स्टॉपलॉस क्या है– ट्रेडिंग में Stop Loss आर्डर कब, कहां और कैसे लगाते हैं?

शेयर मार्केट में स्टॉप लॉस क्या होता है, Stop loss meaning in hindi, स्टॉप लॉस कैसे लगाया जाता है, स्टॉप लॉस ऑर्डर कैसे काम करता है, स्टॉप लॉस मार्केट ऑर्डर और लिमिट ऑर्डर क्या है उदाहरण सहित (पूरी जानकारी विस्तार से)

Stoploss kya hai in hindi

किसी भी सक्सेसफुल ट्रेडर के लिए Stop loss order बहुत important होता है क्योंकि ये उन्हें ट्रेडिंग में होने वाले बड़े loss से बचाता है. आज हम इस पोस्ट में आपको स्टॉपलॉस के बारे में पूरी जानकारी देंगे जैसे;

  • स्टॉप लॉस ऑर्डर क्या होता है,
  • ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस कब कहां और कैसे लगाते हैं,
  • और स्टॉप लॉस कितने प्रकार का होता है,

अगर आपने कभी भी शेयर मार्केट में ट्रेडिंग की है या फिर करने वाले हैं तो कृपया इस पोस्ट को पूरा अंत तक ध्यान से जरूर पढ़ें क्योंकि stop loss को समझने से आप ट्रेडिंग में होने वाले बड़े नुकसान से बच सकते हैं।

इस पोस्ट में आप जानेंगे-

Stop Loss क्या होता है?

Stoploss meaning in hindi

StopLoss शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है ‘ पहला स्टॉप और दूसरा लॉस‘ Stop का मतलब है रोकना और लॉस का मतलब है नुकसान यानी कि स्टॉप लॉस का अर्थ (meaning) होता है नुकसान को रोकना.

Stoploss वह ट्रिगर प्राइस है जिस पर आप शेयर को sell यानी बेच देते हैं। ट्रेडिंग में स्टॉपलॉस आर्डर आपके नुकसान को कम करने का जरिया है. रिस्क प्रबंधन के लिए ट्रेडर्स को अपना स्टॉपलॉस buying price से 1% से 2% या उससे नीचे लगाना चाहिए.

उदाहरण के लिए; मान लो आपने कोई शेयर 100 Rs का खरीदा और स्टॉप लॉस 1% नीचे यानी 90 Rs पर सेट कर दिया. अब कुछ देर बाद शेयर प्राइस 70 Rs पर आ गया तो ऐसे में आपका loss सिर्फ 10 Rs होगा क्योंकि स्टॉप लॉस ऑर्डर हिट होते ही आपका शेयर 90 पर ही बिक गया था.

इसका मतलब है कि स्टॉपलॉस ऑर्डर हिट होने से आप अनलिमिटेड नुकसान होने से बच सकते हैं यानी की आप अपने नुकसान (loss) के लिए एक लिमिट सेट कर देते हैं जबकि प्रॉफिट आपको कितना भी हो सकता है. तो इस प्रकार स्टॉप लॉस ऑर्डर ट्रेडर्स के लिए एक उपयोगी टूल के रूप में काम करता है।

स्टॉप लॉस लगाना क्यों जरूरी है? Why stoploss is important in trading?

शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करते समय आप स्टॉप लॉस ऑर्डर लगाकर अपने नुकसान को लिमिट कर सकते हैं। जब हम ट्रेडिंग करते हैं तो शेयर का प्राइस बहुत कम समय में तेजी से बदलता है और ऐसे में हमें तेजी से प्रॉफिट होने के साथ-साथ तेजी से नुकसान भी हो सकता है.

और ऐसे में जब हमें profit होता है तब तो हम अपना ट्रेड जल्दी close कर देते हैं

लेकिन जब हमें Loss होने लगता है तो हम अपना ट्रेड इस उम्मीद में जल्दी से क्लोज नहीं करते कि शायद थोड़ी देर में हमें फिर से प्रॉफिट होने लगेगा, या हमारा लॉस कम हो जाएगा.

