💡 ब्याज दर में कटौती पर सवाल:
निवेशकों को यह समझ नहीं आया कि जब महंगाई पर और नियंत्रण की जरूरत है, तो ब्याज दरों में कटौती क्यों की जा रही है। इस तरह की परस्पर विरोधी (Contradictory) नीतियों ने बाजार में अनिश्चितता बढ़ा दी।

अमेरिकी बाजारों पर प्रभाव

📊 Dow Jones:

  • फेड चेयरमैन की टिप्पणी के बाद अमेरिकी बाजार में तेज गिरावट देखने को मिली।
  • Dow Jones में 2.5% की गिरावट दर्ज की गई, जो पिछले 10 दिनों में लगातार गिरावट के कारण और गंभीर हो गई।

📊 Nasdaq और S&P 500:

  • Nasdaq और S&P 500 भी क्रमशः 3% तक गिर गए।

➡️ नतीजा: अमेरिकी बाजार में बढ़े हुए नकारात्मक सेंटीमेंट ने ग्लोबल बाजारों को भी प्रभावित किया।

भारतीय बाजार पर असर

  • आज भारतीय शेयर बाजारों ने भी अमेरिकी बाजार के इस नेगेटिव ट्रेंड का अनुसरण किया।
  • निफ्टी और सेंसेक्स में 1% तक की गिरावट दर्ज की गई।
  • यह गिरावट दर्शाती है कि भारतीय बाजार भी फेडरल रिजर्व की नीति और बयानबाजी से प्रभावित हुए हैं।

संक्षेप में:

📌 फेड चेयरमैन जेरोम पावेल की नीतिगत टिप्पणी और अमेरिकी बाजार की गिरावट ने निवेशकों को असमंजस में डाल दिया।
📌 इस अस्थिरता ने भारतीय बाजारों पर भी नकारात्मक असर डाला, जिससे आज निफ्टी और सेंसेक्स में गिरावट दर्ज की गई।

📉 ग्लोबल बाजारों में चिंता और अनिश्चितता का असर अभी भी जारी है, और भारतीय बाजार इससे अछूते नहीं हैं।

2. बाजार में गिरावट का दूसरा कारण: फेड और टैरिफ की अनिश्चितता

📉 क्या हो रहा है?
फेडरल रिजर्व (FED) और उसके कुछ अधिकारी अमेरिकी महंगाई और ब्याज दरों को लेकर ट्रम्प के टैरिफ (Tariffs) का संभावित असर अपने आंतरिक अनुमानों में शामिल करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन ये प्रयास अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाए हैं, जिससे बाजार में अनिश्चितता का माहौल बन गया है।

1. PCA डेटा और उसकी भूमिका

💡 PCA क्या है?

  • PCA (Personal Consumption Expenditure) फेड का महंगाई मापने का पसंदीदा सूचकांक है।
  • यह संकेत देता है कि उपभोक्ता वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में बदलाव कैसा है।
  • PCA डेटा के आधार पर फेडरल रिजर्व अपनी ब्याज दरों और मौद्रिक नीति (Monetary Policy) के फैसले करता है।

➡️ समस्या क्या है?

फेड के 19 में से 15 सदस्यों ने कहा कि PCA के अनुमान अब ऊंचे स्तर पर पहुंच गए हैं, जो नवंबर 2022 के बाद सबसे अधिक है।

14 फेड सदस्यों ने यह भी कहा कि PCA डेटा में अस्थिरता (Uncertainty) बढ़ गई है, जिससे ये तय करना मुश्किल हो रहा है कि महंगाई आगे बढ़ेगी या घटेगी।

2. डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ का असर

📌 टैरिफ और टैक्स कट की अनिश्चितता:

  • डोनाल्ड ट्रंप के 20 जनवरी से आधिकारिक रूप से राष्ट्रपति बनने के बाद वह टैरिफ (आयात शुल्क) और टैक्स कटौती लागू कर सकते हैं।
  • इन नीतियों का सीधा असर महंगाई पर पड़ेगा, जिससे फेड की पॉलिसी स्टेटमेंट भी बदल सकती है।

➡️ बाजार को यह समझ नहीं आ रहा कि महंगाई इन बदलावों से बढ़ेगी या घटेगी, और फेड इन बदलावों पर कैसी प्रतिक्रिया देगा।

📊 निवेशकों को अनिश्चितता पसंद नहीं है, और यह अस्थिरता बाजारों में गिरावट का बड़ा कारण बन रही है।

3. ब्याज दरों पर फेड अधिकारियों की राय में विरोधाभास

💡 कुछ फेड अधिकारी क्या कह रहे हैं?

