एक अच्छा स्टॉक चुनने के लिए शेयर मार्किट चार्ट को पढ़ना और समझना बहुत जरूरी है इसके लिए आपको चार्ट एनालिसिस करना सीखना होगा। जब ट्रेडर्स शेयर मार्केट में लाइव चार्ट देखते हैं तो स्टॉक प्राइस के ऊपर नीचे जाने से शेयर कब खरीदना और बेचना चाहिए, यह समझ नहीं आता है।
चलिए आज यही जानते हैं कि शेयर मार्केट में चार्ट कैसे पढ़ें और समझे?
शेयर मार्किट चार्ट पढ़कर आप सही समय पर स्टॉक में निवेश कर सकते हैं और कुछ समय बाद बेच कर प्रॉफिट कमा सकते हैं।
स्टॉक चार्ट को पढ़ने कई फायदे हैं जैसे–
- चार्ट पेटर्न के बारे में जानकारी मिलती है।
- शेयर मार्किट चार्ट एनालिसिस करना सीख जाते हैं।
- ट्रेंड की पहचान करना आ जाता है।
- उचित सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल का पता लगा सकते हैं।
- प्राइस मूवमेंट देखकर मार्केट में गिरावट के तेजी का अनुमान लगा सकते हैं।
- कैंडल चार्ट को देखकर मार्केट के बुलिश या बेरिश होने का पता चलता है।
लेकिन शेयर मार्केट चार्ट पढ़ने और समझने के लिए चार्ट पेटर्न, प्राइस मूवमेंट, ट्रेंड रिवर्सल, कैंडलेस्टिक पेटर्न, इंडिकेटर और तकनीकी विश्लेषण के बारे में जानकारी होना आवश्यक है।
आगे हम इन सभी के बारे में विस्तार से बात करने वाले हैं।
अगर आप शेयर बाजार में एक नए ट्रेडर हैं तो भी आप इस पोस्ट को पढ़ने के बाद शेयर मार्केट चार्ट को पढ़ना, देखना समझना, एनालिसिस करना और ट्रेड करना सब कुछ सीख जाएंगे।
सबसे पहले जानते हैं कि–
शेयर मार्केट में चार्ट क्या होता है? (What is Share Market Chart in hindi)
शेयर मार्केट में चार्ट बाजार के ट्रेंड को पहचानने और प्राइस मूवमेंट को देखने का ग्राफ होता है। चार्ट पढ़ने से स्टॉक के ओपन, क्लोज, हाई, लो प्राइस की जानकारी मिलती है। आप ऑप्शन और इंट्राडे ट्रेडिंग में चार्ट एनालिसिस के द्वारा सही समय पर ट्रेड (खरीद और बिक्री) कर सकते हैं।
शेयर मार्केट में चार्ट को पढ़ने के लिए आपको तकनीकी विश्लेषण अर्थात टेक्निकल एनालिसिस का ज्ञान होना जरूरी है।
चार्ट को देखकर आप ट्रेंड रिवर्सल का पता लगा सकते है मतलब शेयर प्राइस कहां से ऊपर बढ़ना शुरू होगा और किस प्राइस से स्टॉक में गिरावट आ सकती है। इसके लिए आपको कैंडल्स के बारे में जानना होगा जिनसे मिलकर चार्ट पेटर्न बनते हैं।
और यही चार्ट पेटर्न आपको किसी निश्चित प्राइस पर शेयर खरीदने का संकेत देते हैं। चार्ट पर ट्रेड करते समय बहुत सारे ट्रेडिंग सिग्नल मिलते हैं जो भविष्य के Price movement की जानकारी देते हैं।
शेयर मार्केट चार्ट कितने प्रकार के होते हैं?