लेकिन कई बार ऐसा होता है कि इस इंतजार में हमें और ज्यादा loss होता चला जाता है और आखिर में हमें अपना ट्रेड एक बड़े नुकसान (loss) के साथ क्लोज करना पड़ता है।

एक बड़े सक्सेसफुल ट्रेडर ने कहा था कि–

“If you can’t take a small loss,
Sooner or Later, you will take the mother of all losses.”

इसका अर्थ यह है कि–

अगर आप ट्रेडिंग में एक छोटा लॉस नहीं ले सकते तो आपको बहुत जल्द एक बड़ा लॉस लेना पड़ेगा’

यानी कि अगर आप ट्रेडिंग में एक छोटा लॉस जल्दी से जल्दी क्लोज करना नहीं सीखेंगे तो आपको एक ना एक दिन बहुत बड़ा लॉस उठाना पड़ेगा.

और एक सफल ट्रेडर इस बात को बहुत अच्छे से समझता है इसलिए वह ट्रेडिंग करते समय स्टॉप लॉस का उपयोग जरूर करता है।

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चलिए अब जानते हैं कि ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस आर्डर का उपयोग कैसे करते हैं–

स्टॉप लॉस ऑर्डर कैसे लगाते हैं (How to use stoploss order in hindi)

आपको बता दें कि स्टॉप लॉस आर्डर का इस्तेमाल हम केवल तभी करते हैं जब हमने पहले से कोई पोजीशन ले रखी हो

उदाहरण के लिए–

अगर आपने एक शेयर buy किया हुआ है तो हम उस पर एक selling stop loss आर्डर लगा सकते हैं।

या फिर अगर हमने एक शेयर short किया हुआ है मतलब बेचा हुआ है तो हम उस पर buying stop loss आर्डर लगा सकते हैं।

👉StopLoss order और Normal order में क्या अंतर है?

एक Stoploss order, normal buy-sell वाले order से थोड़ा अलग होता है.

  • Normal buy या sell वाले order को हम सिर्फ नार्मल market order या limit order की तरह ही लगाते हैं.
  • लेकिन Stoploss order में आपको ऑर्डर लगाते समय एक ट्रिगर प्राइस सेट करना पड़ता है.
  • और जब ट्रिगर प्राइस आता है तो हमारा स्टॉप लॉस ऑर्डर activate होकर मार्केट में चला जाता है।

स्टॉप लॉस कैसे लगाया जाता है?

स्टॉप लॉस आर्डर लगाने के लिए हमें सबसे पहले यह डिसाइड करना होता है कि हम अपने stoploss order को market order की तरह लगाना चाहते हैं या limit order की तरह.

चलिए सबसे पहले देखते हैं कि अगर हम स्टॉप लॉस ऑर्डर को मार्केट ऑर्डर की तरह लगाएंगे तो क्या होता है–

अगर हम अपने स्टॉप लॉस ऑर्डर को market order की तरह लगाएंगे तो हमें बस उसमें एक ट्रिगर प्राइस सेट करना होगा, इस प्रकार के आर्डर को stoploss market order कहते हैं।

इस ऑर्डर को लगाने के बाद जैसे ही हमारा लगाया गया ट्रिगर प्राइस आएगा, तो हमारा stoploss order एक्टिवेट हो जाएगा और उस समय जो भी market price होगी उस पर वह आर्डर एग्जीक्यूट हो जाएगा।

आइये अब देखते हैं कि अगर हम अपने स्टॉप लॉस ऑर्डर को limit order की तरह लगाएंगे तो क्या होता है–

अगर आप अपने स्टॉप लॉस ऑर्डर को लिमिट ऑर्डर रखता है लगते हैं तो हमें उसमें अपने trigger price के साथ एक limit price भी सेट करना होगा, इस प्रकार के आर्डर को stoploss limit order कहते हैं।

इस ऑर्डर को लगाने के बाद जैसे ही हमारा लगाया गया ट्रिगर प्राइस आएगा, तो हमारा stoploss order एक्टिवेट हो जाएगा और हमारे सेट किये गए limit price पर एक आर्डर लग जाएगा

और वो लिमिट प्राइस आने पर हमारा ऑर्डर सफलतापूर्वक एग्जीक्यूट हो जाएगा।

आइये अब इन दोनों प्रकार के स्टॉपलॉस ऑर्डर यानी मार्केट ऑर्डर और लिमिट ऑर्डर के उदाहरण देख लेते हैं–

स्टॉप लॉस का उदाहरण (Example of Stoploss order in hindi)

पहले बात करते हैं Stoploss Market Order की;

स्टॉप लॉस मार्केट ऑर्डर क्या है उदाहरण सहित?