  • कुछ फेड अधिकारी यह मानते हैं कि अब ब्याज दरों में और कटौती की जरूरत नहीं है।
  • उनका तर्क है कि मौजूदा दरें पर्याप्त हैं और इससे अधिक कटौती महंगाई को और बढ़ा सकती है।

➡️ बाजार की प्रतिक्रिया:
इस प्रकार की बयानबाजी ने निवेशकों को और अधिक भ्रमित कर दिया है।

4. Dow Jones में ऐतिहासिक गिरावट

📉 Dow Jones का हाल:

  • कल Dow Jones में 1100 अंकों की भारी गिरावट दर्ज की गई।
  • यह गिरावट इसलिए भी अहम है क्योंकि 1974 के बाद पहली बार लगातार 11 दिन की लूजिंग स्ट्रीक देखने को मिली है।

➡️ Dow Jones में गिरावट का असर:

  • अमेरिकी बाजार की इस गिरावट का सीधा असर भारतीय बाजारों पर पड़ रहा है।
  • निवेशक इस समय अनिश्चितता और डर के माहौल में ट्रेडिंग कर रहे हैं।

बाजार में गिरावट का तीसरा कारण: Treasury Yields और Dollar Index में बढ़ोतरी

📉 क्या हो रहा है?

  1. अमेरिकी Treasury Yields और Dollar Index में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
  2. Treasury Yields अब 4.52% के स्तर पर आ गए हैं।
  3. Dollar Index 108 के पार निकल गया है, जो नवंबर 2022 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है।
    इन दोनों कारकों ने भारतीय और अन्य उभरते बाजारों के लिए नकारात्मक प्रभाव डाला है।

Treasury Yields को समझें (सिंपल भाषा में):

💡 Treasury Yields क्या होते हैं?

  • Treasury Yields वह ब्याज दर (Interest Rate) होती है, जो अमेरिकी सरकार के बॉन्ड (Treasury Bonds) पर मिलती है।
  • जब आप अमेरिका की सरकार को कर्ज देते हैं यानी उनका बॉन्ड खरीदते हैं, तो सरकार आपको एक निश्चित समय तक ब्याज देती है।
  • यह ब्याज दर Treasury Yield कहलाती है।

➡️ Example:
मान लीजिए, आप 1,000 डॉलर का 10 साल का Treasury Bond खरीदते हैं। अगर Treasury Yield 4.52% है, तो हर साल आपको 45.2 डॉलर का ब्याज मिलेगा।

➡️ Yield बढ़ने का असर:

  • Treasury Yields बढ़ने का मतलब है कि निवेशकों को अमेरिकी बॉन्ड से ज्यादा रिटर्न मिल रहा है।
  • इससे निवेशक शेयर बाजार या सोने की बजाय अमेरिकी बॉन्ड में पैसा लगाना शुरू कर देते हैं।
  • इस कारण शेयर बाजारों में बिकवाली (Sell-off) शुरू हो जाती है, जिससे बाजार गिरता है।

Dollar Index को समझें (सिंपल भाषा में):

💡 Dollar Index क्या है?

  • Dollar Index यह मापता है कि अमेरिकी डॉलर की ताकत (Value) दुनिया की अन्य बड़ी मुद्राओं (Currencies) के मुकाबले कितनी है।
  • यह यूरो (Euro), जापानी येन (Yen), ब्रिटिश पाउंड (Pound), कैनेडियन डॉलर, स्वीडिश क्रोना और स्विस फ्रैंक जैसी मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर का औसत मूल्य दिखाता है।

➡️ Example:
अगर Dollar Index 108 पर है, इसका मतलब है कि अमेरिकी डॉलर बाकी मुद्राओं के मुकाबले बहुत मजबूत है।

➡️ Dollar Index और भारतीय बाजार का रिश्ता:

  • Dollar Index बढ़ने से डॉलर मजबूत होता है, जिससे भारतीय रुपये (INR) की वैल्यू कम हो जाती है।
  • कमजोर रुपया विदेशी निवेशकों के लिए भारतीय बाजारों से पैसा निकालने का संकेत बनता है।

मजबूत डॉलर का असर:

📌 भारतीय अर्थव्यवस्था पर:

1. विदेशी निवेश पर असर:

  • Dollar Index बढ़ने से विदेशी निवेशक (FIIs) भारत से पैसा निकालकर अमेरिकी बॉन्ड में निवेश करते हैं।
  • इससे भारतीय बाजारों में गिरावट आती है।

2. इंपोर्ट महंगा होता है:

  • भारत को तेल और अन्य जरूरी सामान डॉलर में खरीदना पड़ता है।
  • डॉलर मजबूत होने से ये चीजें महंगी हो जाती हैं।

📌 सोने और चांदी पर असर:

  • सोने की कीमतें डॉलर में तय होती हैं।
  • जब डॉलर मजबूत होता है, तो सोना महंगा लगता है और इसकी मांग कम हो जाती है।
  • कल सोने और चांदी की कीमतें गिरकर 1 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गईं।

संक्षेप में:

📉 Treasury Yields और Dollar Index में बढ़ोतरी ने ग्लोबल बाजारों में गिरावट का माहौल बना दिया है।
📌 मजबूत डॉलर ने भारतीय बाजारों और रुपये पर दबाव डाला है।
📌 सोने और चांदी की कीमतों में गिरावट ने भी निवेशकों की चिंता बढ़ा दी है।

📉 इन आर्थिक परिस्थितियों ने शेयर बाजारों को कमजोर और अस्थिर बना दिया है।

निष्कर्ष:

📌 फेड और उसके अधिकारियों की विरोधाभासी राय और डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों से जुड़े सवाल बाजारों को स्थिरता प्रदान नहीं कर पा रहे हैं।
📌 Dow Jones में लगातार गिरावट और PCA डेटा की अनिश्चितता ने ग्लोबल बाजारों में डर और नकारात्मकता फैलाई है।
📌 इसी डर का असर आज भारतीय बाजारों पर भी दिखाई दिया।

📉 बाजारों को स्थिरता चाहिए, और जब तक यह अनिश्चितता बनी रहेगी, तब तक गिरावट का सिलसिला जारी रह सकता है।

4. आखिरी कारण– मध्य-पूर्व के सेंट्रल बैंकों की ब्याज दर कटौती का असर

📉 क्या हुआ?
कल मध्य-पूर्व के पांच बड़े सेंट्रल बैंकों ने अपनी ब्याज दरों में 25 से 30 bps की कटौती की:

  1. UAE (United Arab Emirates)
  2.  सऊदी अरब
  3.  कतर
  4.  बहरीन
  5.  ओमान

📌 क्यों किया गया?

  • इन देशों की अर्थव्यवस्थाएं मुख्य रूप से तेल और गैस पर निर्भर हैं।
  • अमेरिकी फेडरल रिजर्व के रेट कट के बाद, इन देशों के सेंट्रल बैंक अक्सर उसी के अनुरूप रिएक्ट करते हैं।
  • ब्याज दर कम करने का उद्देश्य लिक्विडिटी बढ़ाना और निवेश को प्रोत्साहित करना है।

➡️ Impact:

  • ब्याज दर कम होने से इन देशों में निवेशकों को कम रिटर्न मिलेगा, जिससे वे अमेरिकी डॉलर की ओर आकर्षित होंगे।
  • इसका मिलाजुला असर भारतीय शेयर बाजार पर भी पड़ा।

दुनिया के बड़े सेंट्रल बैंक और उनकी भूमिका (Rank-wise):

📌 1. Federal Reserve (USA):

  • दुनिया का सबसे प्रभावशाली सेंट्रल बैंक।
  • अमेरिकी अर्थव्यवस्था का आकार और डॉलर की ताकत इसे सबसे बड़ा बनाती है।
  • फैसले का सीधा असर ग्लोबल शेयर बाजारों और कच्चे तेल की कीमतों पर पड़ता है।

📌 2. European Central Bank (ECB):

  • यूरो जोन के 19 देशों के लिए जिम्मेदार।
  • यूरो की वैल्यू और यूरोपियन शेयर बाजार इसके फैसले से प्रभावित होते हैं।

📌 3. People’s Bank of China (PBoC):

  • दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, चीन का सेंट्रल बैंक।
  • इसका फैसला एशियाई बाजारों और कच्चे माल की कीमतों पर असर डालता है।

📌 4. Bank of Japan (BoJ):

  • जापान का सेंट्रल बैंक, जो अपनी नकारात्मक ब्याज दर नीति के लिए प्रसिद्ध है।
  • ग्लोबल बाजारों में बॉन्ड यील्ड्स और निवेश पर बड़ा प्रभाव डालता है।

📌 5. Bank of England (BoE):

  • ब्रिटेन का सेंट्रल बैंक।
  • इसके फैसले का असर GBP (ब्रिटिश पाउंड) और यूरोपियन बाजारों पर पड़ता है।

📌 6. Reserve Bank of India (RBI):

  • भारतीय बाजार और रुपये की स्थिरता के लिए जिम्मेदार।
  • इसके फैसले का असर विदेशी निवेशकों और घरेलू अर्थव्यवस्था पर पड़ता है।

आज किन आंकड़ों पर नजर रहेगी?

