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अगर आप शेयर मार्केट में ऑप्शन ट्रेडिंग करते हैं तो आपने कभी ना कभी ओपन इंटरेस्ट का नाम जरूर सुना होगा, इसे हम शॉर्ट में ओआई (OI) बोलते हैं.
अधिकतर लोगों को ओपन इंटरेस्ट के बारे में पहली बार तब पता चलता है जब वह ऑप्शन चेन डेटा देखते हैं.
अगर आप ऑप्शन चैन को ध्यान से देखेंगे तो आपको call और पुट दोनों साइड OI यानी ओपन इंटरेस्ट का एक-एक कॉलम दिखेगा,
- मतलब ऑप्शन चेन में 2 कॉलम OI के होते हैं जिसमें एक तो Calls side होता है, (यह कॉलम पूरी ऑप्शन चैन में सबसे पहले कॉलम होता है)
- और दूसरा OI का कॉलम put side सबसे आखिर में होता है.
और मार्केट खुले होने के दौरान हर समय open interest की वैल्यू चेंज होती रहती है।
आप देखते होंगे कि किसी स्ट्राइक प्राइस के सामने ओपन इंटरेस्ट की वैल्यू बहुत कम लिखी होती है तो वहीं दूसरी ओर किसी स्ट्राइक प्राइस के सामने बहुत ज्यादा वैल्यू लिखी होती है लेकिन आखिर इसका मतलब क्या होता है?
ऑप्शन चैन में कॉल और फोटो दोनों साइड OI वाले कॉलम के बगल में ‘CHNG IN OI’ का कॉलम होता है तो आखिर यह कॉलम हमें क्या बताता है और इसे देखने से क्या पता चलता है?
साथ ही ओपन इंटरेस्ट बढ़ने या घटने से कॉल और पुट ऑप्शन्स के प्रीमियम कैसे ऊपर नीचे होते रहते हैं?
तो आज हम आपको बताएंगे कि शेयर बाजार में ओपन इंटरेस्ट क्या होता है, ओपन इंटरेस्ट को कैसे उपयोग करते हैं, पॉजिटिव ओर नेगेटिव ओपन इंटरेस्ट क्या हैं, ओपन इंटरेस्ट डेटा कैसे पढ़ते हैं और ओपन इंटरेस्ट घटने या बढ़ने पर क्या होता है?
तो अगर आप (OI meaning in hindi) यानी open interest के बारे में सब कुछ बिल्कुल आसान भाषा में विस्तार से जानना चाहते हैं तो इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़िएगा.
ओपन इंटरेस्ट क्या होता है? What is open interest in hindi
शेयर मार्केट में जितने भी buy या sell के कॉन्ट्रैक्ट अभी आउटस्टैंडिंग हैं मतलब पेंडिंग हैं उन सभी कॉन्ट्रैक्ट की संख्या को ही हम ओपन इंटरेस्ट बोलते हैं.
आसान शब्दों में, ऑप्शन चेन में कॉल (CE) और पुट (PE) की कुल आउटस्टैंडिंग पोजीशंस को ही ओपन इंटरेस्ट यानी OI कहते हैं।
मतलब शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करने वाले लोगों की जितनी भी पोजीशंस खुली हुई हैं या जितने भी कॉन्ट्रैक्ट ओपन हैं उन सभी की संख्या को ही ओपन इंटरेस्ट कहा जाता है।
ओपन इंटरेस्ट का फार्मूला
Open Interest = Total Number of Outstanding Positions
OI Meaning in Hindi
ओपन इंटरेस्ट का अर्थ (meaning) है शेयर मार्केट में बायर्स और सेलर्स के द्वारा बनाई गई पोजीशंस की संख्या. यह पोजीशंस कॉल या पुट दोनों में से किसी भी डेरिवेटिव कांट्रैक्ट में हो सकती हैं.
दूसरे शब्दों में हम यह भी कह सकते हैं कि मार्केट में ओपन इंटरेस्ट में हमें कोई पोजीशन तब तक दिखाई देती है जब तक कि वह square off नहीं हो जाती.