शेयर मार्किट चार्ट तीन प्रकार के होते हैं–
- लाइन चार्ट
- बार चार्ट
- कैंडलस्टिक चार्ट
- लाइन चार्ट: शेयर बाजार में लाइन चार्ट सबसे सिंपल चार्ट होता है। जब आप किसी चार्ट के बारे में सोचते हैं तो आपके मन में लाइन चार्ट ही आता है। इस चार्ट में आपको केवल प्राइस और ट्रेडिंग वॉल्यूम के बारे में जानकारी मिलती है।
- बार चार्ट: इस चार्ट में लाइन चार्ट से अधिक जानकारी मिलती है। बार चार्ट vertical (खड़ी) रेखाओं से मिलकर बना होता है। प्रत्येक vertical line पर दो horizontal line होती हैं जो open और close प्राइस को दर्शाती हैं। vertical line का सबसे ऊपरी हिस्सा High और सबसे निचला हिस्सा Low कहलाता है।
- कैंडलस्टिक चार्ट: टेक्निकल एनालिसिस में यह ट्रेडर्स के बीच सबसे पॉपुलर चार्ट है क्योंकि कैंडलेस्टिक चार्ट में आप को सबसे ज्यादा information मिलती है। आपको बता दें कि यह कैंडल चार्ट अलग-अलग प्रकार की लाल और हरी कैंडल्स से मिलकर बना होता है। इसे मोमबत्ती चार्ट भी कहते हैं क्योंकि चार्ट पर जो कैंडल बनती हैं उनका आकार बिल्कुल मोमबत्ती की तरह होता है।
शेयर मार्किट चार्ट कैसे समझे?
शेयर मार्किट चार्ट को पढ़ने या समझने के लिए पहले आपको स्टॉक सिंबल, एक्सचेंज, चार्ट अवधि, वॉल्यूम, ट्रेंडलाइन, इंडिकेटर्स, प्राइस मूवमेंट और और ट्रेंड को समझना होगा। उसके बाद ही ट्रेडर्स लाइव स्टॉक मार्केट में चार्ट को पढ़ और समझ सकते हैं।
नीचे दी गई इमेज को ध्यान से देखें–
Share market chart kaise samjhe:
- सबसे पहले गूगल पर जाकर किसी स्टॉक का नाम सर्च कीजिए।
- अब उस स्टॉक का चार्ट आपके सामने खुल जाएगा।
- सबसे ऊपर टिकर सिंबल दिखाई देगा जैसे- NSE: ITC
- चार्ट में थोड़ा नीचे देखने पर स्टॉक का मूल्य दिखेगा।
- उसके सामने दिखेगा कि आज स्टॉक कितना गिरा या बढ़ा।
- फिर उसके नीचे प्राइस का ग्राफ नजर आएगा।
स्टॉक चार्ट को आप दैनिक, साप्ताहिक, मासिक या वार्षिक समय अवधि पर देख सकते हैं। - ग्राफ में X axis पर टाइम दिखेगा और Y axis पर प्राइस।
- चार्ट के अंतिम सिरे पर उस दिन का क्लोजिंग प्राइस दिखेगा
- चार्ट में सबसे नीचे की ओर देखने पर आपको दायीं ओर Open, High, Low प्राइस दिखेगा।
- और बायीं ओर कंपनी की मार्केट कैप, पीई रेश्यो, डिविडेंड यील्ड दिखाई देगी।
- इस प्रकार शेयर मार्किट चार्ट देखने से आपको बहुत सारी जानकारी एक ही जगह पर मिल जाती है।
शेयर मार्केट चार्ट कैसे देखते हैं?
शेयर मार्केट में आप किसी भी स्टॉक का चार्ट tradingview वेबसाइट पर जाकर देख सकते हैं। इस पर आप को शेयर मार्किट चार्ट एनालिसिस करने के लिए सभी जरूरी ट्रेडिंग टूल्स मिल जाएंगे जैसे; ट्रेंडलाइन, वॉल्यूम, इंडिकेटर आदि।
ट्रेडिंग टूल्स के जरिए आप आसानी से टेक्निकल एनालिसिस कर सकते हैं और ट्रेंडलाइन की मदद से चार्ट पर पैटर्न बना सकते हैं।
चार्ट पर क्या देखना चाहिए?
- सबसे पहले आपको चार्ट पर मार्केट का ट्रेंड देखना है।
- फिर सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल पता करने चाहिए।
- इसके बाद स्टॉक का वॉल्यूम देखना है।
- सिर्फ प्राइस एक्शन देखकर चार्ट की मूवमेंट पता करना है
- साथ ही आपको मार्केट की वोलैटिलिटी जरूर देखें।
- वोलेटाइल मार्केट बताता है कि बाजार में खरीद और बिक्री में अनिश्चितता है।
- इसके अलावा आपको लिक्विडिटी देखना है जिससे बाजार में खरीदार और विक्रेता की संख्या का पता चलता है।
ध्यान रहे- अगर आप इंट्राडे चार्ट देखते हैं तो 5 मिनट या 15 मिनट का टाइम फ्रेम देखना बेस्ट है। लेकिन अगर आप ऑप्शन ट्रेडिंग चार्ट देखते हैं तो 1 मिनट या 3 मिनट टाइम का चार्ट भी देख सकते हैं।
यह आपके ट्रेड करने के ऊपर निर्भर करता है कि आप किस प्रकार की ट्रेडिंग कर रहे हैं। जितना लंबा समय होगा, चार्ट का टाइमफ्रेम भी उतना ही बड़ा होना चाहिए।
शेयर मार्किट चार्ट कैसे पढ़ें?