मान लो आपने कोई शेयर 100 रुपये के प्राइस पर खरीदा है और आप इस पर ज्यादा से ज्यादा यानी maximum 3 रुपये ही Loss उठाना चाहते हैं.

मतलब आप चाहते हैं कि चाहे यह स्टॉक कितना भी गिर जाए लेकिन मुझे 3 Rs से ज्यादा का लॉस नहीं होना चाहिए यानी कि मैं एक शेयर पर 3 Rs से ज्यादा नुकसान नहीं सहन कर सकता.

अब क्योंकि यहां पर आपने शेयर पहले से ही buy कर रखा है तो आप selling stoploss order लगाएंगे–

  • यह आर्डर लगाने के लिए सबसे पहले आप अपने शेयर के sell ऑप्शन पर क्लिक करें
  • उसके बाद order type में Stoploss Market Order सेलेक्ट करें, (इसे ब्रोकर ऐप में शॉर्ट में SL-M भी लिख दिया जाता है इसलिए कंफ्यूज मत होना, दोनों का मतलब same ही है.)
  • वहीं पर आपको ‘Trigger Price’ डालने का ऑप्शन दिखेगा.
  • अब क्योंकि आप 100 Rs के स्टॉक पर maximum 3 Rs ही loss लेना चाहते हैं
  • इसलिए आपको ‘Trigger Price’ को 100 Rs से 3 Rs कम यानी 97 Rs डाल देना है.
  • इसके बाद आर्डर प्लेस करते ही आपका Stoploss Market Order सक्सेसफुली place जाएगा.

इस आर्डर को लगाने के बाद जैसे ही आपके शेयर की प्राइस कम होकर 97 रुपए तक आएगी, हमारा स्टॉप लॉस ऑर्डर ट्रिगर हो जाएगा.

ट्रिगर होते ही एक sell market order स्टॉक एक्सचेंज पर चला जाएगा और हमारा शेयर अपने आप sell हो जाएगा.

तो इस प्रकार आप अधिक नुकसान होने से बच सकते हैं क्योंकि हो सकता था कि अगर आपने स्टॉप लॉस ऑर्डर ना लगाया होता तो वह शेयर 50 Rs तक भी गिर जाता और ऐसे में आपको एक शेयर पर 50 Rs तक का नुकसान भुगतना पड़ सकता था.

और इसीलिए ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस लगाना बहुत जरूरी होता है क्योंकि इसके द्वारा आप अपने नुकसान को लिमिट कर सकते हैं जैसा कि अपने ऊपर उदाहरण में 1 शेयर पर अधिक से अधिक 3 Rs तक लिमिट कर दिया था।

ठीक इसी प्रकार आप अपने रिस्क के अनुसार स्टॉप लॉस लगाकर ट्रेडिंग में होने वाले बड़े लॉस से बच सकते हैं।

इस उदाहरण में हमने बात करी Stoploss Market Order के बारे में, चलिए अब जान लेते हैं Stoploss Limit Order के बारे में–

स्टॉप लॉस लिमिट ऑर्डर क्या है उदाहरण सहित?

स्टॉप लॉस लिमिट आर्डर को लगाने की पूरी प्रक्रिया लगभग ऊपर दिए गए उदाहरण की तरह ही है बस आपको order type में Market order की जगह Limit order का ऑप्शन सिलेक्ट करना पड़ता है, बाकी पूरी प्रोसेस लगभग same है।

लेकिन फिर भी आइये इसे नीचे दिए गए उदाहरण के द्वारा समझ लेते हैं–

मान लो आपने कोई शेयर 100 रुपये के प्राइस पर खरीदा है और आप इस पर ज्यादा से ज्यादा यानी maximum 3 रुपये ही Loss लेना चाहते हैं.