आपको बता दें कि जब भी आप कोई कॉल, पुट या फिर कोई Future खरीदते हैं तो उसी समय मार्केट में एक ओपन इंटरेस्ट क्रिएट हो जाता है जो कि आपको ऑप्शन चेन में तुरंत देखने लगता है.
आप किसी भी शेयर, निफ्टी और बैंकनिफ्टी सभी का ओपन इंटरेस्ट चेक कर सकते हैं और यह पता लगा सकते हैं कि कितने लोगों ने उसमें buying या selling की पोजीशंस बना रखी हैं।
अभी आपको ओपन इंटरेस्ट थोड़ा-थोड़ा समझ आ रहा होगा लेकिन चिंता मत कीजिए इस पोस्ट के अंत होते-होते आपके मन में ओपन इंटरेस्ट के बारे में सब कुछ सीख जाएंगे।
आइये इसका एक सरल उदाहरण देखते हैं–
ओपन इंटरेस्ट का उदाहरण (Example of Open Interest in Hindi)
आपको यह तो पता ही होगा कि Nifty और banknifty में हम जब भी buying और selling करते हैं तो हमें लोट साइज के हिसाब से खरीदना और बेचना पड़ता है
मतलब जिस तरह आप एक शेयर खरीद सकते हैं उस तरह निफ़्टी या बैंक निफ्टी में एक क्वांटिटी नहीं खरीद सकते.
इसके लिए आपको कम से कम एक लौट खरीदने की जरूरत होती है.
- निफ्टी और बैंक निफ्टी दोनों का लॉट साइज फिक्स होता है.
- निफ्टी का लोट साइज 50 है जबकि बैंक निफ्टी का लोट साइज 15 है.
और जब भी आप ऑप्शन ट्रेडिंग करेंगे या कोई कॉल और पुट खरीदेंगे तो आपको कम से कम 1 lot खरीदना पड़ेगा मतलब अगर आप बैंक निफ्टी का एक लोट खरीदते हैं तो आपको कम से कम 15 क्वांटिटी खरीदना पड़ेगा.
ऊपर यह सब बातें मैंने आपको इसलिए बताई क्योंकि आगे जो हम उदाहरण देखने वाले हैं उसके लिए आपको लॉट साइज के बारे में जानना बहुत जरूरी था.
चलिए अब ओपन इंटरेस्ट को समझने के लिए एक उदाहरण देखते हैं–
मान लो मार्केट में अभी 5 नए लोगों ने कुछ कॉल और पुट खरीदे. तो इन पांच लोगों ने जितने भी कॉल और पुट के total लॉट साइज खरीदे होगे, उतनी ही संख्या में ओपन इंटरेस्ट की वैल्यू ऑप्शन चैन में बढ़ जाएगी.
मतलब अगर इन लोगों ने कुल मिलाकर कॉल ऑप्शन के 100 लॉट खरीदे तो calls side में जो OI कॉलम है उसमें पहले जितनी संख्या लिखी होगी उसमें 100 ऐड हो जाएगा.
मतलब अगर पहले उस कॉलम में 300 लिखा था तो अब 400 लिख जाएगा क्योंकि अब 100 नए कॉन्ट्रैक्ट ऐड हो चुके हैं.
ठीक इसी प्रकार अगर इन 5 लोगों ने कुल मिलकर 100 लोट बेचे होते तो calls side में जो OI कॉलम है उसमें पहले जितनी संख्या लिखी होगी उसमें 100 minus हो जाएगा.
मतलब अगर पहले उस कॉलम में 300 लिखा था तो अब 200 लिख जाएगा क्योंकि अब call के 100 कॉन्ट्रैक्ट बेचे जा चुके हैं.
जैसा कि मैंने ऊपर कॉल के बारे में बताया ठीक यह put पर भी अप्लाई होता है.
कहने का मतलब है कि जब कोई ट्रेडर कॉल या पुट के जितने भी लोट को खरीदना या बेचता है उतने ही लौट ऑप्शन चैन में हर समय बदलते रहते हैं.
ऑप्शन चेन में ओआई (OI) हमें क्या बताता है?
अगर आप ऑप्शन चेन में कॉल साइड के पहले OI वाले कॉलम में 2000 लिखा हुआ देखते हैं तो इसका मतलब यह है कि बाजार में अभी call के 2000 कॉन्ट्रैक्ट पड़े हुए हैं मतलब लोगों ने कॉल के 2000 lots खरीद रखे हैं.