📌 1. Bank of England और Bank of Japan के फैसले (ब्याज दरों पर):

  1. BoE और BoJ आज अपनी मौद्रिक नीति पर फैसला लेंगे।
  2. BoE संभवतः महंगाई को काबू में लाने के लिए ब्याज दरें बढ़ा सकता है।
  3. BoJ अपनी नकारात्मक ब्याज दर नीति को जारी रख सकता है।

➡️ असर:

  • BoE के फैसले से GBP (ब्रिटिश पाउंड) और यूरोपीय बाजार प्रभावित होंगे।
  • BoJ का फैसला जापानी येन और एशियाई बाजारों पर असर डालेगा।

📌 2. अमेरिका के Initial Jobless Claims के आंकड़े:

💡 क्या होते हैं Initial Jobless Claims?

  • यह आंकड़ा बताता है कि अमेरिका में कितने लोगों ने पहली बार बेरोजगारी भत्ते (Unemployment Benefits) के लिए आवेदन किया।
  • यह अमेरिका की श्रम बाजार (Labor Market) की स्थिति को मापने का एक महत्वपूर्ण संकेतक है।

➡️ Example:

  • अगर Jobless Claims कम हैं, तो इसका मतलब है कि लोगों को नौकरी मिल रही है।
  • अगर Jobless Claims बढ़ रहे हैं, तो इसका मतलब है कि अर्थव्यवस्था कमजोर हो रही है।

➡️ असर:

  • कमजोर आंकड़े आने से बाजार गिर सकते हैं क्योंकि इससे आर्थिक मंदी के संकेत मिलते हैं।
  • मजबूत आंकड़े आने से बाजार को सपोर्ट मिलेगा।

📌 3. अमेरिका के Revised GDP के आंकड़े:

💡 Revised GDP क्या है?

  • GDP (सकल घरेलू उत्पाद) किसी देश की आर्थिक गतिविधियों का मापन करता है।
  • Revised GDP का मतलब है कि पहले जारी किए गए GDP डेटा को अपडेट करके जारी करना।

➡️ Example:
अगर पहली बार अमेरिका की GDP ग्रोथ 2% बताई गई थी, और अब इसे Revised करके 2.5% किया गया, तो इसका मतलब है कि अर्थव्यवस्था पहले से बेहतर है।

➡️ असर:

  • अगर Revised GDP उम्मीद से बेहतर होती है, तो शेयर बाजार में तेजी आ सकती है।
  • अगर यह कमजोर होती है, तो बाजारों में गिरावट संभव है।

संक्षेप में:

📌 मध्य-पूर्व के सेंट्रल बैंकों की दर कटौती, BoE और BoJ के फैसले, Initial Jobless Claims और Revised GDP के आंकड़े बाजार की चाल तय करेंगे।
📉 इन सभी संकेतकों की अनिश्चितता के कारण बाजार में गिरावट का दबाव जारी है।

निष्कर्ष

वर्तमान में बाजार में गिरावट का मुख्य कारण वैश्विक अनिश्चितताएं हैं, जैसे फेड की अस्पष्ट नीतियां, मिडल ईस्ट के सेंट्रल बैंकों की ब्याज दर कटौती, अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड्स और डॉलर इंडेक्स में बढ़ोतरी। इन सबका मिलाजुला असर भारतीय बाजार पर पड़ा है।

निवेशकों के लिए सलाह:

शॉर्ट टर्म के उतार-चढ़ाव से घबराने की बजाय लंबी अवधि के नजरिए से मजबूत बुनियादी कंपनियों में निवेश करें। जोखिम प्रबंधन पर ध्यान दें और बाजार की चाल समझने के लिए आर्थिक आंकड़ों पर नजर रखें। गिरावट के दौरान अच्छे स्टॉक्स खरीदने का यह सही अवसर हो सकता है।

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