शेयर मार्केट चार्ट कैसे पढ़ते हैं– How to read share market chart in hindi
- शेयर मार्किट चार्ट पढ़ने के लिए ट्रेंड को पहचाने
- ट्रेडिंग के लिए टाइम फ्रेम चुनें
- सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल देखें
- ट्रेंडलाइन का इस्तेमाल करें
- चार्ट पेटर्न पढ़ने की कोशिश करें
- कैंडलेस्टिक पेटर्न देखकर ट्रेड करें
- चार्ट के रिवर्सल संकेत देने पर स्टॉक से एग्जिट करें
1. शेयर मार्किट चार्ट पढ़ने के लिए ट्रेंड को पहचाने
शेयर मार्किट चार्ट पढ़ने के लिए सबसे पहले आपको बाजार का ट्रेंड पहचानना होगा। बाजार में तीन तरह के फ्रेंड होते हैं–
- पहला अपट्रेंड (जब मार्केट की दिशा ऊपर की ओर होती है),
- दूसरा डाउनट्रेंड (जब मार्केट की दिशा नीचे की और होती है)
- और तीसरा है sideways trend ( जब मार्केट एक ही रेंज में ऊपर नीचे होता रहता है इसे consolidated मार्केट भी कहते हैं)
कोशिश करें कि चार्ट पर जो ट्रेंड चल रहा है उसी दिशा में ट्रेड करें वरना आपको नुकसान भी हो सकता है। समय अंतराल पर ट्रेंड अलग-अलग हो सकते हैं। अगर आप 5 मिनट का समय अंतराल देखते हैं तो हो सकता है downtrend हो और वहीं उसी स्टॉक के चार्ट पर 1 घंटे के समय अंतराल पर मजबूत uptrend हो सकता है।
इसीलिए टाइम फ्रेम का ध्यान अवश्य रखें। मेरा कहना है कि ट्रेंड के विपरीत जाकर ट्रेडिंग मत करें। कुछ लोग scalp ट्रेडिंग करते हैं जिसमें शेयर को कुछ सेकेंड के अंदर ही खरीद बिक्री पूरी हो जाती है। क्योंकि इस scaping ट्रेडिंग में स्टॉक की कीमत थोड़ी ऊपर जाने पर ही विक्रेता अपनी सभी खरीदी गई क्वांटिटी सेल कर देता है और यही उसके प्रॉफिट कमाने की रणनीति होती है।
मतलब अधिक क्वांटिटी खरीद कर रेड करना और फिर स्टॉक की कीमत कुछ रुपए बढ़ जाने पर सारी क्वांटिटी sell कर देना बहुत सारे लोग इस तरह से ट्रेड करके पैसा कमाते हैं। इन लोगों को चार्ट से कोई मतलब नहीं होता है क्योंकि उनको तो बस प्राइस देखना पड़ता है।
MUST READ – ट्रेडिंग कितने प्रकार की होती हैं?