ठीक इसी प्रकार अगर आप ऑप्शन चैन में पुट साइड के आखरी कॉलम में जो की OI यानी ओपन इंटरेस्ट का कॉलम होता है उसमें 5000 लिखा देखते हैं
तो इसका मतलब यह है कि बाजार में अभी put के 5000 कॉन्ट्रैक्ट पेंडिंग हैं मतलब लोगों ने पुट के 5000 lots खरीद रखे हैं.
जैसा कि आपने ऊपर देखा कि अगर आपको call साइड 2000 का ओपन इंटरेस्ट और put साइड 5000 का ओपन इंटरेस्ट दिखता है तो इसका मतलब है कि लोगों ने पुट में अपनी पोजीशंस ज्यादा बना रखी है
इसका अर्थ हुआ कि आज ज्यादातर लोग मार्केट को लेकर बियरिश हैं मतलब बाजार में गिरावट होने की संभावना है.
इसका पता हमने ऐसे लगाया कि ओपन इंटरेस्ट में call की तुलना में put पर काफी ज्यादा लोगों ने पोजीशंस बना रखी हैं इसका सीधा सा अर्थ हुआ कि आज मार्केट में कॉल खरीदने वाले लोग बहुत कम है जबकि पुट खरीदने वाले लोग बहुत ज्यादा हैं.
और आपको इतना तो पता ही होगा कि लोग कॉल तब खरीदते हैं जब उन्हें लगता है की मार्केट आज ऊपर जाएगा और लोग पुट तब खरीदते हैं जब उन्हें लगता है कि आज मार्केट नीचे जाएगा.
तो इस प्रकार हमने ओपन इंटरेस्ट को देखकर यह आसानी से पता लगा लिया कि आज मार्केट नीचे जा सकता है इसलिए अगर आप ऑप्शन ट्रेडिंग करते हैं तो पुट ऑप्शन खरीदने में ही ज्यादा फायदा होने की संभावना है।
तो इस प्रकार ओआई यानी ओपन इंटरेस्ट में बताता है कि शेयर मार्केट में ट्रेडर्स ने call और put के कितने lots में अपनी पोजीशन बना रखे हैं मतलब खरीदे हुए हैं.
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हर स्ट्राइक प्राइस के लिए अलग होता है ओपन इंटरेस्ट
एक बात याद रखिए– यह जो ओपन इंटरेस्ट होता है वह हर स्ट्राइक प्राइस के लिए अलग होता है.
जैसा कि आपको पता है कि ऑप्शन चैन में हमें बहुत सारे स्ट्राइक प्राइस देखने को मिलते हैं जोकि तीन प्रकार के होते हैं; ITM, ATM और OTM
मतलब मान लो अभी निफ्टी 18000 पर चल रहा है तो 18000 इसके लिए ATM (At the money) स्ट्राइक प्राइस होगा
- 18000 से ऊपर के जितने भी स्ट्राइक प्राइस हैं जैसे; 18100, 18200, 18300, 18400… आदि ये सभी OTM यानी Out the money कहलाते हैं।
- और 18000 से नीचे के जितने भी स्ट्राइक प्राइस हैं जैसे; 17900, 17800, 17700, 17600… आदि ये सभी ITM यानी In the money कहलाते हैं।
और इन सभी स्ट्राइक प्राइस पर ओपन इंटरेस्ट अलग-अलग होता है.
अभी आप केवल इतना समझ लीजिए कि जिस स्ट्राइक प्राइस पर ओपन इंटरेस्ट जितना ज्यादा होता है तो इसका मतलब है कि उसे स्ट्राइक प्राइस के call या put ऑप्शन को खरीदने में लोगों का इंटरेस्ट ज्यादा है.