अब क्योंकि आपने शेयर पहले से ही buy कर रखा है तो आप selling stoploss order लगाएंगे–

  • यह आर्डर लगाने के लिए सबसे पहले आप अपने शेयर के sell ऑप्शन पर क्लिक करें
  • उसके बाद order type में Stoploss Limit Order सेलेक्ट करें, ये order type में शॉर्ट में SL लिखा होता है।
  • इसके बाद वहां पर आपको दो प्राइस सिलेक्ट करने का ऑप्शन दिखाई देगा– trigger price और limit price

चूंकि हम एक शेयर पर अधिक से अधिक 3 Rs ही नुकसान उठा सकते हैं इसलिए हम चाहते हैं कि जब शेयर की प्राइस 100 Rs से 3 Rs कम यानी 97 Rs पर आये तो शेयर अपने आप ही sell हो जाए.

इसीलिए आपको ये जो 2 ऑप्शन दिखेंगे इसमें limit price को 97 Rs सेट कर देना है.

अब आप सोच रहे होंगे कि trigger price में क्या डालना है?

तो आपको बता दें कि आपको trigger price को हमेशा limit price और buy price के बीच में सेट करना पड़ता है.

क्योंकि जब शेयर की प्राइस कम होगी तो हमारा ट्रिगर प्राइस हमारे लिमिट प्राइस से पहले आना चाहिए.

तभी तो ट्रिगर प्राइस आने पर हमारा स्टॉप लॉस ऑर्डर एक्टिवेट होगा.

और हमारे सेट किए हुए लिमिट प्राइस पर एक limit order स्टॉक एक्सचेंज के पास चला जाएगा.

तो यहां पर हम अपने trigger price को 100 Rs और 97 Rs के बीच यानी 98 Rs सेट कर देंगे.

इतना करते ही हम अपना stoploss limit order place कर सकते हैं।

इसके बाद जैसे ही हमारे शेयर की प्राइस कम होकर 98 रुपये आएगी तो हमारा ऑर्डर ट्रिगर हो जाएगा और एक sell order एक्सचेंज के पास चला जाएगा फिर जब शेयर की प्राइस थोड़ी और कम होकर 97 Rs आएगी तो आपका शेयर sell कर दिया जाएगा।

तो इस प्रकार आप स्टॉप लॉस लिमिट ऑर्डर लगाकर ज्यादा नुकसान से बच जाएंगे.

मैं उम्मीद करता हूं आपको ऊपर दिए गए उदाहरण के द्वारा समझ आ गया होगा कि आखिर कैसे Stoploss market order और Stoploss limit order लगाया जाता है।

चलिए अब स्टॉप लॉस के बारे में हम कुछ ऐसे कॉमन सवाल सवाल और उनके जवाब जान लेते हैं जो कि अक्सर नए लोगों के मन में उठते रहते हैं–

FAQ’s About Stop Loss in Hindi

Stop Loss क्या होता है?

Stop Loss ट्रेडिंग में आपके नुकसान को कम करने का एक तरीका है, इसे शॉर्ट में SL बोलते हैं. स्टॉप लॉस के द्वारा आप अपने लॉस को लिमिट कर सकते हैं. मतलब अगर आपने किसी शेयर को खरीदने के बाद स्टॉप लॉस लगाया है तो वह शेयर कितना भी नीचे क्यों ना गिर जाए लेकिन आपको अपने लगाए गए स्टॉप लॉस वैल्यू से ज्यादा नुकसान कभी नहीं हो सकता.

लेकिन वहीं अगर आपने स्टॉप लॉस ना लगाया होता तो आपको नुकसान और अधिक हो सकता था जो की स्टॉप लॉस लगाने की वजह से नहीं हो पाया तो इस प्रकार आप स्टॉप लॉस आर्डर लगा सकते हैं और अपने लॉस को कम कर सकते हैं।

ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस कैसे लगाया जाता है?

ट्रेडिंग स्टॉप लॉस लगाने के लिए शेयर खरीदते समय या शेयर खरीदने के बाद ऑर्डर टाइप वाले सेक्शन में आपको दो विकल्प दिखेंगे मार्केट ऑर्डर और लिमिट ऑर्डर. इनमें से किसी एक का चुनाव करें और अपना स्टॉप लॉस प्राइस डाल दें. फिर जब आपका स्टॉप लॉस ट्रिगर होगा तो शेयर अपने आप ही बिक जाएगा.