अगर आप प्रॉपर ट्रेडिंग करते हैं तो चार्ट पर ट्रेंड देखना सबसे ज्यादा जरूरी है। अब सवाल आता है कि किस प्रकार की ट्रेडिंग में कौन से टाइम का चार्ट देखना चाहिए उसके लिए आपको अगला पॉइंट समझना जरूरी है।
2. ट्रेडिंग के लिए टाइम फ्रेम चुनें
अगर आप शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग करते हैं तो चार्ट पर ट्रेंड भी आपको कम समय का देखना होगा और अगर आप थोड़ी पड़े टाइम फ्रेम पर ट्रेडिंग करते हैं तो बड़े टाइम का चार्ट देखना होगा
जैसे- अगर कोई इंट्राडे ट्रेडिंग करता है तो उसके लिए 5 मिनट का टाइम फ्रेम वाला चार्ट देखना सबसे अच्छा होता है। लेकिन जब आपको 5 मिनट चार्ट पर अच्छा प्राइस एक्शन होते नहीं दिखे तो 15 मिनट का चार्ट भी देख सकते हैं।
स्विंग ट्रेडिंग में 1 दिन टाइम का चार्ट देखना अच्छा होता है। कहने का मतलब यह है कि आपका ट्रेडिंग टारगेट कितना बड़ा होगा चार्ट का टाइम फ्रेम भी उतना ही बड़ा लेना चाहिए।
मान लीजिए अगर आप ऑप्शन ट्रेडिंग करते हैं तो कुछ लोग कॉल और पुट ऑप्शन को आज खरीद कर expiry बड़े दिन तक होल्ड किए रहते हैं क्योंकि उन्हें बीच में शेयर में कहीं अधिक तेजी नजर नहीं आती है तो ऐसे लोगों को पता होना चाहिए कि ऑप्शन ट्रेडिंग में short-term चार्ट देखना चाहिए ना कि लॉन्ग टर्म।
ऐसा मैं इसलिए बोल रहा हूं क्योंकि मेरा मकसद है आपको ऑप्शन ट्रेडिंग से आपके खरीदे गए ऑप्शंस को जल्दी से जल्दी बिकवाना।
नहीं समझे, चलिए मैं आपको समझाता हूं….
ऑप्शन ट्रेडिंग में एक चीज होती है थीटा जिसे हम time decay भी बोलते हैं तो अगर आप ऑप्शन ट्रेडिंग में अपनी खरीदे गए ऑप्शंस को जितने ज्यादा समय के लिए होल्ड करके रखते हैं उनका प्रीमियम समय बीतने के साथ-साथ कम होता जाता है इसीलिए मैंने ऊपर कहा कि मेरा मकसद है आपके buy किये गए ऑप्शन्स को जल्दी से जल्दी बिकवाना।
MUST READ:
- ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे सीखें? (Step by Step पूरी जानकारी)
- ऑप्शन्स में थीटा डेल्टा गामा वेगा क्या होते हैं – (Option Greeks in hindi)
इसीलिए मैं तो कहता हूं कि आपको ऑप्शन ट्रेडिंग में छोटा सा प्रॉफिट मिलने पर भी उसे बुक कर लेना चाहिए क्योंकि हो सकता है उसके बाद वह टारगेट दोबारा ना आए और फिर आप पछताते रह जाएं।
और इसलिए मैंने ऑप्शन ट्रेडिंग चार्ट पर 1 मिनट टाइम प्रेम उपयोग करने को बोला था कुछ लोगों को यह मजाक लग सकता है और कुछ लोग सोच सकते हैं कि मैं आपको स्काल्पिंग ट्रेडिंग करने की बोल रहा हूं लेकिन ऐसा नहीं है।
3. सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल देखें
शेयर मार्किट चार्ट देखते समय सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल देखना अनिवार्य है। लेकिन उससे पहले आपको सपोर्ट और रेजिस्टेंस के बारे में पता होना चाहिए।
- Support level: जब स्टॉक का मूल्य दो या दो से अधिक बार किसी निश्चित प्राइस लेवल को छूकर ऊपर जाता है तो उसे हम support कहते हैं।
- Resistance level: जब स्टॉक का मूल्य दो या दो से अधिक बार किसी निश्चित प्राइस लेवल को छूकर नीचे जाता है तो उसे हम Resistance कहते हैं।
किसी भी स्टॉक का जो चार्ट बनता है वह कभी भी सीधी रेखा में नहीं बनता है बल्कि कभी ऊपर कभी नीचे होता रहता है। यह सपोर्ट रेजिस्टेंस के कारण होता है।