इसका मतलब है कि अगर आप भी उसी स्ट्राइक प्राइस का call या put ऑप्शन खरीदते हैं तो आपको उस दिन अच्छा खासा मुनाफा हो सकता है क्योंकि उसे दिन उसे कॉल या पुट के बढ़ने के चांसेस बहुत ज्यादा होते हैं
और ऐसा मैंने इसलिए कहा क्योंकि आप पहले देख चुके हैं कि जिस स्ट्राइक प्राइस का कॉल या पुट आप लेने जा रहे हैं उसे पर ओपन इंटरेस्ट काफी चाहता है इसका साफ-साफ मतलब है लोगों ने उसे कॉल या पुट में ज्यादा पोजीशंस बना रखी हैं.
तो इस प्रकार ओपन इंटरेस्ट देखने से आप ऑप्शन ट्रेडिंग में प्रॉफिट कमा सकते हैं।
- जानिए– ऑप्शन ट्रेडिंग में आईटीएम, एटीएम और ओटीएम क्या होते हैं?
- जानिए– ऑप्शन ग्रीक्स (डेल्टा, थीटा, गामा, वेेेगा) क्या होते हैं?
ओपन इंटरेस्ट को समझना क्यों जरूरी है (Why Open Interest is important in option chain)
वैसे तो अब तक आप समझ ही गए होंगे कि ओपन इंटरेस्ट कितना जरूरी है लेकिन फिर भी कुछ जरूरी पॉइंट जान लेते हैं कि आखिर आपके लिए ओपन इंटरेस्ट समझना क्यों जरूरी होता है–
- ओपन इंटरेस्ट हमें बताता है की मार्केट में कितनी पोजीशंस आउटस्टैंडिंग है मतलब पड़ी हुई हैं।
- ओपन इंटरेस्ट देखने से हमें मार्केट के बुलिश या बियरिश होने की जानकारी मिलती है।
- अगर आज कॉल साइड का ओपन इंटरेस्ट पुट साइड से ज्यादा है तो इसका मतलब है कि मार्केट में तेजी आने की उम्मीद है।
- अगर आज पुट साइड का ओपन इंटरेस्ट call साइड से ज्यादा है तो इसका मतलब है की मार्केट में गिरावट होने की संभावना है।
- जिस स्ट्राइक प्राइस पर ओपन इंटरेस्ट ज्यादा होता है आप उसे स्ट्राइक प्राइस पर अधिक दाव लगा सकते हैं।
- ओपन इंटरेस्ट आपको एक वैल्यू बताता है जो की मार्केट में नंबर ऑफ आउटस्टैंडिंग पोजीशंस को दर्शाती है और इन्हीं पोजीशंस के आधार पर आप बाजार में खरीदारी या बिकवाली करने का निर्णय ले सकते हैं।
इस प्रकार अगर देखा जाए तो चाहे आप एक नए ट्रेडर हो या फिर बहुत समय से ट्रेडिंग करते हों, आपके लिए ओपन इंटरेस्ट को समझना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह आपको मार्केट की चाल को समझने में बहुत मदद करता है और इसका सही तरीके से use करके आप डेली ट्रेडिंग से पैसे कमा सकते हैं.
- ट्रेडिंग से पैसे कैसे कमाते हैं?
- शेयर मार्केट से पैसे कैसे कमाए?
- इंट्राडे ट्रेडिंग करके रोज 1000 रुपये कैसे कमाएं?
चलिए अब जानते हैं कि–
ओपन इंटरेस्ट का उपयोग कैसे करें (How to use oi in trading in hindi)
ओपन इंटरेस्ट का उपयोग आप ऑप्शन ट्रेडिंग में कॉल या पुट से प्रॉफिट कमाने के लिए कर सकते हैं. OI को देखकर आप पता लगा सकते हैं कि आज शेयर मार्केट ऊपर जाएगा या नीचे मतलब बाजार का ट्रेंड bullish है या bearish.
मान लो अगर आज मार्केट में call side का ओपन इंटरेस्ट पुट साइड की तुलना में बहुत ज्यादा है तो इसका मतलब है कि आज मार्केट ऊपर जा सकता है और इसीलिए आपको कॉल ऑप्शन खरीदना चाहिए.
ठीक इसका उल्टा अगर आप देखते हैं कि ऑप्शन चेन में put side के OI वाले कॉलम में कॉल साइड की अपेक्षा ओपन इंटरेस्ट की वैल्यू बहुत ज्यादा दिखती है तो इसका मतलब है कि आज मार्केट नीचे जा सकता है और इसीलिए आपको पुट ऑप्शन खरीदना चाहिए.