स्टॉप लॉस मार्केट प्राइस क्या है?

स्टॉप लॉस में मार्केट प्राइस का मतलब है जो अभी करंट प्राइस चल रहा है। मान लो अभी कोई शेयर 100 रुपये की कीमत पर बाजार में ट्रेड कर रहा है तो 100 रुपये उस शेयर का मार्केट प्राइस कहलाता है. मार्केट प्राइस पर स्टॉप लॉस लगाने का मतलब है कि आपने अपना स्टॉप लॉस थोड़ा नीचे की और एक विशेष प्राइस पर सेट किया हुआ है।

स्टॉप लॉस ऑर्डर के उदाहरण कैसे रखें?

अगर हम स्टॉप लॉस आर्डर का उदाहरण देखें तो, मान लो अभी किसी शेयर की कीमत 50 रुपये चल रही है और आप चाहते हैं कि जब यह शेयर 45 रुपये पर आए तो अपने आप बिक जाए क्योंकि आप इससे ज्यादा लॉस सहन नहीं कर सकते. ऐसे में आप 5 Rs का स्टॉप लॉस आर्डर सेट कर सकते हैं जिससे आपको कभी भी 5 Rs से ज्यादा नुकसान नहीं होगा।

स्टॉप लिमिट कैसे काम करती है?

स्टॉप लिमिट का मतलब है कि आपने एक लिमिट के अंदर ही स्टॉप लॉस लगाया है. यानि कि अगर कोई शेयर 100 Rs का है और आप चाहते हैं कि यह 10% से नीचे जाने पर अपने आप ही sell हो जाए तो इसका अर्थ है कि आपने अपने शेयर पर 10% की स्टॉप लिमिट लगा रखी है.

क्या स्टॉप लॉस हमेशा काम करता है?

स्टॉप लॉस उस समय काम करता है जब आपके शेयर खरीदने के बाद मार्केट नीचे जाने लगे और आपका स्टॉपलॉस हिट होते ही आपका बड़ा नुकसान होने से बच जाए.

लेकिन कई बार ऐसा होता है कि जब आपने स्टॉप लॉस लिमिट ऑर्डर लगाया होता है और मार्केट इतनी तेजी से मूव करता है कि आपका स्टॉप लॉस एग्जीक्यूट ही नहीं हो पता है मतलब हम कह सकते हैं कि ऐसे में आपका स्टॉपलॉस कम नहीं करता है।

इससे बचने का उपाय है कि जब आपको लगता है की मार्केट बहुत तेजी से ऊपर नीचे हो रहा है तो ऐसे में आपको हमेशा स्टॉप लॉस लिमिट ऑर्डर की बजाय स्टॉप लॉस मार्केट ऑर्डर ही लगाना चाहिए।

क्या मुझे हमेशा स्टॉप लॉस का उपयोग करना चाहिए?

जी हां, शेयर मार्केट में हर एक ट्रेडर को स्टॉप लॉस का उपयोग करना चाहिए क्योंकि यह आपको बड़ा नुकसान होने से बचाता है. स्टॉप लॉस कि प्राइस पर लगाना है यह आप अपने रिस्क के हिसाब से तय कर सकते हैं।

मेरा स्टॉप लॉस हमेशा हिट क्यों होता है?

शेयर मार्केट में बहुत सारे नए लोग हैं जिनका स्टॉप लॉस हमेशा हिट होता रहता है इसका कारण है प्रॉपर टेक्निकल एनालिसिस नहीं करना. अगर आप स्टॉप लॉस बार-बार हिट होने से बचना चाहते हैं तो आपको मार्केट के ट्रेंड, वॉल्यूम, टेक्निकल इंडिकेटर, कैंडलस्टिक और चार्ट पेटर्न आदि को अच्छे से एनालाइज करना आना चाहिए।

मेरा स्टॉप लॉस ट्रिगर क्यों नहीं होता है?