आपको यह तो पता होगा अगर मार्केट में खरीदार ज्यादा है तो स्टॉक का चार्ट ऊपर जाएगा और अगर मार्केट में विक्रेता ज्यादा है तो स्टॉक का चार्ट नीचे जाएगा। यह खरीदार और विक्रेता ही सपोर्ट और रेजिस्टेंस क्रिएट करते हैं।
किसी विशेष प्राइस पर कुछ खरीदार बैठे होते हैं ठीक इसी प्रकार किसी दूसरे प्राइस पर विक्रेता बैठे होते हैं। उनका मकसद होता है कि जब कोई निश्चित प्राइस टच करेगा तो वह अपने खरीदेगा शेयर बेच देंगे यह उनके लिए सपोर्ट या रेजिस्टेंस कुछ भी हो सकता है। और जब वह प्राइस टच करता है तो स्टॉक के प्राइस में मूवमेंट चार्ट पर दिखती है।
तो अगर आप चार्ट पर सपोर्ट और रेजिस्टेंस को अच्छे से समझ गए तो शेयर मार्किट चार्ट पढ़ना चुटकियों का खेल है।
4. ट्रेंडलाइन का इस्तेमाल करें
ट्रेंडलाइन उन रेखाओं को कहते हैं जो चार्ट पर आपको विशेष ट्रेंड पहचानने में मदद करती है। इनका उपयोग आप ट्रेडिंग टूल के अंदर जाकर कर सकते हैं। आपको चार्ट पर सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल देखकर और बाजार का ट्रेंड देखकर trendline बनाना पड़ता है।
ट्रेंडलाइन बनाते ही आपको विशेष प्रकार के चार्ट पेटर्न नजर आते हैं जो आपको उस स्टॉक में प्रॉफिटेबल ट्रेड के अवसर प्रदान करते हैं।
ट्रेंडलाइन horizontal या vertical कुछ भी हो सकती है आपका मकसद केवल उस ट्रेंडलाइन से चार्ट पेटर्न को पहचानना होता है। यह रेखाएं आपको स्टॉपलॉस और टारगेट भी पता करने में मदद करती है।
ट्रेंडलाइन को आप चार्ट पर लगाने की जितना ज्यादा प्रैक्टिस करेंगे उतना ही ज्यादा आप चार्ट पढ़ने में माहिर होते जायेंगें। इसीलिए चार्ट पर अलग-अलग रेखाओं को बनाकर विभिन्न पैटर्न देखने का अभ्यास करें।
5. चार्ट पेटर्न पढ़ने की कोशिश करें
चार्ट पैटर्न पढ़ने से पहले आपको चार्ट कटान के प्रकार के बारे में पता होना जरूरी है। तो आइए जान लेते हैं–
1. Double Top chart pattern:
जब किसी चार्ट पर प्राइस दो बार किसी same प्राइस लेवल या resistance को टच करके नीचे चला जाता है तो डबल टॉप चार्ट पैटर्न बनता है। यह पैटर्न चार्ट पर ‘M’ के आकार का दिखता है।
इसी प्रकार जब भाव 3 बार उसी रेजिस्टेंस को टच कर के नीचे जाता है तो उसे Triple Top चार्ट पैटर्न बोलते हैं।
2. Double Bottom chart pattern:
जब किसी चार्ट पर प्राइस दो बार किसी same support को टच करके ऊपर की ओर चला जाता है तो डबल टॉप चार्ट पैटर्न बनता है। यह पैटर्न चार्ट पर ‘M’ के आकार का दिखता है।
इसी प्रकार जब स्टॉक का मूल्य 3 बार उसी same support को टच कर के ऊपर जाता है तो उसे Triple Bottom चार्ट पैटर्न बोलते हैं।
3. Reversal chart pattern
कोई अपट्रेंड या डाउनट्रेंड लगातार चल रहा है और अचानक से ट्रेंड रिवर्स होना चालू हो जाता है तो उसे हम reversal chart pattern बोलते हैं।
इसके अलावा भी बहुत सारे चार्ट पैटर्न्स होते हैं जैसे; हेड एंड शोल्डर पेटर्न, बुलिश एंगल्फिंग पैटर्न, बेरिश एंगल्फिंग पैटर्न, फ्लैग पैटर्न आदि लेकिन इन सभी के बारे में किसी अन्य पोस्ट में विस्तार से चर्चा करेंगे।
जैसा कि मैंने ऊपर वाले पॉइंट में बताया था ट्रेंडलाइन का उपयोग करने पर आपको अलग-अलग चार्ट पर अलग अलग पैटर्न बनते हुए दिखेंगे।
इसके अलावा आपको अच्छी तरह से चार्ट पेटर्न पढ़ने के लिए कैंडलेस्टिक पेटर्न को समझना बहुत जरूरी है इसके बारे में अगले पॉइंट में समझाया गया है।
- Chart Pattern in hindi (सभी शेयर मार्केट ट्रेडिंग चार्ट पेटर्न के बारे में उदाहरण सहित पूरी जानकारी)