तो इस प्रकार आप ऑप्शन ट्रेडिंग से प्रॉफिट कमाने के लिए ओपन इंटरेस्ट का उपयोग कर सकते हैं।
न केवल ऑप्शन ट्रेडिंग में बल्कि आप इंट्राडे ट्रेडिंग या किसी भी शेयर को ट्रेड करते समय ओपन इंटरेस्ट डाटा देखकर पता लगा सकते हैं कि मार्केट की दिशा किस ओर है.
क्योंकि जिस तरफ मार्केट जाएगा उसी तरफ buying करने का फायदा होता है.
तो इस प्रकार OI data देखना किसी भी ट्रेडर के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है।
ओपन इंटरेस्ट डाटा कैसे देखें (How to check open interest data in hindi)
ओपन इंटरेस्ट डेटा कैसे चेक करते हैं इसके बारे में स्टेप बाय स्टेप नीचे बताया गया है–
- ओपन इंटरेस्ट का डाटा देखने के लिए सबसे पहले गूगल पर जाकर ‘NSE Option Chain‘ सर्च करें.
- सबसे पहले आपको NSE की ऑफिशल वेबसाइट दिखेगी, इसे ओपन करें.
- NSE की वेबसाइट पर जाने के बाद आपको Nifty, banknifty या जिस भी stock की ऑप्शन चैन आप देखना चाहते हैं उसे सिलेक्ट करें.
- मान लो आप निफ्टी सेलेक्ट करते हैं तो आपके सामने Nifty की option chain खुल जाएगी.
- इसमें आपको सबसे पहले और सबसे आखरी कॉलम OI यानी ओपन इंटरेस्ट का दिखेगा.
- इस ऑप्शन चैन में आप देखेंगे की निफ्टी के प्रत्येक स्ट्राइक प्राइस के सामने आपको ओपन इंटरेस्ट की अलग-अलग वैल्यू दिखाई देगी.
- किसी स्ट्राइक प्राइस पर ओपन इंटरेस्ट की वैल्यू बहुत ज्यादा होगी तो किसी स्ट्राइक प्राइस पर बहुत कम होगी.
- इतना समझ लीजिए कि जिस स्ट्राइक प्राइस पर ओपन इंटरेस्ट की वैल्यू बहुत ज्यादा है उस स्ट्राइक प्राइस का कॉल या पुट ऑप्शन खरीदने के लिए मार्केट में लोगों की डिमांड उतनी ही जाता है।
तो अब आप समझ गए होंगे कि ओपन इंटरेस्ट देखना कितना आसान है और कोई भी NSE की वेबसाइट पर जाकर किसी भी स्टॉक या फिर निफ्टी और बैंकनिफ्टी जैसे इंडेक्स का ओपन इंटरेस्ट डेटा आसानी से देख सकता है.
ओपन इंटरेस्ट डाटा कैसे पढ़ें (How to read oi chart data in hindi)
आपको बता दें कि ओपन इंटरेस्ट डाटा पढ़ना बहुत आसान है. इसे बिल्कुल भी कठिन मत समझिए.
जब आप ऑप्शन चैन में OI वाले कॉलम में कोई भी नंबर लिखो देखते हैं तो उसका क्या मतलब होता है चलिए अब समझते हैं–
अब तक आपको इतना तो क्लियर होगा कि पूरी ऑप्शन चैन में दो साईड होती हैं– पहला कॉल साइड और दूसरा पुट साइड.
ऑप्शन चैन में बिलकुल बीच में स्ट्राइक प्राइस वाला कॉलम होता है जिसमें बहुत सारे स्ट्राइक प्राइस एक लाइन में लिखे होते हैं
और पूरी ऑप्शन चैन के बिलकुल बीच में जो स्ट्राइक प्राइस होता है जिस पर मार्केट अभी चल रहा होता है जिसे एटीएम (At the money) बोलते हैं.
और इन सभी स्ट्राइक प्राइस पर आपको OI यानी open interest की वैल्यू अलग-अलग देखने को मिलती है.