शेयर मार्केट बहुत तेजी से वोलेटाइल यानी ऊपर नीचे होने के कारण बहुत बार ऐसा होता है जब आपका स्टॉप लॉस प्राइस ट्रिगर नहीं हो पता है जबकि मार्केट आपके द्वारा सेट किए गए स्टॉप लॉस प्राइस से भी ज्यादा नीचे चला जाता है और ऐसे में आपको स्टॉप लॉस लगाने के बावजूद भी नुकसान हो सकता है।

इससे बचने के लिए अधिक वोलेटाइल मार्केट में हमेशा स्टॉप लॉस मार्केट आर्डर का प्रयोग करें ना कि स्टॉपलॉस लिमिट आर्डर का.

ट्रिगर प्राइस और स्टॉप लॉस में क्या अंतर है?

ट्रिगर प्राइस वह प्राइस होता है जिस पर मार्केट आते ही आपका शेयर अपने आप sell हो जाता है जबकि स्टॉप लॉस एक प्रतिशत के रूप में होता है या फिर ट्रिगर प्राइस और करंट मार्केट प्राइस के बीच का डिफरेंस ही स्टॉप लॉस होता है.

उदाहरण के लिए मान लो अगर अभी किसी शेयर की कीमत 10 रुपये है मतलब 10 रुपये इसका करंट मार्केट प्राइस है, अब मान लो आप इस शेयर पर 1 रुपये से ज्यादा लॉस नहीं लेना चाहते इसलिए 1 रुपये आपका स्टॉप लॉस प्राइस होगा

(यहां पर स्टॉप लॉस को हम 10% भी बोल सकते हैं क्योंकि हमने 10 Rs पर 1 Rs का स्टॉपलॉस सेट किया है जोकि इसका 10% होता है)

और 10 Rs से 1 Rs नीचे आने पर यानी 9 रुपये आने पर शेयर अपने आप ही बिक जाएगा इसलिए 9 रुपये उस शेयर का ट्रिगर प्राइस होता है।

ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस और टारगेट में क्या अंतर है?

ट्रेडिंग में किसी भी शेयर को खरीदते वक्त आपको आर्डर प्लेस करते समय स्टॉप लॉस और टारगेट सेट करना पड़ता है. स्टॉप लॉस वह प्राइस है जितना आपको मैक्सिमम नुकसान हो सकता है जबकि टारगेट वह प्राइस है जितना आपको मैक्सिमम प्रॉफिट हो सकता है। स्टॉप लॉस हिट होने पर आपका लॉस बुक हो जाता है जबकि टारगेट हिट होने पर आपका प्रॉफिट बुक हो जाता है।

ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस और टारगेट कैसे सेट करते हैं?

आप किसी भी ट्रेडिंग एप में जाकर स्टॉप लॉस और टारगेट को सेट कर सकते हैं. मान लो अगर आप अपस्टॉक एप यूज़ करते हैं तो आपको अपस्टॉक में स्टॉप लॉस और टारगेट सेट करने के लिए GTT order place करना होगा जिसमें आपको एंट्री, एग्जिट, स्टॉप लॉस और टारगेट ये चारों एक ही जगह से सेट कर सकते हैं।

सबसे अच्छा स्टॉप लॉस प्रतिशत क्या है?

शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करते समय सबसे अच्छा स्टॉप लॉस प्रतिशत से लेकर 10% से 20% माना जाता है क्योंकि यह ना तो बहुत ज्यादा है और ना ही बहुत कम. अगर आप प्रॉपर मार्केट रिसर्च के बाद 10% से 20% का स्टॉपलॉस आर्डर लगाते हैं तो आपका स्टॉप लॉस हिट होने की संभावना बहुत कम होती है जबकि प्रॉफिट कमाने की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है।

Stoploss meaning in hindi ‘Conclusion’

इस पोस्ट में हमने आपको बताया कि स्टॉप लॉस क्या होता है स्टॉप लॉस का मीनिंग (Stoploss meaning in hindi) यानी इसका अर्थ क्या है, स्टॉप लॉस ऑर्डर लगाना क्यों जरूरी है और स्टॉप लॉस ऑर्डर कैसे लगाते हैं।

अगर आप ट्रेडिंग करते हैं या ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो मुझे पूरी उम्मीद है कि यह जानकारी आपके लिए बहुत उपयोगी साबित होगी।

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