- Candlestick Chart Pattern in Hindi (22 बेस्ट कैंडलस्टिक पेटर्न उदाहरण सहित पूरी जानकारी
6. कैंडलस्टिक पेटर्न देखकर ट्रेड करें
कैंडलस्टिक पेटर्न तो आप तब बना पाएंगे जब आपको कैंडल्स की जानकारी होगी इसलिए सबसे पहले कुछ कैंडल्स के बारे में जान लेते हैं–
कैंडल्स दो प्रकार की होती हैं;
- Red candle
- Green candle
चार्ट पर ग्रीन कैंडल बनने का मतलब है कि मार्केट बुलिश (bullish) है अर्थात बाजार में तेजी आने के संकेत हैं। और चार्ट पर रेड कैंडल बनने का मतलब है मार्केट बेरिश (bearish) है और आज मार्केट में गिरावट या मंदी के संकेत हैं।
प्रत्येक candle दो चीजों से मिलकर बनी होती है–बॉडी और विक।
Candle की बॉडी यानी शरीर वह भाग है जो आपको लाल या हरे रंग का दिखाई देता है जबकि विक यानी परछाई वह हिस्सा होता है जो कैंडल के ऊपर नीचे निकली हुई रेखाओं के रूप में दिखाई देता है।
कैंडल कई प्रकार की होती है आपने चार्ट पर देखा होगा कि;
- कोई कैंडल बड़ी तो कोई कैंडल छोटी होती है,
- किसी कैंडल की बॉडी बहुत बड़ी होती है और विक बहुत छोटी,
- जबकि किसी कैंडल की विक बहुत बड़ी होती है और बॉडी बहुत छोटी,
- किसी कैंडल की विक नीचे की तरफ बहुत बड़ी रहती है तो किसी कैंडल की ऊपर की ओर।
कैंडल के प्रकार के बारे में किसी अन्य पोस्ट में विस्तार से बात करेंगे। अभी के लिए बस इतना समझ लें कि शेयर मार्किट चार्ट में कैंडल का महत्व बहुत ज्यादा है।
कैंडल्स से मिलकर ही कैंडलेस्टिक चार्ट पेटर्न्स बनते हैं। अलग-अलग टाइमफ्रेम पर अलग-अलग प्रकार की कैंडल बनती है।
कैंडल्स प्रत्येक अवधि के चार्ट पर अलग-अलग बनती है चाहे वह 1 मिनट, 5 मिनट, 15 मिनट, hourly या weekly चार्ट ही क्यों ना हो सभी पर आपको अलग-अलग कैंडल्स बनते हुए दिखाई देगी।
चार्ट पर कैंडल देखते समय आपको 4 चीजों को देखना पड़ता है– High, Low, Open, Close
- High: कैंडल का जो सबसे ऊपरी हिस्सा होता है वह high कहलाता है। कैंडल का हाई देखने से आपको पता चलता है कि प्राइस किसी टाइम फ्रेम पर यहां तक टच किया था।
- Low: कैंडल का जो सबसे निचला हिस्सा होता है वह low कहलाता है। कैंडल का लो देखने से आपको पता चलता है कि प्राइस किसी टाइम फ्रेम पर यहां तक टच था।
- Open: यहां से कैंडल बनना शुरू होता है।
- Close: यहां पर कैंडल का अंत होता है। इसके बाद अगला कैंडल बनने की शुरुआत होती है।
शेयर मार्केट कैंडल्स के बारे में विस्तार से जानने के लिए ये पोस्ट पढ़ें–
- Share market candles in hindi (कैंडलस्टिक के प्रकार, किस कैंडल को कब और कैसे प्रयोग करना है– पूरी जानकारी उदाहरण सहित)
अब तक आपने कैंडल के बारे में समझा अब कुछ कैंडलस्टिक चार्ट पेटर्न के बारे में भी जान लेते हैं–
वैसे तो कैंडलस्टिक पेटर्न बहुत सारे होते हैं लेकिन यहां पर हम 3 सबसे जरूरी कैंडलस्टिक पेटर्न के बारे में बात करने वाले हैं–
- बुलिश इंगल्फिंग पैटर्न
- बेरिश इंगल्फिंग पैटर्न
- हैमर पैटर्न
1. बुलिश इंगल्फिंग पैटर्न
जब भी ट्रेडिंग चार्ट पर कोई ऐसी ग्रीन कैंडल बनती है जिसकी बॉडी काफी बड़ी होती है तो उसे हम बुलिश इंगल्फिंग कैंडल कहते हैं। जब चार्ट पर ऐसी कैंडल दो या दो से अधिक बार बनती है तो उसे बुलिश इंगल्फिंग पैटर्न (bullish engulfing pattern) बोला जाता है।