अगर आपको यहां तक सब कुछ क्लियर है तो अब मेन उदाहरण को समझते हैं–
मान लो अभी निफ़्टी 18000 पर चल रहा है. आप देखते हैं कि ऑप्शन चेन में 18000 स्ट्राइक प्राइस के सामने call side के ओआई (OI) वाले कॉलम में ‘50000’ लिखा है तो इसका मतलब क्या हुआ?
- इसका मतलब है कि nifty के 18000 स्ट्राइक प्राइस के call के 50000 लॉट्स या कॉन्ट्रैक्ट मार्केट में लोगों ने खरीदे हुए हैं।
मतलब लोगों ने निफ्टी के कॉल ऑप्शन में अपनी पोजीशंस बना रखी है.
यह जो पोजीशंस होती हैं अगर वह कॉल में ज्यादा है और पुट में कम है तो आपको कॉल ऑप्शन खरीदने पर प्रॉफिट हो सकता है.
मान लो अगर nifty के 18000 स्ट्राइक प्राइस के call में 10000 ओपन इंटरेस्ट लिखा होता जबकि put side 50000 ओपन इंटरेस्ट लिखा होता.
तो इसका अर्थ होगा कि मार्केट में 18000 स्ट्राइक प्राइस के पुट की 50000 पोजीशंस पेंडिंग है या फिर इतनी पोजीशन से लोगों ने खरीद रखी है।
यहां पर आप साफ-साफ देख सकते हैं कि पुट में 50000 का ओपन इंटरेस्ट है जबकि कॉल में सिर्फ 10000 का ओपन इंटरेस्ट दिख रहा है इसका मतलब है कि आज बाजार में buyers की तुलना में sellers हावी हैं इसलिए मार्केट में selling करने पर प्रॉफिट होने की संभावना ज्यादा है।
चेंज इन ओपन इंटरेस्ट क्या है (What is Change in open interest in hindi)
चेंज इन ओपन इंटरेस्ट का मतलब है कि ओपन इंटरेस्ट में कितना चेंज हुआ है मतलब कितनी पोजीशंस घटाई या बढ़ाई गई है इसी की वैल्यू को ‘CHNG in OI’ वाले कॉलम में दर्शाया जाता है।
ऑप्शन चैन में कॉल और पुट दोनों साइड ओपन इंटरेस्ट वाले कॉलम के बगल में आपने ‘CHNG in OI‘ का कॉलम जरूर देखा होगा इस कॉलम में आपको कुछ नेगेटिव और कुछ पॉजिटिव वैल्यू दिखाई देती हैं।
चलिए अब समझते हैं कि इसका क्या मतलब होता है और आखिर यह ‘Change in open interest’ होता क्या है?
आपको इतना तो पता ही होगा कि जब मार्केट में कोई कॉल या पुट ऑप्शन खरीदना है तो कोई ना कोई उसे बेचता जरूर है.
या फिर इसके विपरीत अगर कोई कॉल ऑप्शन भेजता है तो कोई ना कोई उसे खरीदना जरूर है।
अगर आप इतना समझते हैं तो आप चेंज इन ओपन इंटरेस्ट को बड़ी आसानी से समझ जाएंगे.
मान लो आप किसी स्ट्राइक प्राइस के कॉल ऑप्शन के 10 लॉट खरीदते हैं जैसे ही आप ऐसा करते हैं तो कॉल साइड के इस स्ट्राइक प्राइस के सामने ओपन इंटरेस्ट (OI) वाले कॉलम में में 10 ऐड हो जाएगा.
मतलब अगर पहले OI वाले कॉलम में 100 लिखा था तो अब 110 लिख जाएगा.
और उसी वक्त उसी OI के बगल वाले ‘CHNG in OI’ के में कॉलम +10 या सिर्फ 10 लिख जाएगा (क्योंकि आपने 10 कॉल खरीदे हैं)
अब अगर आप इसमें से 5 लॉट बेच देते हैं तो ‘CHNG in OI’ वाले कॉलम में (–5) लिख जाएगा, इसे ही हम नेगेटिव ओपन इंटरेस्ट भी कहते हैं क्योंकि यह माइइस या नेगेटिव में लिखा होता है।
उम्मीद करता हूं अब आप समझ गए होंगे कि चेंज इन ओपन इंटरेस्ट क्या होता है.
चलिए अब ओपन इंटरेस्ट से जुड़े हुए कुछ बेसिक सवाल और उनके जवाब देख लेते हैं–
OI Meaning in Hindi – FAQ’s
ओपन इंटरेस्ट हमें क्या बताता है?
ओपन इंटरेस्ट हमें ऐसे डेरिवेटिव कांट्रैक्ट की संख्या बताता है जो बाजार में अभी पड़े हुए हैं मतलब पेंडिंग है यानी कि मार्केट में अभी कॉल और पुट ऑप्शंस में जितने भी सौदे पेंडिंग है यानी कि काटे नहीं है और उनका सेटलमेंट होना बाकी है उसकी संख्या हमें ओपन इंटरेस्ट के द्वारा बताई जाती है।
ओपन इंटरेस्ट कैसे देखें?
ओपन इंटरेस्ट देखने के लिए आपको नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की वेबसाइट पर जाना होगा. इसके बाद आपको जिस भी स्टॉक या इंडेक्स का ओपन इंटरेस्ट चेक करना है उसे सिलेक्ट करते ही उसे इंडेक्स या स्टॉक की ऑप्शन चैन खुल जाएगी. इसमें आप पहले और आखरी कॉलम में ओपन इंटरेस्ट यानी OI डाटा देख सकते हैं।
पॉजिटिव और नेगेटिव ओपन इंटरेस्ट का क्या मतलब होता है?
पॉजिटिव ओपन इंटरेस्ट का मतलब है कि शेयर मार्केट में डेरिवेटिव कांट्रैक्ट की वैल्यू में बढ़ोतरी हुई है मतलब जितने पेंडिंग ऑर्डर थे उसमें कुछ आर्डर और ऐड हो गए हैं. जबकि नेगेटिव ओपन इंटरेस्ट का मतलब होता है कि शेयर मार्केट में कॉल या पुट ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट को बेचा गया है मतलब उनमें कमी आई है इसलिए इसे नेगेटिव के साइन में दिखाया जाता है।
ओपन इंटरेस्ट ऊपर नीचे होने से क्या पता चलता है?
अगर कॉल साइड का ओपन इंटरेस्ट ऊपर जाता है यानी कि बढ़ता है तो इसका मतलब है कि शेयर मार्केट में तेजी आने की संभावना है और घटना है यानी नीचे जाता है तो इसका मतलब है की मार्केट में गिरावट होने की उम्मीद है. ठीक इसका उल्टा अगर पुट साइड का ओपन इंटरेस्ट बढ़ता है तो इसका अर्थ है कि बाजार गिरेगा लेकिन अगर पुट साइड का ओपन इंटरेस्ट घटता है तो इसका अर्थ है कि शेयर बाजार में तेजी आने की संभावना है।
निष्कर्ष – ‘शेयर बाजार में ओपन इंटरेस्ट क्या होता है’
इस पोस्ट (OI meaning in hindi) में मैंने आपको बताया कि शेयर मार्केट में ओपन इंटरेस्ट क्या होता है, ओपन इंटरेस्ट डाटा कैसे देखें, इसे समझना क्यों जरूरी है और ओपन इंटरेस्ट घटने या बढ़ने पर क्या होता है.
अगर आप ट्रेडिंग में नए हैं तो इस लेख में आपको ओआई (OI) के बारे में बहुत कुछ सीखने को मिला होगा.
मैंने आपको इस आर्टिकल के जरिए open interest के बारे में आसान भाषा में समझाने की पूरी कोशिश की है। मैं आशा करता हूं आपको इस पोस्ट में दी गई जानकारी उपयोगी लगी होगी.
ये भी पढ़ें–
- ऑप्शन चैन क्या है और इसे कैसे समझें?
- ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करते हैं? (Step by Step)
- नए लोग ट्रेडिंग कैसे सीखें?
- ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे सीखें?
- शेयर मार्केट चार्ट कैसे देखें और समझें?
अगर आपके मन में ओपन इंटरेस्ट से संबंधित कोई सवाल है तो नीचे कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं।
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