यह एक ब्रेकआउट पैटर्न है मतलब जब भी हमें चार्ट पर बुलिश इंगल्फिंग पैटर्न दिखे तो आपको buy करना है। क्योंकि यह पैटर्न बताता है कि मार्केट में तेजी आने वाली है।
2. बेरिश इंगल्फिंग पैटर्न
जब भी ट्रेडिंग चार्ट पर कोई रेड ग्रीन कैंडल बनती है जिसकी बॉडी काफी बड़ी होती है तो उसे हम बेरिश इंगल्फिंग कैंडल कहते हैं। जब चार्ट पर ऐसी कैंडल दो या दो से अधिक बार बनती है तो उसे बेरिष इंगल्फिंग पैटर्न (bearish engulfing pattern) बोला जाता है।
यह एक breakdown पैटर्न है मतलब जब भी हमें चार्ट पर बेरिश इंगल्फिंग पैटर्न दिखे तो आपको sell करना है। क्योंकि यह पैटर्न बताता है कि मार्केट में गिरावट होने वाली है।
3. हैमर पैटर्न
जब किसी candle की बॉडी बहुत छोटी होती है लेकिन उसकी विक नीचे की ओर बहुत बड़ी होती है तो उसे हम हैमर कैंडल बोलते हैं। जब चार्ट पर हैमर कैंडल दो या दो से अधिक बार बनती है तो उसे हैमर पैटर्न (hammer pattern) बोला जाता है। इसे pin bar pattern भी कहते हैं।
क्योंकि इस कैंडल की विक या छाया देखने में एक पिन की तरह लगती है। यह pin प्राइस रिजेक्शन को दर्शाती है इसका मतलब है कि जिस और यह पिन बनती है प्राइस उस तरफ नहीं जाना चाहता है। अगर प्राइस का डायरेक्शन नीचे है तो इसका सिंपल मतलब है कि मार्केट नीचे नहीं जाना चाहता।
और इसकी बॉडी पावर को दर्शाती है मतलब अगर बॉडी Green है तो यह bulls की पावर को दर्शाती है और अगर बॉडी Red है तो यह बताती है कि मार्केट में bears हावी हैं।
इसी तरह अगर bearish hammer candle बनती है मतलब की बॉडी लाल होती है और विक ऊपर की ओर बहुत बड़ी होती है वह कैंडल मार्केट में sellers की ताकत को दर्शाती है।
अभी के लिए आप बस इतना समझ लीजिए कि hammer कैंडल की विक जितनी बड़ी होती है मार्केट में buy या sell का संकेत उतना ही मजबूत होता है।
मतलब जिस तरफ पिन है मार्केट उस तरफ नहीं जाना चाहता इसलिए आपको पिन या विक के विपरीत दिशा में ट्रेड करना है।
- Chart Patterns PDF Free Download in Hindi
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कैंडलस्टिक पेटर्न के बारे में सबसे आसान भाषा में और उदाहरण के साथ सीखने के लिए आपको नीचे दी गई किताब जरूर पढ़नी चाहिए जो अब तक की कैंडलस्टिक पर लिखी गई सबसे बेस्ट किताब है. नीचे दिए इमेज पर क्लिक करके आप इस किताब को डाउनलोड कर सकते हैं―
7. चार्ट के रिवर्सल संकेत देने पर स्टॉक से एग्जिट करें
जब मार्केट में रिवर्सल आने वाला होता है तो चार्ट आपको सबसे पहले बता देता है। कुछ लोग पुट कॉल रेश्यो और ऑप्शन चेंज डाटा के भरोसे बैठे रहते हैं लेकिन तब तक चार्ट काफी आगे बढ़ चुका होता है।
मेरी एक बात हमेशा याद रखें किसी भी डाटा से ज्यादा हमेशा चार्ट पर भरोसा करें। मैं ऐसा नहीं बोल रहा हूं कि ऑप्शन चैन डाटा या किसी प्रकार का डाटा देखना उपयोगी नहीं है लेकिन अगर चार्ट पर ट्रेंड बदलने के संकेत मिलते हैं तो पूरी ऑप्शन चैन का डाटा कुछ ही सेकंड में पूरी तरह से बदल जाएगा और अंत में चार्ट ही सही निकलेगा।
MUST READ: Option chain in hindi
मार्केट में कोई भी अच्छी या बुरी वही खबर आती है तो उसका सबसे पहले मूवमेंट चार्ट पर दिखता है इसीलिए शेयर मार्केट चार्ट पढ़ने में एक्सपर्ट बन जाइए एक दिन आप सफल ट्रेडर बन जाएंगे।
आशा करता हूं आपको शेयर मार्किट चार्ट पढ़ने के लिए ऊपर बताई जानकारी उपयोगी लगी होगी। अब बढ़ते हैं अगले इंपॉर्टेंट टॉपिक पर–
शेयर मार्किट चार्ट एनालिसिस कैसे करें?
Share market chart analysis in hindi:
- स्टॉक का ट्रेंड जिस दिशा में है उसी दिशा में अपनी एनालिसिस करें।
- ऑप्शन चैन एनालिसिस करते हुए भी चार्ट देखना मत भूलें।
- किसी भी डाटा से ज्यादा शेयर के चार्ट पर भरोसा करें।
- चार्ट की प्राइस मूवमेंट को ट्रैक करें।
- अलग-अलग कैंडलस्टिक पेटर्न को एनालाइज करें
- चार्ट पर टेक्निकल एनालिसिस की मदद से शेयर में सही एंट्री लेवल ढूंढे।
- चार्ट पर वॉल्यूम और मोमेंटम पता करें।
- मूविंग एवरेज के द्वारा चार्ट पर ट्रेडिंग के अवसर खोजें।
- चार्ट पर अलग-अलग ट्रेडिंग टूल्स का अभ्यास करें।
- चार्ट पर अपना ट्रेडिंग स्टाइल चुनें और ट्रेडिंग साइकोलॉजी पर फोकस करें।
- चार्ट एनालिसिस के लिए ट्रेडिंग की विभिन्न रणनीतियों का उपयोग करें।
Trading Chart in Hindi (Levels) | |
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NIFTY | BANKNIFTY |
24400-25000 | 52300-53000 |
23200-24000 | 50900-51800 |
22900-23800 | 49400-50200 |
22400-22600 | 47700-49700 |
How to Read Share Market Chart in Hindi– FAQ’s
शेयर मार्केट में चार्ट कैसे देखते हैं?
शेयर बाजार में किसी भी स्टॉक का चार्ट देखने के लिए आप गूगल पर शेयर का नाम और उसके आगे प्राइस शब्द लगाकर उस शेयर का चार्ट देख सकते हैं। स्टॉक का चार्ट देखने के लिए ट्रेडिंगव्यू वेबसाइट सबसे अच्छी है क्योंकि वहां पर आपको बहुत सारे ट्रेडिंग टूल्स उपयोग करने के लिए उपलब्ध हैं।
शेयर मार्किट कैंडल चार्ट कैसे समझें?
कैंडल चार्ट को समझने के लिए आपको अलग-अलग प्रकार की लाल और हरी कैंडल के नाम और उनके बारे में समझना होगा। शेयर मार्किट चार्ट पर कौन सी कैंडल कब बनती है इसके बारे में सीखने का प्रयास करें।
शेयर मार्केट चार्ट पढ़ना क्यों जरूरी है?
शेयर मार्केट चार्ट पढ़ने से प्राइस मूवमेंट, वॉल्यूम, सपोर्ट रेजिस्टेंस आदि की जानकारी मिलती है और इसीलिए स्टॉकचार्ट पढ़ना सभी ट्रेडर्स के लिए बहुत जरूरी है।
निष्कर्ष (Share Market Chart Hindi PDF Download)
इस लेख में मैंने बताया है कि शेयर मार्किट चार्ट कैसे समझे (How to read share market chart in hindi) और शेयर मार्किट चार्ट एनालिसिस कैसे करें। इसके अलावा मैंने अलग-अलग कैंडल्स, चार्ट पेटर्न, ट्रेंड के बारे में बताया है। साथ ही इंट्राडे, स्विंग या ऑप्शन ट्रेडिंग चार्ट देखते समय कौन सा टाइम फ्रेम सबसे अच्छा होता है इसके बारे में भी बताया है।
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